नई दिल्ली: इस साल का नोबेल शांति पुरस्कार वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना माचाडो को दिया गया है. उन्हें यह सम्मान वेनेजुएला में लोकतंत्र और मानवाधिकारों के लिए उनके संघर्ष को देखते हुए मिला है. लेकिन इस घोषणा के बाद अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बड़ा और चौंकाने वाला दावा किया है. उनका कहना है कि इस पुरस्कार के असली हकदार वह थे.
ट्रंप ने क्या कहा?
शुक्रवार को व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए डोनाल्ड ट्रंप काफी निराश दिखे. उन्होंने दावा किया कि पुरस्कार जीतने वाली मारिया माचाडो ने खुद उन्हें फोन किया था.
ट्रंप के मुताबिक, माचाडो ने उनसे कहा, "मैं यह पुरस्कार आपके सम्मान में स्वीकार कर रही हूं क्योंकि आप वास्तव में इसके हकदार थे. आपने वेनेजुएला की बहुत मदद की है."
ट्रंप ने आगे कहा, "मैंने उनसे यह नहीं कहा कि 'इसे मुझे दे दो'. हालांकि मुझे लगता है कि शायद वह दे सकती थीं. मैंने संकट के दौरान उनकी और वेनेजुएला की मदद की है. मैं खुश हूं क्योंकि मैंने लाखों लोगों की जान बचाई है."
'मैंने सात युद्ध रुकवाए'
ट्रंप यहीं नहीं रुके. उन्होंने कहा कि उन्हें तो "सात युद्ध खत्म करने" के लिए यह पुरस्कार मिलना चाहिए था. उन्होंने यूक्रेन संघर्ष का जिक्र करते हुए कहा कि लोग कहते हैं कि अगर आप रूस और यूक्रेन का युद्ध रुकवा दें तो आपको नोबेल मिल जाएगा.
इस पर ट्रंप ने जवाब दिया, "मैंने तो सात युद्ध रुकवाए हैं. वह तो सिर्फ एक युद्ध है, भले ही वह बड़ा हो." उन्होंने दावा किया कि उनके नेतृत्व में आर्मेनिया-अजरबैजान, कोसोवो-सर्बिया, इज़राइल-ईरान और रवांडा-कांगो जैसे कई संघर्षों को रोका गया.
बेंजामिन नेतन्याहू ने भी किया समर्थन
दिलचस्प बात यह है कि इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी ट्रंप का समर्थन किया है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर पोस्ट किया, "@realDonaldTrump को नोबेल शांति पुरस्कार दें - वह इसके हकदार हैं."
मारिया माचाडो को क्यों मिला पुरस्कार?
नोबेल कमेटी ने मारिया कोरिना माचाडो को "शांति की एक बहादुर और प्रतिबद्ध योद्धा" बताया है. कमेटी के अनुसार, यह पुरस्कार एक ऐसी महिला को दिया गया है जो "बढ़ते अंधेरे के बीच लोकतंत्र की लौ को जलाए हुए हैं."
कमेटी ने अपने बयान में कहा:
- स्थायी शांति के लिए लोकतंत्र पहली शर्त है. लेकिन आज दुनिया में लोकतंत्र कमजोर हो रहा है और तानाशाही बढ़ रही है.
- मारिया माचाडो ने सालों तक वेनेजुएला के लोगों की आजादी के लिए काम किया है.
- उन्होंने दिखाया है कि लोकतंत्र के उपकरण ही शांति के उपकरण हैं. वह एक ऐसे भविष्य की उम्मीद जगाती हैं जहां नागरिकों के अधिकारों की रक्षा होती है और उनकी आवाज सुनी जाती है.
संक्षेप में, जहां नोबेल कमेटी लोकतंत्र के लिए लड़ने वाली एक महिला का सम्मान कर रही है, वहीं डोनाल्ड ट्रंप इस पुरस्कार पर अपना दावा ठोक रहे हैं. यह घटना दिखाती है कि वैश्विक राजनीति में नोबेल शांति पुरस्कार कितना प्रतिष्ठित और कभी-कभी विवादास्पद भी हो सकता है.













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