Happy Dussehra 2020: रावण की जिंदगी के 10 रहस्यमयी सच! जिसे सुन कोई भी हैरान हो सकता है!
दशहरा 2020 Photo Credits: File Image)
Happy Dussehra 2020, Ravana Mysterious Truth: राक्षस कुल में लंकाधिपति रावण से ज्यादा शक्तिशाली कोई नहीं था. वह मायावी था, महान योद्धा था, भगवान शिव की सच्चा भक्त था, प्रकाण्ड पंडित था, शत्रुओं का संहार करने के लिए उसके पास असंख्य अमोघ शक्तियां थीं, इसीलिए उससे इंद्र जैसे शक्तिशाली देवता भी भयभीत रहते थे. चूंकि वह मायावी था, इसलिए वह काफी रहस्यमय शख्स के रूप में जाना जाता था. यहां हम रावण के जीवन से जुड़े 10 ऐसे रहस्यमय सच का जिक्र करेंगे, जिसे सुनकर कोई भी हैरान हो सकता है.

* दशानन के दस सिरों का रहस्य?

दशानन यानी रावण के दस शीशों का जिक्र कई पुराणों में उल्लेखित है. लेकिन दस शीशों का अर्थ बहुत कम लोग जानते हैं. विद्वानों का कहना है कि रावण की तमाम खूबियां होने के बावजूद उसमें दस खामियां भी थीं. उदाहरण के लिए काम, क्रोध, मोह, लोभ, द्वेष, घृणा, पक्षपात, अहंकार, व्यभिचार, धोखा इत्यादि. यह भी पढ़े: Dussehra 2020: दशहरे में पुतला निर्माण व्यवसाय पर छाया कोरोना वायरस का साया

* रावण की नाभि में अमृत कैसे आया?
एक बार रावण ने अमरता का वरदान हासिल करने लिए ब्रह्मा जी का कठोर तप किया. कहा जाता है कि ब्रह्मा को प्रसन्न करने के लिए उसने अपना सिर काटकर ब्रह्मा जी को अर्पित किया. कहते हैं कि जितनी बार रावण सिर काटता था, उसकी जगह नया सिर पैदा हो जाता था. रावण ने जब दसवीं बार सिर काटने की कोशिश की तो ब्रह्मा प्रकट हुए और रावण से वरदान मांगने के लिए कहा. इस पर रावण ने अमरता का वरदान मांगा. ब्रह्मा जी के लिए यह संभव नहीं था. अंततः ब्रह्मा जी ने रावण को आकाशीय अमृत प्रदान कर दिया. इसी वजह से रावण को कोई मार नहीं सकता था, मगर विधि के विधान के अनुसार श्रीराम ने उस अमृत को अपने ब्रह्मास्त्र से सुखा कर रावण का संहार किया.
* एक तरफ प्रकाण्ड पंडित दूसरी तरफ राक्षसी प्रवृत्ति! 
रावण महान ब्राह्मण महर्षि विश्वा एवं राक्षसी कुल की कैकसी की संतान थे. पिता से विरासत के कारण उसे जहां प्रकाण्ड पंडित बनने में मदद मिली, वहीं मां से उसे राक्षसी प्रवृत्ति प्राप्त

 हुई. ऐसा बहुत कम राक्षसों में देखने को मिलता है.

* जब उसके पिता उसे देखकर डर गये!

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार जब रावण पैदा हुआ तो उसकी शक्ल उसकी मां पर गयी थी, इस वजह से वह देखने में बहुत कुरूप लगता था. उसे देखकर उसके पिता महर्षि विश्वा भी भयभीत होकर चले गये थे.
* सौतेले भाई कुबेर की लंका और पुष्पक विमान पर कब्जा किया! रावण स्वयं को सबसे महान साबित करने के लिए अपनों को भी नहीं छोड़ता था. उसने जब देखा कि उसके सौतेले भाई कुबेर के पास सोने की लंका, और दुनिया भर में एकमात्र पुष्पक विमान है तो उसने न केवल कुबेर की लंका पर कब्जा किया बल्कि पुष्पक विमान भी बलपूर्वक छीन लिया.

* नर्क के पापी आत्माओं को अपनी सेना में शामिल किया! 

रावण कितना शक्तिशाली था, इस बात का अहसास इसी से लगाया जा सकता है कि उसने न केवल संपूर्ण सृष्टि को अपने वश में कर लिया था, बल्कि देवलोक और यमलोक पर भी कब्जा कर लिया. यमराज को हराने के पश्चात उसने यमलोक में नर्क की सजा भुगत रही आत्माओं को अपनी सेना में शामिल अपनी सैन्य क्षमता को कई गुना ज्यादा बढ़ा लिया था.

* शनि देव को क्यों कैद किया!

रावण ने अपनी विद्वता और शक्ति के दम पर न केवल नवग्रहों पर अधिकार किया, बल्कि अपने बेटे मेघनाद की कुंडली में अपनी इच्छानुसार नवग्रहों को स्थापित होने का दबाव बनाया. शनि देव के समझाने पर उन्हें कैद कर कारागार में डाल दिया.

* रथों के रथ को कौन खींचता था!

महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण में उल्लेखित है कि रावण के रथ को घोड़े नहीं गधे खींचते थे. यही नहीं उसके मुकुट पर भी गधे का सिर होता था.

* लंका में कैद देवताओं को किसने छुड़ाया!
कहा जाता है कि रावण ने अपने बाहुबल से स्वर्गलोक पर कब्जा करके सभी देवताओं को लंका में बंदी बना लिया था. मान्यता है कि जब सीता जी से पहली बार हनुमान जी मिलने गये थे, तब उन्होंने ही सारे देवताओं को रावण की कैद से आजाद करवाया था.

* रावण को रंभा ने क्या श्रॉप दिया था!

कहा जाता है कि एक बार स्वर्गलोक की एक अप्सरा रंभा के साथ जब रावण ने शारीरिक बल का प्रयोग करने की कोशिश की, तब रंभा ने उन्हें श्रॉप देते हुए कहा था कि वह किसी स्त्री से जबरदस्ती नहीं कर सकता. अगर उसने कभी ऐसा किया भी तो उसके सिर के दो टुकड़े हो जायेंगे.