हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, जब सूर्य कन्या राशि में जाते हैं तब पितृ परलोक से धरती पर कुछ दिनों के लिए अपने परिजनों के पास आते हैं. साल के इन 16 दिनों को पितृपक्ष, श्राद्धपक्ष या महालय कहा जाता है. इस दौरान मृत्यु के देवता यमराज सभी मृत आत्माओं को अपने परिवार वालों के पास जाने के लिए मुक्त कर देते हैं, ताकि वो अपने स्वजनों के पास जाकर तर्पण ग्रहण कर सकें. कहा जाता है कि जो लोग पितृपक्ष के दौरान श्राद्धकर्म नहीं करते, उनसे पितृ नाराज हो जाते हैं और उन्हें अपने जीवन में तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
परिवार में किसी की अकाल मृत्यु हो जाने या किसी पूर्वज की मौत के बाद उनका ठीक तरह से अंतिम संस्कार न होने या फिर किसी पूर्वज की इच्छा अधूरी रह जाने पर उनकी आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती है. कई बार पूर्वजों की अतृप्त आत्मा परिवार के लोगों को परेशान करती है जिसे पितृदोष से जोड़कर देखा जाता है. हालांकि व्यक्ति के जीवन में कई ऐसे संकेत भी मिलते हैं जो पितृदोष की ओर इशारा करते हैं, लेकिन पितृपक्ष के दौरान कुछ उपायों की मदद से इस दोष को दूर किया जा सकता है.
पितृदोष के संकेत
- अगर घर में रहने वाले लोग बार-बार दुर्घटनाओं के शिकार होते रहते हैं तो यह पितृदोष का संकेत हो सकता है.
- जिस व्यक्ति की कुंडली में पितृदोष होता है उसके घर में अक्सर परिवार वालों के बीच कलह होती है और अशांति का माहौल बना रहता है.
- अगर घर का कोई सदस्य लंबे समय से बीमार है या फिर रोग उसका पीछा ही नहीं छोड़ रहे हैं तो इसका कारण पितृदोष हो सकता है.
- कन्या के विवाह में देरी या फिर संतान प्राप्ति में विलंब होना इसका लक्षण हो सकता है.
- बनते हुए कार्यों का अचानक बिगड़ जाना और आय से ज्यादा खर्च होना भी पितृदोष का संकेत है.
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करें ये उपाय
- पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए पितृपक्ष के दौरान अपने घर में गीता का पाठ कराएं.
- हर अमावस्या के दिन अपने पितरों को याद करके उनके निमित्त ब्राह्मणों को भोजन कराएं.
- पानी में पितृ का वास माना जाता है इसलिए पीने के पानी के पास उनके नाम का दीपक जलाएं.
- श्राद्धपक्ष में पीपल के वृक्ष पर दूध, गंगाजल, काला तिल मिलाकर जल चढ़ाएं और पितरों को नमन करें.
- श्राद्धपक्ष में अपने पितरों की मृत्यु तिथि या फिर सर्वपितृ अमावस्या के दिन तर्पण करें. इस दिन अपने पूर्वजों की पसंद की सारी चीजें बनाएं और ब्राह्मणों को भोजन कराएं.
- अपने घर की दक्षिण दिशा की दीवार पर पूर्वजों की तस्वीर लगाएं और नित्य उनका नमन करें.
- अपने सामर्थ्य के अनुसार, गरीबों को कपड़े और अन्न दान करें. इससे भी पितृदोष दूर होता है और तरक्की के रास्ते खुलने लगते हैं.
- नाग स्तोत्रं, महामृत्युंजय मंत्र, रूद्र सुक्त, पितृ स्तोत्र और नवग्रह स्तोत्र का पाठ कराने से भी पितृदोष शांत होता है.
करें इन मंत्रों का जप
इन उपायों से आपको पितृदोष से मुक्ति मिल सकती है. इसके अलावा आप इन मंत्रों का जप करके इस दोष को शांत कर सकते हैं.
- ओम् सर्व पितृ देवताभ्यो नम:
- ओम् प्रथम पितृ नारायणाय नम:
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