Rabindranath Tagore Death Anniversary 2019: भारत-बांग्लादेश के राष्ट्रगान (India-Bangladesh National Anthem) के रचयिता और एशिया के पहले नोबल पुरस्कार (Nobel Prize) विजेता रबींद्रनाथ टैगोर एक महान बांग्ला कवि, गीतकार, संगीतकार, कहानीकार, नाटककार, चित्रकार, रचनाकार और निबंध लेखक थे. आधुनिक भारत के इस असाधाराण सृजनशील कलाकार की आज पुण्यतिथि (Rabindranath Tagore Death Anniversary) है. रबींद्रनाथ टैगोर ने भारत के राष्ट्रगान 'जन गण मन' की रचना की थी, इसके साथ ही वे बांग्लादेश के राष्ट्रगान 'आमार सोनार बांग्ला' के भी रचयिता माने जाते हैं. कबीगुरु या गुरुदेव जैसे नामों से मशहूर रबींद्रनाथ टैगोर का निधन 7 अगस्त 1941 को कलकत्ता (वर्तमान के कोलकाता) में हुआ था.
रबींद्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) का जन्म 7 मई 1861 को पश्चिम बंगाल के कलकत्ता में हुआ था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सेंट जेवियर स्कूल से की थी. बचपन से ही साहित्य में रुचि रखने वाले टैगोर ने महज 8 साल की उम्र में अपनी पहली कविता लिखी थी. 1877 में जब वे 16 साल के थे, तब उनकी पहली लघुकथा प्रकाशित हुई थी.
रवींद्रनाथ की रचनाओं में स्वतंत्रता आंदोलन और उस समय के समाज की झलक साफ तौर पर देखी जा सकती है. एक साहित्यकार होने के साथ-साथ वे महान क्रांतिकारी भी थे. उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत का विरोध करते हुए अपनी 'नाइट हुड' की उपाधि वापस लौटा दी थी. इस उपाधि को लौटाने की सबसे बड़ी वजह विश्व के सबसे बड़े नरसंहारों में से एक जलियावाला बाग हत्याकांड था. चलिए उनकी पुण्यतिथि पर जानते हैं रबींद्रनाथ टैगोर के दिल को छू लेने वाले 10 अनमोल विचार.
राष्ट्रगान के रचयिता रबींद्रनाथ टैगोर से जुड़ी खास बातें-
रबींद्रनाथ टैगोर के अनमोल विचार-
1- हर एक कठिनाई जिससे आप मुंह मोड़ लेते हैं, वो आगे एक भूत बनकर आपकी नींद में बाधा डालेगी.
2- जो कुछ भी हमारा है वह स्वयं हम तक चलकर आता है, अगर हम उसे ग्रहण करने की क्षमता रखते हैं.
3- तथ्य कई हैं पर सत्य एक है. अगर आप सभी गलतियों के लिए दरवाजे बंद करेंगे तो सच बाहर ही रह जाएगा.
4- आस्था... वो पक्षी है जो रात के अंधकार में भी सुबह के उजाले को महसूस करता है. यह भी पढ़ें: Rabindranath Tagore Jayanti 2019: 2 देशों के राष्ट्रगान के रचयिता और नोबल पुरस्कार जीतने वाले पहले भारतीय थे रवींद्रनाथ टैगोर, जानिए उनसे जुड़ी कुछ खास बातें
5- मैं एक आशावादी व्यक्ति हूं, अगर मैं एक दरवाजे से नहीं जा पाया तो दूसरे से जाऊंगा या फिर एक नया दरवाजा बनाऊंगा. वर्तमान चाहे कितना ही अंधकारमय क्यों न हो कोशिश करेंगे तो कुछ शानदार सामने आएगा.
6- हमें यह प्रार्थना नहीं करनी चाहिए कि हम पर परेशानियां न आएं, बल्कि यह प्रार्थना करें कि हम उनका सामना निडर होकर करें.
7- प्रेम चाहे किसी से भी हो, वो कभी अधिकार का दावा नहीं करता, क्योंकि प्रेम स्वतंत्रता देता है.
8- जब मैं खुद पर हंसता हूं तो मेरे ऊपर से मेरा बोझ कम हो जाता है.
9- बर्तन में रखा पानी चमकता है, जबकि समुद्र का पानी अस्पष्ट होता है. लघु सत्य स्पष्ट शब्दों में बताया जा सकता है, जबकि महान सत्य हमेशा मौन रहता है.
10- नदी के किनारे खड़े होकर सिर्फ पानी को देखने से आप नदी पार नहीं कर सकते, इसके लिए आपको उसके भीतर जाना होगा.
जीवन काल में रबींद्रनाथ टैगोर ने साहित्य की विभिन्न विधाओं का सृजन किया. उनकी सबसे लोकप्रिय रचना गीतांजलि लोगों को इतनी पसंद आई कि उसका अनुवाद अंग्रेजी, जर्मन, फ्रेंच, जापानी, रूसी इत्यादि भाषाओं में किया गया. उनकी कहानियों में काबुलीवाला, मास्टर साहब और पोस्टमास्टर जैसी कई कहानियां आज भी लोगों को बेहद पसंद आती है. उन्हें प्रकृति से बेहद खास लगाव था. उनका मानना था कि छात्रों को भी प्रकृति के सानिध्य में रहकर ही शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए. अपनी इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने शांति निकेतन की स्थापना की थी.