आज से पवित्र सावन माह की शुरुआत हो रही है. इसके साथ ही सावन के व्रतों एवं पर्वों का सिलसिला भी शुरू हो जाएगा. देश भर के शिव मंदिरों की साज-सज्जा पूरी हो चुकी है, सभी शिव भक्त भगवान शिव की पूरे सावन माह पूजा और आराधना करते हैं. अपने आराध्य भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिवभक्त गंगाजल लाकर अभिषेक करते हैं. भक्ति के सागर में गोते लगाते शिवभक्त पैदल ही अपने गंतव्य की ओर बढ़ते हैं. ऐसा लगता है पूरा मार्ग ही भगवा रंग से सराबोर हो उठा है. वहीं भारत के विभिन्न हिस्सों में स्थापित बारह ज्योतिर्लिंगों में भी भारी तादाद में शिव भक्त देखे जा सकते हैं. इन दिनों शिव की प्रिय नगरी काशी स्थित बाबा विश्वनाथ मंदिर की छटा तो देखते बनती है. जहां भारी संख्या में विदेशी भक्त भी शिव पूजा में शामिल होते हैं.
सावन माह भगवान शिव की पूजा-अर्चना के लिए सर्वाधिक उपयुक्त माना जाता है. इस माह भगवान शिव के साथ-साथ माता पार्वती की भी विशेष पूजा-अर्चना का विधान है. मान्यता है कि जो भी भक्त सावन माह में माता पार्वती और भगवान शिव की विधि विधान से पूजा एवं व्रत करता है, उन्हें भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है. सावन का पहला सोमवार 22 जुलाई को होगा, तो अंतिम सोमवार 12 अगस्त के दिन पड़ रहा है.
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ज्योतिषाचार्य पंडित रवींद्र पाण्डेय के अनुसार इस वर्ष पवित्र सावन माह में कई शुभ संयोग बन रहे हैं. लगभग 125 साल बाद बन रहे शुभ संकेत विशेष फलदाई साबित हो सकते हैं. 17 जुलाई यानी आज सूर्य प्रधान उत्तराषाढ़ा नक्षत्र से सावन मास की शुरुआत हो रही है. इस दिन वज्र और विष कुंभ योग भी बन रहा है. इस वर्ष सावन माह में चार सोमवार होंगे. इन सोमवारों को व्रत रखने वालों पर भगवान शिव की विशेष कृपा बरसती है. पहली अगस्त को हरियाली अमावस्या पर पंच महायोग का संयोग बन रहा है. पंच महायोग के संयोग में मनवांछित फलों की प्राप्ति होती है. इस बार 5 अगस्त सोमवार के दिन नागपंचमी का भी संयोग बन रहा है, जिसे बहुत शुभ योग माना जा रहा है. इसी दिन चंद्र प्रधान हस्त नक्षत्र और त्रियोग का संयोग भी बन रहा है. यह संयोग लगभग 125 साल बाद बन रहा है. सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग यानी त्रियोग के संयोग में काल सर्प दोष निवारण के लिए पूजा करना फलदाई होता है.
बरतें ये सावधानियां
सावन माह में भगवान शिव के विशेष रुद्राभिषेक का विधान है. कहा जाता है कि भिन्न-भिन्न तरीकों एवं वस्तुओं से रुद्राभिषेक करने से भोले भंडारी उर्फ शिव जी बड़ी सहजता से प्रसन्न हो जाते हैं. लेकिन शिव जितने भोले हैं, रुष्ठ होने पर उतनी ही जल्दी उग्र भी हो जाते हैं, फिर उन्हें शांत करना आसान नहीं होता. इसलिए उनके लिए विशिष्ठ अभिषेक अथवा अनुष्ठान कराने के लिए योग्य पुरोहित से ही पूजा पाठ करवाना चाहिए. तभी शिवजी की अभीष्ठ कृपा प्राप्त होती है.