Santan Saptami 2024: संतान के कल्याण हेतु इस विधि से करें व्रत एवं पूजा! जानें इसका महात्म्य एवं अनुष्ठान के नियम इत्यादि!
Santan Saptami 2024

Santan Saptami Sankalpa Mantra: संतान सप्तमी व्रत हिंदू परंपरा में एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो मुख्य रूप से माएं अपने बच्चों की अच्छी सेहत और समृद्धि के लिए रखती हैं. मान्यता यह भी है कि यह व्रत और पूजा करने से निसंतान दंपत्तियों को भी संतान सुख प्राप्त होता है. हिंदू पंचांग के संतान सप्तमी व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को रखा जाता है. इस दिन को ललिता सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा का विधान है. आइये जानते हैं संतान सप्तमी के महात्म्य, पूजा विधि आदि के बारे में..

संतान सप्तमी का महत्व

संतान सप्तमी संतान की खुशहाली और लंबी उम्र के लिए महत्वपूर्ण है. यह व्रत पुरुषों और महिलाओं दोनों द्वारा किया जा सकता है, यद्यपि अधिकांशतया माएं ही इस व्रत एवं पूजा का निर्वाह करती हैं. माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करने से निसंतानों को संतान और बच्चों को अच्छा स्वास्थ्य, सुख और समृद्धि भरे जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है. राजस्थान में इस व्रत को दुबडी सप्तमी के नाम से भी जाना और पूजा जाता है. वहां भी इस व्रत एवं पूजा का धूमधाम से पालन किया जाता है. यह भी पढ़ें : Santan Saptami 2024: संतान के कल्याण हेतु इस विधि से करें व्रत एवं पूजा! जानें इसका महात्म्य एवं अनुष्ठान के नियम इत्यादि!

संतान सप्तमी 2024 तिथि और समय

इस वर्ष, संतान सप्तमी आज यानी 10 सितंबर, मंगलवार को मनाई जा रही है.

ब्रह्म मुहूर्त: प्रातः 04.31 AM से 05.17 AM तक

अमृत काल: 08.48 AM बजे से 10.32 AM तक

अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11.52 AM बजे से 12.42 PM बजे तक

विजय मुहूर्त: 02.22 PM से 03.11 PM तक

गोधूलि मुहूर्त: 06.31 PM से 0654 PM तक

संतान सप्तमी: पूजा-अनुष्ठान

संतान सप्तमी के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान-ध्यान करके शिवजी एवं माता पार्वती के व्रत एवं पूजा का संकल्प लें. स्वच्छ वस्त्र धारण कर पूजा क्षेत्र को साफ करें. यहां पर एक स्वच्छ चौकी रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछाएं. इस पर शिव-पार्वती जी की प्रतिमा स्थापित करें. सामने एक कलश स्थापित कर इस पर आम के पांच पत्ते और जटा वाला नारियल रखें. अब धूप दीप प्रज्वलित करें. निम्न मंत्र का जाप करते हुए पूजा जारी रखें.

'ऊँ श्रीं ह्रीं क्लीं संतान सप्तमी'

शिव-पार्वती जी को सफेद चंदन, बेल पत्र, पान-सुपारी, हल्दी, चावल, कुमकुम, सफेद एवं लाल पुष्प अर्पित करें. भोग में फल एवं मिठाई चढ़ाएं. इस दिन दंपत्ति को हाथ में सूत का धागा बांधना पूजा का आवश्यक विधान है. अब शिव चालीसा पढ़ें और शिव-पार्वती जी से संतान के सुखद भविष्य और अच्छी सेहत के लिए प्रार्थना करें. व्रत-कथा पढ़ें अथवा सुनें. अंत में शिवजी एवं देवी पार्वती की आरती उतारें. इसके बाद व्रत का पारण मीठी पूड़ी खाकर करें.

ध्यान देनें योग्य बातें

संतान सप्तमी पर राहुकाल और भद्रा का समय

राहु काल: 03.24 PM (10 सितंबर 2024) बजे से शाम 04.57 PM तक.

भद्रा काल: 11.11 PM बजे (10 सितंबर 2024) से 06.03 AM

(11 सितंबर 2024) को समाप्त होगी।

राहु काल और भद्रा काल के दौरान कोई भी शुभ कार्य करने से बचें