गुजरात: 800 साल पुराने इस हिंदू मंदिर में होती है मुस्लिम महिला की पूजा, वजह जानकर आप भी रह जाएंगे दंग
डोला माता मंदिर (Photo Credits: Facebook)

अहमदाबाद: क्या आपने कभी यह सुना है कि हिंदू धर्म के किसी मंदिर में मुस्लिम धर्म की किसी महिला की देवी के रूप में पूजा की जाती है? शायद नहीं, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि गुजरात (Gujarat) में इकलौता ऐसा हिंदू मंदिर (Hindu Temple) मौजूद है जहां मुस्लिम महिला (Muslim Woman) की देवी के रूप में पूजा की जाती है. दरअसल, गुजरात की राजधानी अहमदाबाद (Ahmedabad) से महज 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित झुलासन नाम (jhulasan Village) के एक गांव में यह अनोखा मंदिर मौजूद है, जिसका नाम है डोला माता मंदिर.

डोला माता का यह मंदिर (Dola Mata Temple) करीब 800 साल पुराना है, लेकिन हैरत की बात तो यह है कि इस अनोखे मंदिर का जिक्र किसी हिंदू धर्म ग्रंथ में नहीं मिलता है. स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर में देवी के रूप में विराजमान मुस्लिम महिला अपने भक्तों की सारी मुराद पूरी करती हैं. यह भी पढ़ें: पति-पत्नी एक साथ इस मंदिर में नहीं कर सकते हैं मां दुर्गा के दर्शन, अगर किया तो भुगतनी पड़ती है सजा

हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है डोला माता मंदिर

800 साल पुराना डोला माता का यह मंदिर हिंदू-मुस्लिम एकता की अनोखी मिसाल पेश करता है और इसे एक मुस्लिम महिला की वीरता का प्रतीक माना जाता है. इसकी खासियत तो यह है कि इस मंदिर में सिर्फ हिंदू धर्म के लोग ही पूजा करने नहीं आते हैं, बल्कि मुस्लिम धर्म के लोग भी बड़ी ही श्रद्धा के साथ इस मंदिर में शीश झुकाते हैं. स्थानीय लोगों की मानें तो डोला माता पूरे गांव की रक्षा करती हैं और मंदिर में आने वाले लोगों की सारी तकलीफें दूर करती हैं.

इस मंदिर में नहीं है देवी की कोई प्रतिमा

झुलासन गांव में मौजूद यह मंदिर काफी भव्य और सुंदर है. बताया जाता है कि इस मंदिर के निर्माण में करीब 4 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे, लेकिन इस मंदिर में देवी की कोई प्रतिमा स्थापित नहीं है. यहां सिर्फ एक पत्थर मौजूद है जिसे रंगीन कपड़े से ढंका गया है. कपड़े से ढंके इस पत्थर को डोला माता मानकर लोग उनकी पूजा-अर्चना करते हैं.

क्या है इस मंदिर से जुड़ी मान्यता ?

प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, करीब 800 साल पहले इस गांव पर कुछ लोगों ने हमला कर दिया था. इस हमले में डोला नाम की मुस्लिम महिला ने वीरता दिखाते हुए बदमाशों का सामना किया और पूरे गांव की रक्षा की, लेकिन गांव की रक्षा करते-करते वो खुद शहीद हो गई. बताया जाता है डोला के शहीद होने के बाद उनका शरीर एक फूल में तब्दील हो गया था. उनकी इस वीरता को नमन करने और उनके सम्मान में गांव वालों ने उसी स्थान पर इस मंदिर को बनवाया, जहां डोला ने आखिरी सांस ली थी. तब से लेकर अब तक दैवीय शक्ति मानकर यहां डोला माता की पूजा की जाती है. यह भी पढ़ें: केरल: कोत्तानकुलांगरा देवी मंदिर में प्रवेश के लिए पुरुषों को करना पड़ता है 16 श्रृंगार

गौरतलब है कि झुलासन गांव इसलिए भी खास है, क्योंकि इस गांव के हर घर का कोई न कोई सदस्य विदेश में है. इस गांव में एक भी मुस्लिम परिवार नहीं है, लेकिन रविवार और गुरुवार को डोला माता के दरबार में शीश झुकाने के लिए आसपास के गावों के मुस्लिम बड़ी तादात में आते हैं. बता दें कि इस गांव में भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स भी अपने पिता के साथ डोला माता के दर्शन करने के लिए आई थीं. बताया जाता है कि सुनीता विलियम्स के पिता दीपक पंड्या 22 साल की उम्र तक झुलासन गांव में ही रहते थे, बाद में वो अमेरिका चले गए.

नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.