Mothers Day & Chanakya neeti 2023: माँ के गर्भ में रच दिया जाता है शिशु का संपूर्ण भविष्य!
चाणक्य नीति (Photo Credits: File Image)

विश्व के श्रेष्ठतम विद्वानों एवं गुरूओं में एक हैं आचार्य चाणक्य. वह एक कुशल कूटनीतिज्ञ, रणनीतिकार एवं अर्थशास्त्री थे. उनकी दूरदर्शिता एवं रणनीति आज भी युवाओं का प्रेरित और प्रभावित करती है. उन्होंने अपनी नीति शास्त्र में धर्म, कर्म, अर्थ, समाज, राजनीति, स्त्री एवं पुरुषों से संदर्भित तमाम मुद्दों का उल्लेख किया है. चाणक्य की नीतियों के अनुसार बच्चा जब माँ के गर्भ में होता है, उसका भाग्य रच दिया जाता है. आचार्य ने अपने नीति ग्रंथ में इस बात का उल्लेख किया है. मातृत्व दिवस के अवसर पर चाणक्य के इस श्लोक से पता चलता है कि किस तरह व्यक्ति के जीवन का फैसला उस समय निर्धारित हो जाता है, जब वह माँ के गर्भ में पल-बढ़ रहा होता है.

आयुः कर्म च वित्तं च विद्या निधनमेव च

पञ्चैतानि हि सृज्यन्ते गर्भस्थस्यैव देहिनः

अर्थात, समस्त देहधारी प्राणियों की आयु, उनके द्वारा किए जाने वाले कर्म, धन, विद्या तथा मृत्यु का समय उनकी गर्भावस्था में ही पूर्वनिर्धारित हो जाता है.

माँ के गर्भ में तय हो जाता है शिशु का भविष्य

जीवन के यथार्थ को दर्शानेवाली वाली एक नीति में आचार्य ने बताया कि व्यक्ति की वे कौन-कौन सी बाते हैं जो माँ के गर्भ में ही व्यक्ति के लिए सुनिश्चित हो जाती हैं, ये बातें भी व्यक्ति के भविष्य का निर्धारण करती है. यानी व्यक्ति की आयु क्या होगी, वह किस दिशा में आगे बढ़ेगा, कितना धन, बुद्धि, ज्ञान, एवं विवेक अर्जित करेगा. कितना खुशहाल जीवन होगा उसका तथा उसके जीवन की डोर यानी मृत्यु जैसी सारी बातें गर्भावस्था में ही सुनिश्चित हो जाती हैं.

बच्चा अल्पायु होगा या दीर्घायु, इस संसार में आ भी पायेगा या नहीं, यह सब कुछ गर्भ में ही तय हो जाता है. आचार्य चाणक्य के अनुसार मनुष्य के जीवन में लगभग 101 बार मृत्यु का योग बनता है, जिसमें एक बार काल मृत्यु और बाकी अकाल मृत्यु होती हैं. इन अकाल मृत्यु को कर्म और भोग से बदला जा सकता है.

भविष्य के लिए तैयार रहें

आचार्य चाणक्य ने इस नीति के तहत एक और बात बताई है कि जो लोग भाग्य और नसीब के सहारे का इंतजार करते हैं, वे बर्बाद हो जाते हैं, इसलिए व्यक्ति विशेष को भविष्य में आने वाली हर परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए, वह परिस्थितियों का सामना करने और अपने पक्ष में करने के लिए तैयार रहेंगे.

दूसरों को कमतर बताने वाले स्वयं सम्मान नहीं पाते

आचार्य चाणक्य ने अपनी एक नीति में दर्शाया है कि जो व्यक्ति सदा दूसरों को नीचा दिखाने के प्रयास में रहता है, वह व्यक्ति कभी भी अपने लिए सम्मान अर्जित नहीं कर पाता. इसलिए व्यक्ति को कभी किसी का अपमान या कमतर बताने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. ऐसा करके वह अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारता है.

मोह-माया छोड़िये खुशहाल रहिये.

आचार्य चाणक्य की इस नीति के अनुसार जो लोग अपने परिवार के प्रति जितना ज्यादा मोह रखता है, वह अपेक्षाकृत दुख और तमाम तरह के कष्टों से घिरे रहते हैं. ऐसे में सुखी एवं खुशहाल जीवन के लिए व्यक्ति को परिवार के प्रति मोह-मोहब्बत छोड़ना होगा.