रविंद्रनाथ टैगोर बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे, दुनिया उन्हें ‘गुरुदेव’ नाम से संबोधित करती थी. गुरुदेव नाटककार, संगीतकार, चित्रकार, लेखक, कवि और प्रबल विचारक थे. वह दुनिया के अकेले कवि हैं, उनकी दो रचनाएं 'जन गण मन' भारत का राष्ट्रीय गान और 'आमार सोनार बांग्ला' बांग्लादेश में राष्ट्रगान के रूप में गाई जाती है. इनकी एक अन्य रचना गीतांजलि के लिए गुरुदेव को 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिया गया. गुरुदेव की कहानियां एवं लघु कथाएं बीसवीं सदी की शुरूआत के बंगाल के ग्रामीण, सांस्कृतिक और सामाजिक पहलुओं की जानकारी प्रदान करती है. गुरुदेव की 82 वीं पुण्य-तिथि (7 अगस्त 1941) के अवसर यहां जीवन के छह विभिन्न पहलुओं से जुड़ी कहानियां प्रस्तुत हैं, जिन पर धारावाहिक भी बन चुका है. यह भी पढ़ें: सफलता हासिल करने के आचार्य चाणक्य के चार रामबाण सरीखी नीतियां! जीवन में कभी असफल नहीं होंगे!
चोखेर बालीः रवींद्रनाथ टैगोर की सर्वाधिक लोकप्रिय कहानी में एक है चोखेर बाली. यह कहानी एक खूबसूरत युवा, शिक्षित और विद्रोही विधवा विनोदिनी की जिंदगी बयां करती है. स्वतंत्र विचार वाले बिनोदिनी को विधवा आश्रम में पनाह नहीं मिलती. अचानक वह खुद को उस मोहेंद्र के घर पाती है, जिसने उससे विवाह से इंकार कर दिया था. मोहेंद्र की पत्नी आशालता अशिक्षित एवं भोली-भाली है. कालांतर में बिनोदिनी का आशालता, मोहेंद्र और मोहेंद्र के मित्र बिहारी के साथ रिश्ता ही इसका सार है. चोखेर बाली के जरिये टैगोर ने स्त्री-शिक्षा, विधवापन, और बेवफाई को खूबसूरती से पिरोया है.
अतिथिः अतिथि हम सबके बीच की कहानी है. एक किशोर तारापद नये अनुभव, नये लोगों एवं ज्ञान की तलाश में घर से भाग जाता है. उसके माता-पिता इस वजह से उससे निराश हो जाते हैं. एक दिन उसकी मुलाकात एक अमीर जमींदार से होती है. तारापद के विनोदी व्यवहार से खुश होकर जमींदार उसे अपने घर में ठिकाना देता है. इस घर में तारापद खुद को रिश्तों की जाल में फंस जाता है. वह समझ नहीं पाता कि वह प्यार के साथ रहे या आजादी को चुने.
मानभंजनः मान भंजन ब्रिटिश काल की युवा दंपति गोपीनाथ और गिरीबाला की मर्मस्पर्शी कहानी है. गोपीनाथ गिरिबाला से बहुत प्यार करता है, लेकिन शीघ्र ही वह शराब और दूसरी औरतों में लिप्त हो जाता है. वह थियेटर की एक अभिनेत्री लबांगा से संबंध बना लेता है. पति के व्यवहार से दुखी गिरिबाला थिएटर में पहुंचती है. पति को गैर औरत की आगोश में देख व्यथित होती है. पति को दुबारा पाने का संकल्प लेकर वह अपनी मुक्ति के द्वार खोलती है.
पनिशमेंटः पनिशमेंट दो भाई देवेंद्र और उपेंद्र की कहानी है. देवेंद्र की पत्नी राधा झगड़ालू प्रवृत्ति की है. उपेंद्र की पत्नी मिली शांत प्रवृत्ति की है. राधा मिनी से निरंतर झगड़ती है. अंग्रेज अधिकारी देवेंद्र-उपेंद्र के चाय बागान पर कब्जा कर लेते हैं. एक दिन राधा उपेंद्र में झगड़ा होता है, इसमें राधा की मृत्यु हो जाती है. उपेंद्र पुलिस के सामने मिनी को राधा का हत्यारा मानता है. मिनी पति की बात सुनकर सन्न रह जाती है. इसके बाद वह अपनी चुप्पी को हथियार बना लेती है, यही खामोशी उसे न्याय दिलाती है.
छुट्टीः यह कहानी गांव और शहर के बीच के अंतर को दर्शाती है. गांव का एक लड़का फटिक कलकत्ता (कोलकाता) जैसे महानगर में रहने के लिए गांव और परिवार छोड़ देता है. कलकत्ता की बड़ी-बड़ी इमारतें, मोटर-कार में मुग्ध होकर नया जीवन शुरू करने के लिए उत्सुक है, लेकिन तभी वह महानगर के बदसूरत पक्ष को देखता है. शीघ्र ही हालात इतने बदतर हो जाते हैं कि परेशान होकर वह एक खतरनाक कदम उठाता, लेकिन दुर्भाग्य से उसकी योजना फेल हो जाती है, और कहानी का दुखद अंत होता है.
दो बहनेः हर पुरुष चाहता है कि उसे एक आदर्श पत्नी मिले, जो माँ की तरह उसकी सारी जरूरतों को पूरा करें, अच्छी दोस्त और प्रेमिका बनकर रहे. कहानी के मुख्य नायक शशांक की भी कुछ ऐसी ही सोच है, सौभाग्यवश उसे उसकी मनमाफिक पत्नी मिल जाती है. वह शशांक की बच्चे की तरह देखभाल करती है. शशांक जीवन से खुश है. लेकिन एक समय आता है, जब पत्नी का अतिसुरक्षात्मक रवैया, माँ की तरह डांट-फटकार आदि से वह आजिज आ जाता है. उसका सुख वैवाहिक जीवन पतझड़ बनकर रह जाता है.