मार्गशीष 2018: इस माह के हर गुरुवार को करें महालक्ष्मी का व्रत, धन-धान्य से भर जाएगा जीवन
लक्ष्मी माता (Photo Credit: YouTube)

मार्गशीष 2018: (Margashirsha 2018) हिंदू धर्म में कार्तिक (Kartik) का महीना जहां भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को अत्यंत प्रिय होता है, वहीं कहा जाता है कि मार्गशीष (margashirsha) का महीना धन और ऐश्वर्य की देवी माता लक्ष्मी (Goddess Laxmi) को अत्यंत प्रिय है. इस महीने में माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व बताया जाता है. मान्यताओं के अनुसार, मार्गशीष हिंदू धर्म में साल का नौंवा महीना होता है, जो हर साल नवंबर या दिसंबर महीने में पड़ता है. हिंदू धर्म के पुराणों में भी इस महीने को बेहद पावन और शुभ फलदायी माना गया है.

कहा जाता है कि मार्गशीष का महीना धन की देवी माता लक्ष्मी को समर्पित है, लिहाजा भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए पूरे महीने उनकी विशेष पूजा-अर्चना करते हैं. इस पावन महीने के हर गुरुवार को  माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए वैभव लक्ष्मी का व्रत किया जाता है. यह व्रत सूर्योदय से सूर्यास्त तक किया जाता है. व्रत वाले दिन घर की अच्छे से साफ-सफाई की जाती है, घर के मुख्य द्वार पर रंगोली (Rangoli) और माता लक्ष्मी के चरण बनाए जाते हैं, साथ ही दीये जलाए जाते हैं.

मार्गशीष लक्ष्मी पूजन और गुरुवार व्रत की तिथियां

इस साल मार्गशीष मास की शुरुआत 8 दिसंबर से हुई है.

पहले गुरुवार का व्रत- 13 दिसंबर, 2018.

दूसरे गुरुवार का व्रत- 20 दिसंबर, 2018.

तीसरे गुरुवार का व्रत- 27 दिसंबर, 2018.

चौथे गुरुवार का व्रत- 3 जनवरी, 2019. यह भी पढ़ें: Mokshada Ekadashi 2018: इस दिन व्रत रखने से मिलता है मोक्ष, जानें पूजा विधि और मंत्र

व्रत व पूजन की विधि-

  • सबसे पहले एक चौकी पर लाल या पीले रंग का वस्त्र बिछाएं.
  • एक कलश को जल से भरें, फिर उसमें अक्षत, सुपारी, सिक्का डालें.
  • कलश के मुख पर आम या अशोक की पांच अथवा सात पत्तियां रखें.
  • अब कलश पर नारियल रखें और हल्दी-कुमकुम लगाकर उसका पूजन करें.
  • एक प्लेट में चावल भरें और उस पर कलश की स्थापना करें.
  • कलश पर रखे गए नारियल को फूल या माला अर्पित करें.
  • कुछ भक्त कलश को आभूषण और कपड़ों से भी सजाते हैं.
  • कलश स्थापित करने के बाद माता लक्ष्मी की प्रतीमा स्थापित करें.
  • फूलों से उनका श्रृंगार करें, उन्हें हल्दी-कुमकुम लगाएं.
  • मिठाई और फलों का भोग लगाएं, फिर दीप प्रज्जवलित करें.
  • अब माता लक्ष्मी का ध्यान करें और व्रत कथा पढ़े व सुनें. इसके साथ ही श्री महालक्ष्मी आरती और महालक्ष्मी नमन अष्टक का पाठ करें. माता लक्ष्मी की व्रत कथा के साथ आप विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ भी कर सकते हैं. इससे माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु दोनों की कृपा प्राप्त होगी

गौरतलब है कि इस विधि से मार्गशीष महीने के चार गुरुवार को व्रत करने के बाद चौथे यानी इस माह के आखिरी गुरुवार को विवाहित महिलाओं को आमंत्रित करें. उनके माथे पर हल्दी-कुमकुम लगाएं. उन्हें इस व्रत कथा की एक पुस्तक भेंट करें साथ ही मिठाई, पुष्प, नारियल और दक्षिणा देकर अपने व्रत का समापन करें.