Pt. RamPrasad Bismil’s 125th  Birth Anniversary: जेल में बिस्मिल और अशफाक के बीच क्या बहस हुई थी? काकोरी कांड के मास्टर माइंड पं. रामप्रसाद बिस्मिल के जीवन से जुड़े ऐसे ही रोचक तथ्य!
Pt. RamPrasad Bismil(Photo Credits: File Photo)

स्वतंत्रता सेनानी पं. रामप्रसाद बिस्मिल किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं, जिन्होंने बड़े साहस और बहादुरी के साथ ब्रिटिश साम्राज्यवाद की चूलें हिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी, और सदियों के संघर्ष के बाद देश को आजादी की हवा में सांस लेना संभव बनाया. पं. राम प्रसाद बिस्मिल का जन्म 11 जून 1897 को शाहजहांपुर (उत्तर प्रदेश) में मुरलीधर और मूलमती के घर पर हुआ था. पंडित बिस्मिल ने अंग्रेजी स्कूल से पढ़ाई की. हिंदी पिता से सीखी, और उर्दू पढ़ने के लिए मौलवी के पास जाते थे, लेकिन आर्य समाज मंदिर जाना उनकी नित्य क्रिया का हिस्सा था. इस वर्ष हम इस महान क्रांतिकारी की 125वीं वर्षगांठ मनाने जा रहे हैं. आइये जानें शौर्य, साहस एवं त्याग की प्रतिमूर्ति क्रांतिकारी पं. रामप्रसाद बिस्मिल के जीवन के कुछ रोचक और प्रेरक प्रसंग.

* पं. रामप्रसाद बिस्मिल के पिता शाहजहांपुर के नगर पालिका बोर्ड के कर्मचारी थे, जहां उनकी कमाई खर्च चलाने के लिए पर्याप्त नहीं थी. इसलिए, पर्याप्त धन की कमी के कारण उन्हें 8वीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी

* पंडित रामप्रसाद बिस्मिल हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के संस्थापक सदस्य थे. इस क्रांतिकारी संगठन में चंद्रशेखर आजाद, सरदार भगत सिंह एवं अशफाक उल्ला खान, राजगुरु, गोविंद प्रसाद, ठाकुर रोशन सिंह, भगवती चरण, प्रेम किशन खन्ना, गोविंद प्रसाद जैसे महान क्रांतिकारी शामिल थे.

* पं. रामप्रसाद बिस्मिल 9 अगस्त 1925 में काकोरी कांड जैसे लोमहर्षक कारनामे के मास्टर माइंड थे, जिनके बराबर के सहयोगी थे अशफाक उल्लाह खान. बाद में इस कारनामे में संगठन के सभी क्रांतिकारी शामिल हुए, जिससे इनका मिशन सफल रहा.

* अशफाक उल्ला और पंडित बिस्मिल के बीच का एक रोचक प्रसंगः

एक दिन जेल में बैठे अशफाक उल्ला खां गुनगुना रहे थे,

‘सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, कौन जाने ये तमन्ना इश्क की मंजिल में है.जो तमन्ना दिल से निकली फिर जो देखा दिल में है’सुनकर बिस्मिल मुस्कुराये. अशफाक ने पूछा, ‘क्यों राम भाई! मैंने मिसरा कुछ गलत कहा क्या?’ बिस्मिल ने कहा, ‘नहीं, मैं जिगर साहब की बहुत इज्जत करता हूं मगर उन्होंने मिर्जा गालिब की पुरानी जमीन पर घिसा पिटा शेर बनाकर कौन-सा बड़ा तीर मार लिया. कुछ नयी रंगत देते तो जरूर इरशाद कहता.’ अशफाक ने कहा, ‘रामभाई आप ही इसमें कुछ नया रंगत दे दें, मैं मान जाऊँगा’, बिस्मिल' ने बिना भूमिका बांधे कहा. ‘सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजु-ए-कातिल में है?’ यह सुनते ही अशफाक ने बिस्मिल को गले लगा लिया. बोले, राम भाई! मान गये, आप उस्तादों के उस्ताद हैं

* लाला हरदयाल की सहमति से पंडित बिस्मिल इलाहाबाद (अब प्रयागराज) चले गये, जहां 1923 में उन्होंने सचिंद्र नाथ सान्याल और बंगाल के सुविख्यात क्रांतिकारी डॉ जदुगोपाल मुखर्जी की मदद से संगठन के संविधान का मसौदा तैयार किया. संगठन का मूल नाम और उद्देश्य एक पीले कागज पर टाइप किया गया था.

* काकोरी कांड में दोषी ठहराये जाने के बाद ब्रिटिश सरकार ने पंडित बिस्मिल को फांसी की सजा सुनाई. उन्हें गोरखपुर के जेल में कड़ी निगरानी में कैद कर लिया गया. 19 दिसंबर 1927 में उन्हें फांसी पर चढ़ा दिया गया. उस समय उनकी उम्र मात्र 30 साल थी.

* पं बिस्मिल ने कैद के दरम्यान देशभक्ति से भरपूर कई कविताएं, लेख इत्यादि लिखे. सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, पंक्तियों में प्रेरणा जगाने वाले पंडित बिस्मिल ने गोरखपुर जेल में रहते हुए अपनी आत्मकथा लिखी, जिसे फांसी से दो दिन पूर्व पूरा किया. बाद में पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी ने 1928 में इसे प्रकाशित करवाया.