चारधाम यात्रा 2019: देवभूमि उत्तराखंड में 6 महीने बाद खुले केदारनाथ मंदिर के कपाट, उमड़ी भक्तों की भीड़, देखें वीडियो
केदारनाथ मंदिर (Photo Credits: ANI)

चारधाम यात्रा 2019: देवभूमि उत्तराखंड (Uttarakhand)  के रुद्रप्रयाग जिले (Rudra Prayag) में स्थित भगवान शिव (Lord Shiva) का केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) अनगिनत लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है. यहां हर साल भगवान शिव के भक्त अपने आराध्य के दर्शन पाने के लिए चार धाम की यात्रा पर आते हैं. अब भक्तों का इंतजार खत्म हो गया है, क्योंकि 6 महीने के लंबे अंतराल के बाद गुरुवार की सुबह करीब 5 बजकर 35 मिनट पर भगवान केदारनाथ के कपाट (Portals of Kedarnath Temple) भक्तों के लिए खोल दिए गए हैं. केदारनाथ के कपाट खुलते ही भक्त अब अपने आराध्य के दर्शन कर सकेंगे. हालांकि इससे पहले बुधवार को भगवान केदारनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली अपने धाम पहुंची थी, जहां भक्तों ने उनका भव्य स्वागत किया.

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित तीन तरफ विशालकाय पहाड़ों से घिरे केदारनाथ धाम को ऊर्जा का बड़ा केंद्र माना जाता है. भगवान शिव का यह मंदिर करीब 85 फुट ऊंचा, 187 फुट लंबा और 80 फुट चौड़ा है. भक्तों पर आराध्य की भक्ति का कुछ ऐसा रंग चढ़ा हुआ है कि मंदिर के कपाट खुलते ही हर तरफ हर-हर महादेव के जयकारे की गूंज सुनाई देने लगी.  यह भी पढ़ें: अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर चारधाम यात्रा के सुचारू संचालन के लिए पूरी हुई तैयारी

अपने आराध्य के दर्शन पाने को बेताब हुए भक्त-

हालांकि मंदिर के कपाट खुलने से पहले बुधवार को सुबह सात बजे गौरी कुंड स्थित गौरी माई मंदिर में मुख्य पुजारी ने आराध्य देव की पूजा-अर्चना करते हुए उनका श्रृंगार किया और उन्हे भोग अर्पित किया. इसके बाद सुबह आठ बजे बाबा केदारनाथ की डोली ने अपने धाम के लिए प्रस्थान किया. जंगलचट्टी, भीमबली, रामबाड़ा, लिनचोली होते हुए दोपहर दो बजे यह डोली केदारनाथ मंदिर पहुंची. जहां मंदिर समिति के पदाधिकारियों और भक्तों ने डोली का भव्य स्वागत किया. बता दें कि केदारनाथ धाम को गेंदा और अन्य प्रकार के 15 कुंतल फूलों से सजाया गया है.

मन मोह लेंगी केदारनाथ धाम की ये तस्वीरें-

केदारनाथ धाम से जुड़ी पौराणिक मान्यता

केदारनाथ धाम भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. इस ज्योतिर्लिंग को लेकर प्रचलित मान्यता के अनुसार, द्वापर युग में महाभारत के युद्ध में विजयी होने पर पांच पांडव भ्रातृहत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव का आशीर्वाद पाना चाहते थे, लेकिन भगवान शिव उनसे नाराज थे.

पहले भगवान शिव के दर्शन की कामना लिए पांडव काशी पहुंचे, लेकिन वहां वे नहीं मिले. फिर शिव जी की खोज में पांडव हिमालय तक जा पहुंचे. भगवान शिव पांडवों को दर्शन नहीं देना चाहते थे, इसलिए वे अंतर्ध्यान होकर केदार में जा बसे. इसकी जानकारी मिलते ही पांडव भी उनके पीछे-पीछे केदार पहुंच गए. यह भी पढ़ें: जानिए बाबा केदारनाथ से जुड़ी अहम बातें और उनका इतिहास

पांडवों से छुपने के लिए भगवान शिव ने बैल का रूप धारण कर लिया और वे अन्य पशुओं के बीच जा पहुंचे. पांडवों को जब संदेह हुआ तो भीम ने विशाल रूप धारण कर दो पहाड़ों पर पैर फैला दिए. सब गाय-बैल उनके पैरों के नीचे से निकल गए, लेकिन बैल बने भगवान शिव वहां से जाने को तैयार नहीं हुए.

यह देख भीम उस बैल पर झपटे, पर बैल भूमि में समाने लगा. इस पर भीम ने झट से बैल की पीठ का एक भाग पकड़ लिया. भगवान शिव पांडवों की भक्ति से बेहद प्रसन्न हुए और उन्हें अपने वास्तविक रूप में दर्शन देकर पाप मुक्त कर दिया. कहा जाता है कि तभी से भगवान शिव बैल की पीठ की आकृति पिंड के रूप में केदारनाथ में विराजमान हो गए और आज भी उनके इसी रूप की पूजा की जाती है.