नई दिल्ली, 18 अक्टूबर : शनिवार को देशभर में धनतेरस (Dhanteras) का त्योहार मनाया जाएगा. आज के दिन भगवान धन्वंतरि, मां लक्ष्मी और कुबेर की पूजा होती है. धनतेरस को धन और स्वास्थ्य दोनों की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है. देशभर में कई ऐसे मंदिर हैं, जो धन के देवता कुबेर को समर्पित हैं, लेकिन पुष्कर (Pushkar) में भगवान कुबेर का ऐसा मंदिर है, जो साल भर में सिर्फ एक बार खुलता है.
राजस्थान का पुष्कर ब्रह्मा मंदिर सिर्फ भगवान ब्रह्मा को नहीं, बल्कि भगवान कुबेर को भी समर्पित है. देश के अलग-अलग राज्यों में भगवान कुबेर के मंदिर हैं, लेकिन पुष्कर में भगवान कुबेर ब्रह्मा जी के साथ विराजमान हैं. ज्यादातर मंदिरों में भगवान कुबेर को भगवान शिव के साथ देखा गया है, जो सुख और संपत्ति दोनों का आशीर्वाद देते हैं, लेकिन पुष्कर ब्रह्मा मंदिर अलग है. खास बात ये है कि मंदिर साल भर खुला रहता है, लेकिन भगवान कुबेर साल में एक दिन धनतेरस के मौके पर ही दर्शन देते हैं और उनके दर्शन के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं. माना जाता है कि भगवान कुबेर पैसे से जुड़ी हर समस्या का निदान करते हैं और भगवान ब्रह्मा जीवन में आए उतार-चढ़ाव को कम करते हैं. इन्हीं मान्यताओं की वजह से धनतेरस के दिन मंदिर में खास भीड़ देखी जाती है. यह भी पढ़ें: Dhanteras 2025: धनतेरस पर प्रधानमंत्री मोदी समेत कई नेताओं ने दी शुभकामनाएं, स्वदेशी खरीदारी को बढ़ावा देने का आह्वान
ब्रह्मा मंदिर पवित्र पुष्कर झील के पास है, जो अपनी वास्तुकला के लिए भी प्रसिद्ध है. मंदिर के निर्माण काल का कोई सटीक इतिहास मौजूद नहीं है, लेकिन कहा जाता है कि मंदिर 2000 सालों से भी पुराना है. मंदिर को संगमरमर के पत्थर से बनाया गया है, जिस पर महीन कारीगरी की गई है.
पौराणिक कथाओं की मानें, तो यहां वज्रनाभ नामक राक्षस अपनी आसुरी शक्तियों से लोगों पर अत्याचार करता था, जिसका वध ब्रह्मा जी ने किया था. वध के समय ब्रह्मा जी के हाथों से पुष्प के कमल गिरे, जिसके बाद पुष्कर में मंदिर का निर्माण हुआ. धनतेरस के दिन कुबेर भगवान का पंचामृत से अभिषेक किया जाता है. फूल-मालाओं से मंदिर को सजाया जाता है और आरती कर भगवान कुबेर को महाभोग अर्पित किया जाता है. भक्त मंदिर में आने से पहले पुष्कर झील में स्नान करते हैं और फिर भगवान ब्रह्मा और कुबेर जी का पूजन करते हैं.













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