Kamada Ekadashi 2022: राक्षसी-योनि से मुक्ति दिलाने वाली कामदा एकादशी! जानें क्या है इसका महात्म्य, पूजा विधि एवं व्रत-कथा?
कामदा एकादशी व्रत चैत्र शुक्लपक्ष के दिन रखा जाता है. इस एकादशी की खासियत यह है कि इस दिन श्रीहरि और लक्ष्मी जी की साथ में पूजा की जाती है. कामदा एकादशी का शाब्दिक अर्थ है 'इच्छाओं की पूर्ति' वाली एकादशी. इस दिन श्रीहरि एवं लक्ष्मी जी की विशेष कृपा से बरसती है, तथा हजारों वर्ष की तपस्या का पुण्य प्राप्त होता है.
कामदा एकादशी व्रत चैत्र शुक्लपक्ष के दिन रखा जाता है. इस एकादशी की खासियत यह है कि इस दिन श्रीहरि और लक्ष्मी जी की साथ में पूजा की जाती है. कामदा एकादशी का शाब्दिक अर्थ है 'इच्छाओं की पूर्ति' वाली एकादशी. इस दिन श्रीहरि एवं लक्ष्मी जी की विशेष कृपा से बरसती है, तथा हजारों वर्ष की तपस्या का पुण्य प्राप्त होता है. आइये जानें क्या है इस एकादशी का महात्म्य, पूजा विधि एवं व्रत-कथा
कामदा एकादशी का महत्व!
हिंदू मान्यताओं के अनुसार कामदा एकादशी का अन्य एकादशियों से ज्यादा महत्व होता है. इस दिन भगवान विष्णु एवं मां लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करने से जीवन के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं, तथा राक्षस योनि से भी मुक्ति मिलती है. भागवत पुराण के अनुसार इस एकादशी का व्रत एवं पूजा से ब्रह्महत्या जैसे पापों से मुक्ति मिलती है. इस दिन व्रत रखने वाली सुहागन स्त्रियां माँ लक्ष्मी की विशेष कृपा से अखण्ड सौभाग्यवती रहती हैं. घर-परिवार में सुख-शांति एवं ऐश्वर्य आता है. ज्योतिषियों का मानना है कि अगर आपका बच्चा किसी बुरी लत का शिकार है, तो इस व्रत को करने से उसकी सारी बुरी आदतें खत्म हो जाती हैं. अत्यंत फलदायी होने के कारण ही इसे फलदा एकादशी भी कहते हैं.
व्रत एवं पूजा अनुष्ठान!
अन्य एकादशियों के व्रत के नियम अनुसार इस एकादशी व्रत के नियम एक दिन पूर्व दशमी की रात से ही शुरु हो जाते हैं. दशमी की रात सात्विक भोजन कर अगले दिन सूर्यास्त से पूर्व स्नान-ध्यान कर स्वच्छ वस्त्र पहनकर भगवान विष्णु का ध्यान कर व्रत एवं पूजन का संकल्प लेना चाहिए. एक छोटी चौकी को अच्छी तरह धोकर पूजा स्थल के पास इस तरह रखें कि पूजा करते वक्त व्रती का मुंह पूर्व या उत्तर दिशा में हो. चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं. अब आसन पर बैठकर भगवान विष्णु की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान करवाकर चौकी पर स्थापित करें. धूप-दीप प्रज्जवलित कर भगवान विष्णु का आह्वान मंत्र पढ़े.
ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥
भगवान विष्णु को अक्षत, सुपारी, पान, पीला चंदन, पीला पुष्प, मिष्ठान एवं मौसमी फल अर्पित करें, विष्णु चालीसा पढ़े और चाहें तो विष्णु सहस्त्रनाम का जाप कर लें. अंत में विष्णु जी की आरती उतारकर प्रसाद को लोगों में बांट दें. त्रयोदशी की सुबह स्नान करने के पश्चात ब्राह्मण को दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करें. यह भी पढ़ें : Yamuna Chhath 2022 Wishes: यमुना छठ पर इन WhatsApp Messages, Facebook Status, Photo SMS, GIF Greetings के जरिए दें शुभकामनाएं
कामदा एकादशी व्रत कथा
प्राचीनकाल में ललिता नामक अप्सरा और ललित नामक एक गंधर्व जोड़ी थी. वे रत्नपुरा नगर के राजा पुण्डरीक के दरबार में प्रस्तुति देते थे. एक बार, सभी गंधर्वों को राज दरबार में गायन के लिए बुलाया गया. वहां ललित भी आमंत्रित थे. उन्होंने दरबार में सही तरीके से प्रस्तुत नहीं दी, क्योंकि वे पूरे समय अपनी पत्नी ललिता में खोये रहे. यह देख राजा ने क्रोध में आकर ललित को श्राप दिया कि वह कुरूप दानव बन जायेगा. ललित को श्राप की बात जब ललिता को पता चलती है, तो वह उदास हो पति के साथ किसी समाधान के लिए निकल पड़ती है. भटकते-भटकते दोनों ऋषि श्रृंगी के आश्रम पहुंचे. ललिता ने ऋषि से सारी बात बताते हुए कहा कि वे श्राप से मुक्ति का कोई उपाय बताएं. ऋषि उन्हें कामदा एकादशी व्रत रखने की सलाह देते हैं. तब ललिता ने सभी अनुष्ठानों के साथ विधि-विधान से कामदा एकादशी का व्रत एवं पूजन किया. परिणाम स्वरूप वह शाप-मुक्त हो अपने असली रूप में आ गया. इसके बाद से ही लोग अपनी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए कामदा एकादशी का व्रत रखते हैं.