मंगलवार विशेष: हनुमान जी को बनाएं अपना रोल मॉडल, सफलता चूमेगी आपके कदम
हनुमान जी (Photo credits: Facebook)

मंगलवार विशेष: अक्सर हम अपना कार्य जितनी मेहनत और लगन से करते हैं, उसका अपेक्षित परिणाम हमें नहीं मिलता. क्षमतावान होने के बावजूद अपने व्यक्तित्व को वह निखार नहीं दे पाते, जिसके हम हकदार होते हैं. इससे हम झुंझलाहट और खीझ के शिकार बनते हैं. दरअसल, सफलता प्राप्ति के लिए महज मेहनत और लगन काफी नहीं होता, हमें कोई भी कार्य करने से पहले एक लक्ष्य के साथ उसकी योजना बनानी चाहिए. इस योजना के तहत तीन अहम बातों ‘परिश्रम’, ‘प्रार्थना’ और ‘प्रतीक्षा’ को अपनी जिंदगी में उतारना ही सफलता (Success) का सही परिचायक होता है. सफलता का यह मंत्र हमें मिलता है महाबली हनुमान जी (Hanuman Ji) के सत्कर्मों, संयम और सेवाभाव इत्यादि से, इसलिए अगर अपना लक्ष्य हासिल करना चाहते हैं तो हनुमान जी को हमें अपना रोल मॉडल (Role Model) बनाना होगा.

श्रीराम के संसर्ग में हुए चेतनामय हनुमान

भक्त शिरोमणि हनुमान जी सच्चे कर्मयोगी हैं, उनका यह स्वरूप अद्धभुत है, लेकिन उनका असली व्यक्तित्व तभी निखर कर आया, जब प्रभु श्रीराम उनके जीवन में आए. भगवान श्रीराम से मिलने से पूर्व वह महज किष्किंधा राज्य के राजा सुग्रीव के महामंत्री ही थे. तब तक उनकी विलक्षण प्रतिभा सुषुप्तावस्था में थी. ‘राम’ नाम के स्पर्श ने उन्हें चेतनामय बना दिया था. आप ध्यान दें तो हर किसी इंसान की जिंदगी में ऐसा होता है, हमें हमारे भीतर की ऊर्जा का अहसास हमें तब होता है, जब हम किसी के अच्छे व्यक्ति के संसर्ग में आते हैं.

इस तरह कर्मवीर बने हनुमान जी

हनुमान जी को बचपन से ही उस पल की शिद्दत से प्रतीक्षा थी कि कब उनकी जिंदगी में प्रभु श्रीराम आयेंगे और उन्हें उनकी सेवा करने का अवसर प्राप्त होगा. तब हनुमान जी की माता अंजनी हमेशा उन्हें विश्वास दिलातीं कि तुम्हारे जीवन में एक दिन श्रीराम अवश्य प्रवेश करेंगे. उसके पश्चात ही तुम्हारा जीवन में एक प्रबल क्रांति आयेगी. तभी तुम्हें जीवन का एक लक्ष्य और अपनी पहचान प्राप्त होगी. बाल हनुमान ने मां की उन बातों को दिल में उतार लिया था. वह कठोर परिश्रमी थे, बहुत कुछ करना चाहते थे, लेकिन उनके भीतर की ऊर्जा सोई हुई थी. लेकिन माँ के आश्वासन पर प्रार्थना और प्रतीक्षा उनके स्वभाव में उतर गई थी. परिश्रम में सक्रियता, प्रार्थना में समर्पण और प्रतीक्षा में संयम का पाठ छिपा होता है. ये तीनों ही बातें व्यक्ति को सच्चा कर्मवीर बनाती हैं. यह भी पढ़ें: मंगलवार विशेष: सांवेर स्थित उल्टे हनुमान जी की अति प्राचीन प्रतिमा, करते हैं सबकी मन्नत पूरी

प्रार्थना, परिश्रम और प्रतीक्षा बना मूल मंत्र

संगत का आपके व्यक्तित्व पर गहरा असर पड़ता है. हनुमान जी की सोई हुई ऊर्जा की वजह थे महाराजा सुग्रीव, जो अपने भाई बाली के कारण हमेशा भयभीत रहते थे. लिहाजा हनुमान जी भी थके हारे रहते थे. ज्यों ही श्रीराम हनुमान जी के जीवन में आये, उनकी सोई हुई ऊर्जा जाग गई. वह अचानक सक्रिय हो गये. उन्होंने तमाम असंभव कार्य को संभव करके दिखाया. श्रीराम हनुमान जी की जिंदगी में पारस बनकर प्रवेश किये और हनुमान जी देखते ही देखते खरा कुंदन बनकर दमक उठे. इसलिए संगत हमेशा अच्छे की रखनी चाहिए. परिश्रम के लिए सदा तैयार रहें. प्रार्थना नियमित करें और प्रतीक्षा केवल ईश्वर की करें.

नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.