Single Motherhood & Mother Day 2025: क्या मातृत्व से ज्यादा चुनौतीपूर्ण होती है सिंगल मदर हुड की भूमिका!

   भारत में रिश्तों की बड़ी अहमियत है. विशेष रूप से मां की. मातृत्व का कोई मोल नहीं, ये अनमोल है. नौ माह गर्भ में पालन-पोषण के बाद असहनीय प्रसव पीड़ा, शिशु के पालन-पोषण के लिए खुद के खान-पान, रहन-सहन आदि के साथ तमाम तरह के समझौते करना. अगर मां कामकाजी है, तो चुनौतियां भी दुगनी हो जाती है. ज्यों-ज्यों बच्चा बड़ा होता है, पिता का साथ मिलने से माँ को थोड़ी राहत मिलती है, लेकिन कल्पना करिये उन माओं की जो सिंगल मातृत्व के साथ बच्चे की परवरिश, संस्कार, शिक्षा जैसी तमाम चुनौतियों का अकेले सामना करती है. उन्हें मां और पिता की दोहरी भूमिका निभानी पड़ती है. मातृत्व-दिवस (11 मई 2025) के अवसर पर आइये जानें सिंगल मदरहूड कितनी चुनौती भरी हो सकती है.  

   एकल मातृत्व (Single Motherhood) अर्थात ऐसी मां, जो अपने बच्चों का पालन-पोषण बिना पति अथवा साथी के अपने दम पर करती हैं. एकल मदर में अविवाहित मां, तलाकशुदा माँविधवा माँ, अथवा किसी कारण एकल जीवन जीते हुए बच्चे की परवरिश करने वाली माँ. दूसरे शब्दों में कहें, तो वह महिला (माँ) जो अपने बच्चे या बच्चों की परवरिश के लिए उसकी प्राथमिक देखभाल से लेकर उसकी सारी जिम्मेदारियां निभाती है. यह भी पढ़ें : Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य के अनुसार ये चार खूबियां इंसान को रंक से राजा बना सकती हैं! क्या आपमें हैं ये खूबियां?

सिंगल मदरहुड के विभिन्न कारण

एकल मातृत्व कई कारणों से हो सकता हैजिनमें निम्न स्थितियां शामिल हैं:

अविवाहित मांएं: कुछ महिलाएं अपनी पसंद से या अवांछित गर्भावस्था जैसी परिस्थितियों के कारण एकल मां बनना स्वीकारती हैं.

तलाक या अलगाव: तलाक या अलगाव के कारण माता-पिता प्राथमिक देखभालकर्ता बन सकते हैं.

वैधव्य: पति की मृत्यु के परिणामस्वरूप माँ पर एकल माता-पिता का दायित्व आ जाता है.

कानूनी अलगाव: कानूनी रूप से पति से अलग हुई पत्नी को भी अकसर एकल मां की भूमिका निभानी होती है. वह अपने बच्चे को मां और पिता दोनों का प्यार देती है.

एकल माँ की चुनौतियां

    कुछ माओं को लगता है कि वे सिंगल मां के तौर पर बिना किसी भागीदारी के बच्चे के प्रति अपना दायित्व ज्यादा अच्छी तरह से निभा सकती हैं, वे अपने तरीके से बच्चे या बच्चों की परवरिश कर सकती हैं, लेकिन क्या यह संभव है? क्योंकि एकल मातृत्व माता-पिता और बच्चे दोनों के लिए चुनौतियों भरी हो सकती है. एकल मां को आर्थिक कठिनाइयों एवं भावनात्मक समर्थन की कमी के साथ-साथ काम और पारिवारिक जीवन को संतुलित करने जैसी तमाम तरह के तनाव का सामना करना पड़ता है.