माघ माह में पड़नेवाली पूर्णिमा को माघ पूर्णिमा अथवा माघी पूर्णिमा कहते हैं. स्नान-ध्यान के लिए सर्वोत्तम माने जाने वाले इस माघ मास का यह अंतिम दिन होने से इसका महत्व काफी बढ़ जाता है. इस दिन श्रद्धालु माँ गंगा अथवा किसी भी पवित्र नदी में डुबकियां लगाकर पुण्य अर्जित करते हैं, और मृत्योपरांत मोक्ष की प्राप्ति करते हैं. आइये जानें क्या है माघी पूर्णिमा का महात्म्य, पूजा एवं मुहूर्त!
माघी पूर्णिमा का महात्म्य!
पुराणों में उल्लेखित है कि माघ मास की पूर्णिमा की रात भगवान विष्णु स्वर्ग लोक के सभी देवतागणों के साथ पृथ्वी पर अवतरित होते हैं और गंगा-यमुना की त्रिवेणी (प्रयागराज) में मानव रूप में स्नान-ध्यान करते हैं. मान्यता है कि इस दिन प्रयागराज में संगम में डुबकियां लगाने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं तथा घर-परिवार में खुशहाली आती है. मान्यता यह भी है कि माघी पूर्णिमा के दिन गंगा-स्नान करने से इंसान के सभी पाप कट जाते हैं. हिंदी पंचांग के मुताबिक इस वर्ष 2022 में माघी पूर्णिमा 16 फरवरी बुधवार को मनाया जाएगा. इस दिन माघी पूर्णिमा का स्नान, व्रत एवं लक्ष्मी पूजा का विशेष विधान है.
माघी पूर्णिमा 2022 शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 09.42 PM (15 फरवरी, मंगलवार, 2022)
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 01.25 AM (16 फरवरी, बुधवार, 2022)
माँ लक्ष्मी और चंद्रमा की होती है पूजा!
माघी पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पूर्व ब्रह्म मुहूर्त में त्रिवेणी अथवा किसी पवित्र नदी तट पर स्नान-दान के बाद नदी में तिल-दान करने का विधान है. मान्यता है कि ऐसा करने से माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं, एवं घर में सुख एवं समृद्धि आती है. इस दिन माँ लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. बहुत से घरों में इस दिन माँ लक्ष्मी के साथ भगवान श्री सत्यनारायण की कथा भी सुनी जाती है. इस दिन गंगा, यमुना एवं सरस्वती की त्रिवेणी अथवा अन्य नदियों के तट पर भव्य मेले का आयोजन भी होता है. गौरतलब है कि प्रयागराज में माघ माह का यह अंतिम स्नान होता है. मान्यता है कि किसी जमाने में इस दिन प्रयागराज के अक्षयवट में श्रद्धालु कुएं में छलांग लगाकर जल समाधि लेते थे. ताकि उन्हें सीधा मोक्ष की प्राप्ति हो. ब्रिटिश काल में उस कुएं को पटवा दिया गया. यह भी पढ़ें : Som Pradosh Vrat 2022: माघ मास का अंतिम दिवस सोम प्रदोष! इस बार बन रहे हैं तीन अद्भुत संयोग! जानें इसका महात्म्य, पूजा विधि एवं शुभ मुहूर्त!
कुण्डली में चंद्र-दोष है तो चंद्रमा की पूजा अवश्य करें!
ज्योतिषियों के अनुसार अगर किसी जातक की कुंडली में आंशिक अथवा पूर्णतः चंद्रदोष है तो उसे इस दिन पूरे विधि-विधान से चंद्रमा की पूजा करनी चाहिए. पूजा से पूर्व सुबह गंगा स्नान कर पूरे दिन व्रत रखने के पश्चात चंद्रोदय होने पर चंद्रमा को अर्घ्य देकर दीप प्रज्जवलित करें, एवं अंत में उनकी आरती उतारें. इस दिन गरीबों अथवा ब्राह्मणों को दान करने से अक्षुण्य पुण्य की प्राप्ति होती है. बहुत से ऐसे लोग जिनकी कुण्डली में चंद्रदोष होता है, वे चांदी का चंद्रमा बनाकर ब्राह्मण को दान करते हैं.