Janaki Jayanti Vrat 2024: कब है सीता जयंती व्रत? क्या है इस व्रत का महात्म्य, एवं व्रत-पूजा के नियम?
Janaki Jayanti Vrat 2024

हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी को माता जानकी का जन्म हुआ था, हिंदू समाज इस दिन को माता जानकी जयंती के रूप मनाया जाता है. यहां बता दें कि गुजरात, महाराष्ट्र एवं दक्षिण भारतीय राज्यों में जानकी जयंती माघ माह के दौरान मनाई जाती है. जानकी जयंती (सीता अष्टमी) के सुहागन औरतें अपने पति की लंबी उम्र और अच्छी सेहत की कामना के लिए व्रत एवं उनकी पूजा-अनुष्ठान करती हैं. इस वर्ष 2024 को 4 मार्च को जानकी जयंती मनाई जाएगी. आइये जानते हैं इस व्रत के महत्व, पूजा-विधि एवं इस व्रत से मिलनेवाले फलों के बारे में..

जानकी जयंती 2024 तिथि एवं मुहूर्त

फाल्गुन कृष्ण पक्ष अष्टमी प्रारंभः 08.44 AM (03 मार्च 2024, रविवार)

फाल्गुन कृष्ण पक्ष अष्टमी समाप्तः 11.05 AM (04 मार्च 2024, सोमवार)

उदया तिथि के अनुसार जानकी जयंती 04 मार्च 2024 को मनाई जाएगी.

श्रीराम-सीता की पूजा का शुभ मुहूर्तः 09.38 AM से 11.05 AM तक

सीता नवमी का महत्व

हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार जानकी जिन्हें माता सीता के नाम से भी जाना जाता है, वह वस्तुतः देवी लक्ष्मी का अवतार हैं. इसलिए जनक जयंती का व्रत एवं पूजा-अर्चना करने से आर्थिक लक्ष्य तो पूरे होते ही हैं, साथ ही दाम्पत्य जीवन में खुशहाली रहती है. चूंकि यह व्रत सुहागन स्त्रियां रखती हैं, तो ऐसा भी माना जाता है कि व्रती महिलाओं को माँ सीता का अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है. ज्योतिषियों के अनुसार जानकी जयंती की पूजा करते समय माँ सीता को सुहाग की वस्तुएं अवश्य अर्पित करनी चाहिए. पूजा के पश्चात ये वस्तुएं किसी सुहागन ब्राह्मणी को दान कर दें. यह भी पढ़ें : सपने में कोई राक्षस या बुरा व्यक्ति दिखे तो इसका क्या आशय हो सकता है? जानें क्या कहता है स्वप्न शास्त्र?

जानकी जयंती व्रत-पूजा के नियम

जानकी जयंती व्रत में सुहागन महिलाओं को केवल जल पीकर व्रत रखना चाहिए. यह संभव नहीं है तो फलाहारी वस्तुएं ले सकती हैं, हालांकि मन्नत पूरी होने पर कुछ महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं. इस दिन व्रती महिलाएं सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि से निवृत्ति होकर स्वच्छ वस्त्र पहनें. इसके पश्चात सीताजी का स्मरण कर निष्ठापूर्वक व्रत एवं पूजा का संकल्प लें. अब घर के मंदिर के सामने एक चौकी बिठाकर उस पर गंगाजल छिड़कें और स्वच्छ लाल या पीला कपड़ा बिछाएं. इस पर श्रीराम-सीताजी की मूर्ति रखें. धूप-दीप प्रज्वलित करें. निम्न मंत्र का निरंतर जाप करते हुए पूजा करें.

ॐ जानकीवल्लभाय नमः

श्रीराम एवं सीता जी को पुष्प, रोली, अबीर, गुलाल, पीला चंदन, सिंदूर तथा सुहाग की पांच वस्तुएं (चूड़ी, सिंदूर, बिंदी, काजल, चुनरी) चढ़ाएं. भोग में पंचमेवा, खीर, एवं फल चढ़ाएं. अंत में श्रीराम एवं सीता जी की आरती उतारें, तथा प्रसाद वितरित करें.