Sankashti Chaturthi 2025: कब है विघ्नराज संकष्टी व्रत? जानें इसकी मूल-तिथि, मुहूर्त, एवंपूजा-विधि एवं चंद्रमा दर्शन इत्यादि!

   पितृ पक्ष एवं शारदीय नवरात्रि महोत्सव जैसे पर्वों के कारण आश्विन का पूरा महीना विशेष महत्वपूर्ण हो जाता है. पितृ पक्ष के पखवाड़े में पितरों को श्राद्ध एवं तिल-तर्पण आदि तथा शुक्ल पक्ष में शारदीय नवरात्र के दरमियान शक्ति देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है. आश्विन माह में विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी भी मनाई जाती है. इस दिन भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है. मान्यता है कि आश्विन मास में विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का व्रत एवं पूजा करनेवाले जातकों के सारे कष्ट और राह में आ रही बाधाएं भगवान गणेश की कृपा से कट जाती हैं. इस वर्ष 10 सितंबर 2025, बुधवार को विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का व्रत एवं पूजा का आयोजन होगा. आइये जानते हैं विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी व्रत एवं पूजा की मूल-तिथि, मुहूर्त, पूजा-विधि आदि के बारे में.. यह भी पढ़ें : Lunar Eclipse Today Night: आज रात 8:58 बजे…पूरे भारत में लगेगा दुर्लभ पूर्ण चंद्रग्रहण, जानें लोग खाने में क्यों डालते हैं तुलसी के पत्ते?

हिंदू पंचांग के अनुसार विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी मूल तिथि एवं पूजा का शुभ मुहूर्त

आश्विन कृष्ण पक्ष चतुर्थी प्रारंभः 03.37 PM (10 सितंबर 2025, बुधवार)

आश्विन कृष्ण पक्ष चतुर्थी समाप्तः 12.45 PM (11 सितंबर 2025, गुरुवार)

गणेश जी पूजा का समय

पहली पूजा 06.04 AM से 07.37 AM

दूसरी पूजाः 7.37 AM  से 09.11 AM

तीसरी पूजाः 04.58 PM से  06.32 PM

इस विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी पर बन रहे हैं कुछ शुभ योग

  ज्योतिषियों के अनुसार इस वर्ष विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी पर कुछ शुभ-मंगल योग बन रहे हैं. इनमें प्रमुख हैं वृद्धि, ध्रुव और शिववास योग. इस दिन भगवान शिव कैलाश पर्वत पर देवी पार्वती संग विराजमान रहेंगे. ये इतने शुभ योग हैं, कि इस समय भगवान गणेश की पूजा करने से साधक हर कामना पूरी होती है.

विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी पंचांग

सूर्योदयः 06.04 AM

सूर्यास्त: 06.32 PM

चन्द्रोदयः 08.06 PM

चंद्रास्तः 09.35 AM

ब्रह्म मुहूर्तः 04.31 AM से 05.18 AM तक

विजय मुहूर्तः 0223 PM से 03.12 PM

गोधूलि मुहूर्तः 06.32 PM से 06.55 PM तक

निशिता मुहूर्तः 11.55 से 12.41 AM तक

विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि

गणेश संकष्टी चतुर्थी को सूर्योदय से पूर्व स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. गणेश जी का ध्यान कर विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी व्रत एवं पूजा का संकल्प लें. पूरे दिन उपवास कर संध्याकाल में गणेश जी की पूजा शुरु करें. मंदिर के समक्ष एक पाटले पर लाल वस्त्र बिछाकर इस पर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें. इन पर गंगाजल छिड़क कर प्रतीकात्मक स्नान कराएं. धूप दीप प्रज्वलित करें, निम्न मंत्र का जाप करें.

ॐ गं गणपतये नमः

भगवान गणेश को अबीर-गुलालचावलरोलीफूलपानसुपारी, वस्त्रजनेऊदूर्वा आदि वस्तुएं एक-एक करके चढ़ाएं. भोग में मोदक एवं ताजे फल चढ़ाएं. अंत में गणेश जी की आरती उतारें. इसके बाद चंद्रोदय होने पर चंद्रमा को अर्घ्य दें एवं उनकी भी आरती उतारे. अगले दिन सूर्योदय काल में स्नानादि से निवृत्त होकर ब्राह्मण को दान दें और व्रत का पारण करें, यह पूजा करने से घर में किसी भी तरह के विघ्न, नकारात्मक शक्तियां नहीं टिकती. तधा घर-परिवार स्वस्थ एवं आनंद के साथ रहता है.