Sawan Vinayak Chaturthi 2024: सावन विनायक चतुर्थी में बन रहा है शिव और रवि योग का दिव्य संयोग! ऐसे करें पूजा सारी कामनाएं होंगी पूरी!
Sawan Vinayak Chaturthi 2024 (img: file photo)

सावन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन विनायक चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है. इस दिन गणेश भक्त प्रथम पूज्य एवं विघ्नहर्ता भगवान श्रीगणेश की पूजा करते हैं. शिव पुराण में सावन मास के विनायक चतुर्थी का विशेष महत्व बताया गया है. इसके अलावा इस वर्ष विनायक चतुर्थी के दिन शिव योग और रवि योग भी बन रहा है, तथा इस दिन उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र भी लग रहा है. मान्यता है कि इस महत्वपूर्ण योगों में गणेश जी की पूजा करने से मन की सारी अभिलाषाएं पूरी होती है. अलबत्ता विनायक चतुर्थी के दिन चंद्रमा देखना अथवा पूजा करना वर्जित है. आइये जानते हैं, तीन दिव्य योगों के बीच विनायक चतुर्थी की पूजा कब और कैसे की जाए, कि गणपति बप्पा प्रसन्न होकर सारी मनोकामनाएं पूरी करें,

विनायक चतुर्थी का महत्व

सावन में भगवान शिव के पुत्र गणपति बप्पा की पूजा करना बहुत शुभ होता है. शास्त्रों में भी इस पूजा का विशेष महत्व बताया गया है, लेकिन चूंकि भक्तों को यह पूजा बेहद शुभ ग्रहों के संयोग के बीच करने का अवसर मिल रहा है, तो इस तरह इसका महत्व एवं पुण्य फल कई गुना बढ़ जाएगा. मान्यता है कि इस दिन शुभ मुहूर्त के अनुरूप विघ्नहर्ता की पूजा करने से, जीवन में चल रही सारी बाधाएं दूर होती हैं, नकारात्मक शक्तियों का क्षय होता है, तथा बप्पा की कृपा से जातक को जीवन की सारी खुशियां एवं यश प्राप्त होती है. यह भी पढ़ें : Sawan Shivratri 2024 Messages: हैप्पी सावन शिवरात्रि! प्रियजनों संग शेयर करें ये हिंदी WhatsApp Wishes, GIF Greetings, Quotes और Photo SMS

सावन विनायक चतुर्थी की मूल तिथि

श्रावण शुक्ल पक्ष की चतुर्थी प्रारंभः 10.05 PM (07 अगस्त 2024, बुधवार)

श्रावण शुक्ल पक्ष की चतुर्थी समाप्तः 12.36 AM (08 अगस्त 2024, गुरूवार)

उदया तिथि के अनुसार सावन की विनायक चतुर्थी व्रत एवं पूजा 8 अगस्त 2024 को सम्पन्न होगी.

सावन विनायक चतुर्थी की पूजा का मुहूर्तः

विनायक चतुर्थी पूजा का शुभ मुहूर्तः 11.07 AM से 01.46 PM तक

सावन विनायक चतुर्थी पर बन रहे शुभ योग

शिव योगः सूर्योदय से 1239 PM तक (इसके बाद सिद्धि योग शुरू हो जाएगा)

रवि योगः 05.47 AM से 11.34 PM

सावन विनायक चतुर्थी पूजा विधि

सावन विनायक चतुर्थी को सूर्योदय से पूर्व स्नान-ध्यान कर पीला वस्त्र पहनकर व्रत एवं पूजा का संकल्प लें. मंदिर के सामने एक स्वच्छ चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर गणपति बप्पा की प्रतिमा स्थापित कर धूप-दीप प्रज्वलित करें. गणपति बप्पा को रोली, मौली, जनेऊ, दूर्वा, पुष्प, पंचमेवा, पंचामृत अर्पित करें. भोग में मोदक, मोतीचूर के लड्‌डू एवं फल चढ़ाएं. निम्न मंत्र का जाप करें.

‘श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥‘

पूजा का समापन गणेश जी की आरती से करें, इसके बाद सभी को प्रसाद का वितरण करें. इस दिन चंद्रमा को देखना अथवा पूजा करना वर्जित माना जाता है. अगले दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान-ध्यान के पश्चात व्रत का पारण करें.