Gupt Navratri 2019: देवी भागवत के अनुसार, साल में चार बार मां दुर्गा (Goddess Durga) की आराधना का पर्व नवरात्रि (Navratri) मनाया जाता है, इनमें से शारदीय और चैत्र नवरात्रि में भक्त मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना करते हैं, जबकि माघ और आषाढ़ महीने (Ashadh Month) में पड़ने वाली गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है. गुप्त नवरात्रि उन लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है जो तांत्रिक सिद्धि, शक्ति साधना और तंत्र-मंत्र से जुड़ी क्रियाओं से जुड़े होते हैं. इस दौरान लोग दस महाविद्याओं की साधना करके दुर्लभ सिद्धियों को प्राप्त करने की कोशिश करते हैं.
आज यानी मंगलवार (9 जुलाई 2019) को आषाढ महीने की गुप्त नवरात्रि की दुर्गाष्टमी (Durga Ashtami) है. नवरात्रि में अष्टमी तिथि को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा की जाती है. अगर आप भी मां दुर्गा को प्रसन्न करना चाहते हैं तो चलिए हम आपको बताते हैं अष्टमी पूजा की विधि और कथा.
इस विधि से करें पूजा-
- दुर्गाष्टमी पर प्रात:काल उठकर अपने सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें.
- फिर पूजा के स्थान पर गंगाजल छिड़ककर उस स्थान को पवित्र कर लें.
- अब लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें.
- इसके बाद माता को अक्षत, सिंदूर, लाल पुष्प और श्रृंगार अर्पित करें.
- फिर प्रसाद के रूप में मां दुर्गा को फल, मिठाई चढ़ाएं और धूप-दीप प्रज्जवलित करें.
- इसके बाद दुर्गा चालीसा का पाठ करें, कथा पढ़ें या सुनें और अंत में उनकी आरती करें.
- अब हाथ जोड़कर देवी से प्रार्थना करें और प्रसाद को बांटकर परिवार वालों के साथ ग्रहण करें. यह भी पढ़ें: Gupt Navratri 2019: फरवरी महीने में पड़ रही है गुप्त नवरात्रि, जानिए क्यों इसे तंत्र साधना के लिए माना जाता है खास ?
दुर्गा अष्टमी की कथा-
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सदियों पहले पृथ्वी पर असुर बहुत शक्तिशाली हो गए थे और स्वर्ग पर चढ़ाई करके वो देवताओं से युद्ध करने लगे. असुरों के भय से देवता अपने प्राण बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे. इन सभी असुरों में महिषासुर सबसे शक्तिशाली था, जिसे परास्त करने के लिए भगवान शिव, विष्णु और ब्रह्मा जी ने शक्ति स्वरुप दुर्गा देवी को बनाया. इसके बाद इस देवी को सभी देवताओं ने अपनी कोई न कोई विशेष वस्तु प्रदान की.
इसके बाद आदिशक्ति दुर्गा पृथ्वी पर आईं और उन्होंने असुरों का संहार किया. उन्होंने महिषासुर नामक असुर की सेना से युद्ध किया और आखिर में उसे मार गिराया. जिस दिन दुर्गा देवी ने महिषासुर का अंत किया था वो अष्टमी का ही दिन था. कहा जाता है कि तभी से दुर्गा अष्टमी मनाने की शुरुआत हुई.