Happy National Voters Day: किसी भी लोकतांत्रिक देश में मतदान की प्रक्रिया बेहद जिम्मेदारी भरी, अनिवार्य एवं महत्वपूर्ण होती है. देश अथवा राज्यों में जब किसी तरह की राजनीतिक उथल-पुथल होती है, भ्रष्टाचार सीमाएं लांघने लगता है, अथवा किसी अन्य प्रकार की राजनीतिक अस्थिरता होती है, जिससे लोकतंत्र खतरे में पड़ सकता है, तब चुनावी प्रक्रिया के तहत योग्य, ईमानदार एवं कर्मठ नेता का चुनाव कर राजनीतिक अस्थिरता को दूर करने की कोशिश की जाती है. किसी भी देश की संगठनात्मक शक्ति को सुद्दढ़ बनाने के लिए मतदान और मतदाता की अहमियत सर्वोपरि होती है.
हिंदुस्तान एक लोकतांत्रिक देश है. हर नागरिक को समान रूप से मताधिकार का मूल अधिकार है. उन्हें अपने एवं देश के लिए योग्य एवं सक्षम नेता के चुनाव का पूरा अधिकार होता है, जो देश का नेतृत्व करने योग्य हो, जो आम लोगों की समस्याओं का समाधान कर सकें, आवश्यक परिवर्तन ला सकें, इत्यादि. राष्ट्रीय मतदाता दिवस का भारत में अपना ही महत्व है क्योंकि देश का भविष्य नेता में निहित है, जिन्हें हम आप चुनते हैं. ध्यान रहे हमारा गलत चुनाव अथवा मतदान में हमारी निष्क्रियता एक गलत व्यक्ति को सत्तासीन कर सकती है, जो देश ही नहीं आपके लिए भी खतरा साबित हो सकता है. इसलिए मतदान में अवश्य करें और सोच-समझ कर योग्य व्यक्ति को ही चुने.
25 जनवरी ही क्यों:
भारत में ‘राष्ट्रीय मतदाता दिवस’ प्रत्येक वर्ष 25 जनवरी को मनाया जाता है. इस दिवस को प्रभावशाली बनाने के लिए प्रत्येक नागरिक को अपने राष्ट्र के हर चुनाव में भागीदारी की शपथ लेनी चाहिए, क्योंकि भारत के प्रत्येक व्यक्ति का मत ही देश के भावी भविष्य की नींव रखता है. याद रखें प्रत्येक व्यक्ति का मत राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसका मूल्यांकन व्यापक होता है. देश में किसी भी राजनीतिक चुनाव को निष्पक्ष संपन्न कराने की जिम्मेदारी ‘भारत निर्वाचन आयोग’ की होती है. इस आयोग का गठन 25 जनवरी, 1950 को हुआ था. क्योंकि 26 जनवरी 1950 से भारत एक गणतांत्रिक देश बननेवाला था. इसके लिए लोकतान्त्रिक प्रक्रियाओं से चुनाव कराने के लिए निर्वाचन आयोग का गठन जरूरी था. इसलिए जब मतदाताओं को बढ़-चढ़ कर मतदान के लिए प्रेरित करने के लिए किसी दिवस विशेष की जरूरत महसूस हुई तो 25 जनवरी के ही दिन को उपयुक्त माना गया.
क्यों जरूरी है हर नागरिक का मतदान में हिस्सा लेना:
मतदाताओं की निष्क्रियता के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन उनकी इस निष्क्रियता के परिणाम की घातकता का अहसास शायद उन्हें नहीं होता. अकसर देखा गया है कि किसी भी क्षेत्र विशेष में जितना कम मतदान होता है, उतने ही ज्यादा गलत और आपराधिक व्यक्ति के चुने जाने की संभावना रहती है, और जब देश के संचालन और संविधान संशोधन प्रक्रिया में गलत लोग चुनकर आते हैं तो वह देश के विकास में सबसे ज्यादा अवरोधक साबित होते हैं. इसके विपरीत अगर ज्यादा से ज्यादा मतदाता मतदान में हिस्सा लेते हैं, तो गलत प्रवृत्ति के लोगों के जीतने की संभावनाएं कम होती हैं.
युवाओं की सहभागिता हेतु किया गया संविधान में संशोधन:
राजनीति के मैदान में युवाओं की निरंतर बढ़ती दिलचस्पी को देखते हुए 1998 के 60वें संशोधन विधेयक मूलभूत परिवर्तन करते हुए भारत के मतदाताओं की आयु में कमी की गयी. प्रारंभ में मतदाता की पात्रता आयु 21 वर्ष थी, लेकिन 1988 में इसे तीन वर्ष कमकर 18 वर्ष कर दिया गया. ताकि युवा मतदाताओं को चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके.
ऐसे मनाते हैं राष्ट्रीय मतदाता दिवस:
प्रत्येक मतदाता दिवस का समारोह नयी दिल्ली में भारत के महामहिम राष्ट्रपति की उपस्थिति में मनाया जाता है. समारोह की शुरुआत स्वागत भाषण से होती है. इसके पश्चात लोकनृत्य, नाटक, लोक संगीत, डिबेट्स, चित्रकला प्रतियोगिता आदि का आयोजन किया जाता है. इस अवसर पर मुख्य चुनाव आयुक्त के अलावा विदेशी अधिकारियों की भी उपस्थिति होती है.