Pitru Paksha Dates 2019: आज 13 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा श्राद्ध है, जिसे प्रोष्ठपदी पूर्णिमा भी कहा जाता है. ऋषि तर्पण और श्राद्ध होगा, उसके बाद 14 सितंबर से पितृपक्ष प्रारंभ हो जाएगा. पितरों का यह पर्व 28 सितंबर अमावस्या के दिन सम्पन्न होगा. 29 सितंबर के दिन रविवार नाना/नानी का श्राद्ध होगा. ऐसी मान्यता है कि इन 16 दिन हमारे पितृ पितृलोक से पृथ्वीलोक पर आते हैं. इन दिनों में पितृों को पिण्ड दान तथा तिलांजलि कर उन्हें संतुष्ट करना चाहिए. श्राद्ध के सोलह दिनों में लोग अपने पितरों को जल देते हैं तथा उनकी मृत्युतिथि पर श्राद्ध करते हैं. पिता के लिए अष्टमी तो माता के लिए नवमी की तिथि श्राद्ध करने के लिए उपयुक्त मानी जाती है. आइए जानें, पितृपक्ष के संदर्भ में श्राद्ध के कुछ नियम और श्राद्ध की क्रमानुसार तिथियां.
शास्त्रों के अनुसार पितर दो प्रकार के होते हैं.
दिव्य पितरः-
दिव्य पितर ब्रह्मा के पुत्र मनु से उत्पन्न हुए ऋषि हैं. पितरों में सबसे प्रमुख अर्यमा हैं, जिनके बारे में गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने बताया है कि पितरों में प्रधान अर्यमा वे स्वयं ही हैं.
पूर्वज पितरः-
पितृपक्ष यानी श्राद्ध के दिव्य पर्व पर लोग अपने इन्हीं यानी पूर्वज पितरों को याद करते हैं. इन्हीं पितरों के नाम से पिण्डदान, श्राद्ध और ब्राह्मण भोज विधान की परंपरा निभाई जाती है. गरुड़ एवं मार्कण्डेय पुराण में उल्लेखित है कि श्राद्ध पर्व पर पितर अपने जीवित परिजनों के पास आते हैं. उनसे अन्न-जल एवं मान-सम्मान की अपेक्षा करते हैं. पुराणों के ही अनुसार जिन परिवार के लोग पितृपक्ष में पितरों के नाम से अन्न-जल दान नहीं करते, अथवा श्राद्ध कर्म नहीं करते, उनके पितर भूखे-प्यासे धरती से लौट जाते हैं. पितरों के नाराज होने से ही परिवार के लोग पितृ-दोष से ग्रस्त होते हैं. दूसरे शब्दों में इसे ही पितृ श्राप भी कहते हैं. इसी वजह से परिवार में अन्न-धन्न संकट, नाना किस्म की बीमारियां, काम-धंधों में नुकसान आदि होते रहते है. संतान प्राप्ति में बाधा आती है.
पितृपक्ष के नियम
पितृपक्ष के नियमों के अऩुसार मनुष्य के पूर्वजों (माता-पिता, दादा-दादी अथवा परिवार) की जिस तिथि (सनातन धर्म के कैलेंडर अनुसार) पर मृत्यु होती है, उसी तिथि के अनुसार उनका श्राद्ध एवं तर्पण आदि किया जाता है. इसके अलावा श्राद्ध का एक नियम यह भी है कि दोपहर के समय पितरों के नाम से श्राद्ध और ब्राह्मण भोज करवाना चाहिए, जबकि देवताओं की पूजा प्रातःकाल करने का विधान है.
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पूर्वाह्णे मातृकं श्राद्धमराह्णे तु पैतृकम।
एकोदि्दष्टं तु मध्याह्णे प्रातर्वृद्धि निमित्तकम्।।
अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष आश्विन कृष्ण द्वितीया तिथि 2 दिन (15-16 सितंबर) होगी.
श्राद्ध के संदर्भ में शास्त्रों में वर्णित नियमों के अनुसार दोपहर के समय जो तिथि अधिक समय लगी रहे, उस दिन उसी तिथि का श्राद्ध करना चाहिए. कहने का आशय यह कि 15 तारीख को द्वितीया तिथि का श्राद्ध किया जाएगा. इस बार श्राद्ध पक्ष में एकादशी और द्वादशी का श्राद्ध एक ही दिन होगा. इस हिसाब से द्वादशी तिथि का क्षय होगा.
पितृपक्ष श्राद्ध तिथि 2019
13 सितंबर शुक्रवार प्रोष्ठपदी/पूर्णिमा श्राद्ध
14 सितंबर शनिवार प्रतिपदा का श्राद्ध
15 सितंबर रविवार द्वितीया का श्राद्ध
17 सितंबर मंगलवार तृतीया का श्राद्ध
18 सितंबर बुधवार चतुर्थी का श्राद्ध
19 सितंबर बृहस्पतिवार पंचमी का श्राद्ध
20 सितंबर शुक्रवार षष्ठी का श्राद्ध
21 सितंबर शनिवार सप्तमी का श्राद्ध
22 सितंबर रविवार अष्टमी का श्राद्ध
23 सितंबर सोमवार नवमी का श्राद्ध
24 सितंबर मंगलवार दशमी का श्राद्ध
25 सितंबर बुधवार एकादशी का श्राद्ध/द्वादशी तिथि/संन्यासियों का श्राद्ध
26 सितंबर बृहस्पतिवार त्रयोदशी का श्राद्ध
27 सितंबर शुक्रवार चतुर्दशी का श्राद्ध
28 सितंबर शनिवार अमावस्या व सर्वपितृ श्राद्ध
29 सितंबर रविवार नाना/नानी का श्राद्ध
नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं.