Mahalaya 2022: कब है दुर्गा पूजा? जानें पितृ पक्ष की विदाई एवं शक्ति के आगमन के बीच की कड़ी ‘महालया’ का महात्म्य! एवं सेलिब्रेशन तथा पौराणिक कथा!
पितृ पक्ष की समाप्ति और शक्ति की आराधना के आगमन के बीच की कड़ी है महालया. इसे सर्व पितृ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. यह पर्व आश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या (पितृ पक्ष के अंतिम दिन) में पड़ता है. पश्चिम बंगाल में आयोजित दुर्गा पूजा समारोह की शुरुआत महालया से होती है.
पितृ पक्ष की समाप्ति और शक्ति की आराधना के आगमन के बीच की कड़ी है महालया. इसे सर्व पितृ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. यह पर्व आश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या (पितृ पक्ष के अंतिम दिन) में पड़ता है. पश्चिम बंगाल में आयोजित दुर्गा पूजा समारोह की शुरुआत महालया से होती है. इसलिए इस दिन का पश्चिम बंगाल में विशेष महात्म्य है. इसके बाद पांच दिवसीय दुर्गा पूजा का महोत्सव शुरू होता है. इस वर्ष महालया जहां 25 सितंबर 2022, रविवार को पड़ रहा है, वहीं दुर्गा पूजा कार्तिक शुक्लपक्ष की षष्ठी से दशमी यानी 1 अक्टूबर से 5 अक्टूबर 2022 तक मनाया जायेगा. यहां हम बात करेंगे महालया के इतिहास, महत्व एवं सेलिब्रेशन के तरीके की.
इस दिन का कुछ विशेष महात्म्य इसलिए है क्योंकि इसी दिन हम अपने पितरों की आत्माओं के सुख एवं शांति के लिए प्रार्थना करते हैं, उनके नाम का भोज निकालते हैं. उन्हें प्रसन्न करके उनसे आशीर्वाद की कामना करते हैं. पितरों की विदाई के बाद मान्यता अनुसार माँ दुर्गा 10 दिनों के लिए अपने भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए पृथ्वी पर अवतरित होती हैं. यह भी पढ़ें : Pitru Paksha 2022: कब शुरू हो रहा है पितृपक्ष? जानें पितृपक्ष का महत्व!, कैसे और कब करें तर्पण? देखें श्राद्ध की 16 तिथियां!
महालय 2022 की तिथि
इस वर्ष महालया 25 सितंबर 2022 दिन रविवार को मनाया जायेगा. इससे पूर्व पितरों को विदा करते हैं और उनसे आशीर्वाद की कामना करते हैं. द्रिक पंचांग के अनुसार, ब्रह्म मुहूर्त 4.35 A.M. बजे से 5.23 A.M. बजे तक है. अभिजीत मुहूर्त 11.48 A.M. से 12.37 P.M. बजे तक है. विजया मुहूर्त का समय 2.13 P.M. बजे से 3.01 P.M. तक है.
महालया का सेलिब्रेशन
इस दिन को महालया अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन भक्त प्रातःकाल अपने पूर्वजों की पूजा करते हैं, शाम को देवी दुर्गा से प्रार्थना करते हैं, कि अगले दिनों के लिए वह कैलाश पर्वत से पृथ्वी पर अवतरित हों. इस खुशी में घरों को सजाया जाता है और देवी के आगमन एवं पूजा की तैयारियां की जाती हैं. बहुत से लोग इस दिन उपवास भी रखते हैं. और देवी दुर्गा की पूजा-अर्चना करते हैं. पितृ पक्ष से दुर्गा पूजा तक का यह पावन पर्व बड़े पैमाने पर मनाया जाता है. खासकर पश्चिम बंगाल, ओडिशा, कर्नाटक और त्रिपुरा के लोग महालया के दिन प्रातःकाल मां दुर्गा के आगमन का स्त्रोत सुनकर गौरवान्वित होते हैं. सभी लोग इस पर्व को शक्ति के प्रति श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाते हैं.
सभी देवी भक्तों को महालया 2022 की हार्दिक शुभकामनाएं!
पौराणिक कथा
देवी पुराण के अनुसार राक्षसराज महिषासुर को मिले वरदान के अनुसार उसे ना देवता और ना ही मानव मार सकते थे. उसने स्वर्गलोक से देवताओं को भगा दिया. देवतागण त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश) के सामने पहुंचकर रक्षा की प्रार्थना की. महिषासुर का आतंक सुनकर त्रिदेव एवं देवताओं की काया से दिव्य प्रकाश उत्पन्न हुआ, और वह दिव्य शक्ति के रूप में उत्पन्न हुईं. उन्हें देवी दुर्गा का नाम दिया गया. हिंदू धर्म में महालया शक्ति के आगमन के रूप में मनाते हैं. देवी दुर्गा ने नौ दिनों तक नौ रूपों में अथक युद्ध करके महिषासुर का वध किया. हिंदू समाज इस दिन को नवरात्रि के रूप में मनाते हैं. गरुड़ पुराण एवं अग्नि पुराण के अनुसार इस दिन जहां देवी दुर्गा की पूजा की जाती है, वहीं इसी दिन पूर्वजों का भी सम्मान किया जाता है. इस दिन परिवार को पितरों और शक्ति के आशीर्वाद का प्रसाद भी प्राप्त होता है.