Sharad Navratri Puja 2022 Day 4: आज होगी माँ कूष्माण्डा की पूजा! संपूर्ण ब्रह्माण्ड की रचना करनेवाली देवी कूष्माण्डा की पूजा-विधि, मंत्र, मुहूर्त एवं प्रचलित मान्यताएं!
Kushmanda

शरद नवरात्रि के चौथे दिन आदि शक्ति के चौथे स्वरूप माँ कूष्माण्डा की पूजा होती है. कूष्मांडा का संस्कृत शब्द है, इसका अर्थ है, कूष्म अर्थात सूक्ष्म ऊर्जा, और अंडा यानी अंडा.  मान्यता है कि देवी कूष्माण्डा सूर्य का मार्गदर्शन करती हैं. इस संदर्भ में और भी मान्यताएं प्रचलित हैं. इसके अनुसार इस दिन कुम्हड़े की बलि देने की भी प्रथा है. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक माँ कूष्माण्डा की पूजा-अर्चना करने से भक्तों को सुख, समृद्धि एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही कुण्डली में सूर्य के कुप्रभाव से बचा जा सकता है, यानी रोग-दोष से मुक्ति मिलती है. आइये जानें माँ कूष्मांडा की पूजा का महात्म्य, पूजा विधि मंत्र एवं शुभ मुहूर्त आदि.

माँ कूष्माण्डा का स्वरूप

प्रचलित मान्यताओं के अनुसार शेरनी की सवारी करने वाली माँ कूष्माण्डा की 8 भुजाएं हैं, इनमें चक्र, गदा, धनुष, तीर, अमृत कलश और कमण्डल सुशोभित होते हैं.

माँ कूष्माण्डा के संदर्भ में पौराणिक मान्यताएं

प्रचलित मान्यताओं के अनुसार जब चारों तरफ अंधकार था, ब्रह्माण्ड का अस्तित्व नहीं था, तब देवी कूष्माण्डा ने सृष्टि की उत्पत्ति की. ब्रह्माण्ड की रचना के पश्चात देवी कूष्माण्डा ने त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) एवं त्रिदेवी (मां काली, लक्ष्मी और सरस्वती) को उत्पन्न किया.

मां कुष्मांडा की पूजा का शुभ मुहूर्त

नवमी आरंभः 01.27 A.M. (29 सितंबर, 2022, गुरुवार) से

नवमी समाप्तः 12.09 A.M. (30 सितंबर, 2022, शुक्रवार) से

विशाखा नक्षत्र 05.52 A.M. (29 सितंबर) से अगले दिन 05.13 A.M. (30 सितंबर) तक

अभिजीत मुहूर्तः - सुबह 11.34 A.M. से 12.22 P.M. तक

माँ कूष्मांडा की पूजा विधि

शरद नवरात्रि के चौथे दिन प्रातःकाल उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. माँ दुर्गा के कूष्माण्डा स्वरूप का ध्यान कर विधि पूर्वक पूजा-अनुष्ठान करने का संकल्प लें. माँ कुष्माँडा की स्तुति करें.

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

अब कलश के समीप धूप दीप प्रज्वलित कर माँ दुर्गा और उनके नौ स्वरूपों का ध्यान करते हुए कलश की पूजा करें. दुर्गा को लाल पुष्प, अक्षत, सिंदूर, रोली, बताशा आदि अर्पित करें. माँ कूष्माण्डा का प्रिय भोग मालपुआ माना जाता है. अब दुर्गा चालीसा एवं सप्तशती का पाठ करें. तत्पश्चात निम्न मंत्र का 108 जाप करें.

मंत्र- 'ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं कुष्मांडा नम:

जाप के पश्चात माँ दुर्गा की आरती उतारें.

मां कूष्मांडा की आरती

कूष्मांडा जय जग सुखदानी। मुझ पर दया करो महारानी॥

पिगंला ज्वालामुखी निराली। शाकंबरी माँ भोली भाली॥

लाखों नाम निराले तेरे। भक्त कई मतवाले तेरे॥

भीमा पर्वत पर है डेरा। स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥

सबकी सुनती हो जगदंबे। सुख पहुँचती हो माँ अंबे॥

तेरे दर्शन का मैं प्यासा। पूर्ण कर दो मेरी आशा॥

माँ के मन में ममता भारी। क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥

तेरे दर पर किया है डेरा। दूर करो माँ संकट मेरा॥

मेरे कारज पूरे कर दो। मेरे तुम भंडारे भर दो॥

तेरा दास तुझे ही ध्याए। भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥

पूजा सम्पन्न होने के पश्चात सभी लोगों में प्रसाद वितरित करें.