International Literacy Day 2023: क्यों जरूरी है अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस? जानें इसका इतिहास, महत्व एवं टॉप 10 सर्वाधिक निरक्षर देशों की सूची!

यह सच है कि लगभग छः दशक पूर्व अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के बाद से साक्षरता दर का ग्राफ बढ़ा है, लेकिन दूसरी सच्चाई यह भी एक वैश्विक समस्या की तरह निरक्षरता आज भी सुरसा के मुख की तरह फैला हुआ है.

International Literacy Day (Photo Credits: Twitter)

   International Literacy Day 2023: अंतर्राष्ट्रीय समुदायों के साथ दुनिया भर में साक्षरता के महत्व तथा और अधिक साक्षर समाज के निर्माण की पूर्ति के लिए 8 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जाता है. संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक, और सांस्कृतिक संगठन एवं यूनेस्को ने मानवता एवं मानवाधिकारों में शिक्षा के महत्व को समझते हुए साल 1966 में अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस की स्थापना की. इस दिवस विशेष का मुख्य उद्देश्य निरक्षर समाज को चुनौतियों के रूप में स्वीकारते हुए सरकारी, गैर सरकारी, समाजसेवी एवं शिक्षण संस्थाएं अथवा व्यक्ति विशेष अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस का प्रचार-प्रसार करे, और संपूर्ण दुनिया को साक्षर बनाने में अपने योगदान को बढ़ाएं. आइये जानते हैं इस दिवस को मनाने की आवश्यकताओं, इतिहास एवं इससे जुड़ी कुछ अहम फैक्ट के बारे में.

अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस का इतिहास!

साल 1965 में, ईरान की राजधानी तेहरान में निरक्षरता उन्मूलन पर शिक्षा मंत्रियों के विश्व सम्मेलन का आयोजन हुआ था, जहां पहली बार अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस की रूपरेखा गढ़ी गई. सम्मेलन के अगले साल निरक्षरता की वैश्विक समस्या को दूर करने के लिए26 अक्टूबर 1966 को यूनेस्को ने 8 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के रूप में घोषित किया. इसका मुख्य लक्ष्य 'अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को व्यक्तियोंसमुदायों और समाजों के लिए साक्षरता के महत्व की याद दिलानेऔर अधिक साक्षर समाजों की दिशा में गहन प्रयासों की जरूरत पर जोर देना है.बता दें कि सतत विकास के लिए संयुक्त राष्ट्र का 2030 एजेंडा भी साक्षरता को एक प्रमुख उद्देश्य के रूप में मानता है.  

क्यों आवश्यक है पढ़ना-लिखना

* विभिन्न देशों एवं क्षेत्र विशेष के सर्वे बताते हैं, कि दैनिक जीवन में पढ़ने-लिखने से मस्तिष्क की कोशिकाएं स्वस्थ रहती हैं, जिसकी वजह से अल्जाइमर रोग एवं मनोभ्रंश (Dementia) का जोखिम कम होता है.

* साक्षरता की कमी से वयस्कों अथवा बच्चों में समाज के विकास जैसे कार्यों में संलिप्तता कम होती है, जिसकी वजह से उनकी चेतना शक्ति भी विकसित नहीं हो पाती.

* पढ़ना-लिखना बौद्धिक क्षमता को बढ़ाता है, जिससे व्यक्ति विशेष दूसरे किसी भी व्यक्ति के साथ कम्युनिकेशन क्षमता को बढ़ाता है, जिसकी वजह से उसे अपने इमोशंस, विचारों को ज्यादा विस्तृत रूप से प्रस्तुत करने में समर्थ हो पाता है.

* संख्याओं के ज्ञान के साथ-साथ पढ़ना-लिखना अद्वितीय कौशल है, जो सामाजिक और आर्थिक विकास के अवसरों का लाभ उठाने का मौका देता है, जिसकी वजह से आप अपनी निर्धनता और लाचारी को खत्म करके देश के विकास में भागीदार बनते हैं.

आज भी दुनिया निरक्षरता से ग्रस्त है

यह सच है कि लगभग छः दशक पूर्व अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के बाद से साक्षरता दर का ग्राफ बढ़ा है, लेकिन दूसरी सच्चाई यह भी एक वैश्विक समस्या की तरह निरक्षरता आज भी सुरसा के मुख की तरह फैला हुआ है. हालिया शोध से मिली रिपोर्ट बताती है कि आज भी विश्व भर में 740 मिलियन से अधिक वयस्क निरक्षर हैं. दुनिया का कोई भी देश अथवा उनकी संस्कृति निरक्षरता की समस्या से अछूती नहीं है. यहां तक कि दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश कहा जाने वाला अमेरिका भी अपवाद नहीं है, जिसका प्रमाण है वहां का क्राइम रेट. जो अमेरिका को चोटी के दस अपराध बहुल देशों दर्शाता है

उच्चतम निरक्षरता दर वाले टॉप 10 देश (2018 के एक सर्वे के अनुसार)

अल्बानिया: 98%

अल्जीरिया: 81%

अमेरिकन समोआ: 97%

एंटीगुआ और बारबुडा: 99%

अर्जेंटीना: 99%

आर्मेनिया: 100%

अरूबा: 98%

अज़रबैजान: 100%

बहरीन: 97%

बेलारूस: 100%

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