
श्रीरामचरित मानस के अयोध्याकांड के इस चौपाई में राजा दशरथ की मृत्यु के बाद का प्रसंग है, जब महर्षि वशिष्ठ दुःखी मन से भरत को समझाते हैं, -भरत, होनी प्रबल होती है, लाभ-हानि, जीवन-मृत्यु और यश-अपयश सब विधाता के हाथ होता है. अर्थात विधि का विधान है कि जिसने जन्म लिया, उसे मृत्यु को आलिंगन करना ही होगा. वह भले ही श्रीराम अथवा श्रीकृष्ण रूपी अवतारी पुरुष ही क्यों न हो. हिंदू शास्त्रों में उल्लेखित है कि जब-जब पृथ्वी पर आसुरी शक्तियां प्रबल हुईं, भगवान विष्णु ने किसी न किसी रूप में पृथ्वी पर अवतरित हुए. मान्यता है कि भगवान विष्णु को दस बार पृथ्वी प�%E0%A5%80+%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%A8%3F', 900, 500);" href="javascript:void(0);" title="Share on Facebook">