सिलिवरी जेल: तुर्की की सबसे बड़ी जेल में अमानवीय हालात में रह रहे कैदी
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

तुर्की की सिलिवरी जेल यूरोप की सबसे बड़ी हाई-सिक्योरिटी जेल मानी जाती है. यहां साधारण अपराधी, राजनेता, एक्टिविस्ट, पत्रकार और कलाकार भी बंद हैं. मानवाधिकार समूह कहते हैं कि यहां लोग अमानवीय हालात में रहने को मजबूर हैं.पश्चिम तुर्की के शहर इजमिर के मेयर जेमिल तुगाय ने इस हफ्ते की शुरुआत में सिलिवरी में इस्तांबुल के अपदस्थ मेयर इकरम इमामोलु और अन्य राजनीतिक कैदियों से मुलाकात के बाद कहा, "तुर्की का राजनीतिक भविष्य इस जेल की कोठरियों में अंकुरित हो रहा है.”

सिलिवरी जेल को अब आधिकारिक तौर पर मरमारा पेनिटेंटियरीज कैंपस के नाम से जाना जाता है. यह इस्तांबुल से लगभग 70 किलोमीटर दूर सिलिवरी नगरपालिका में स्थित है.

मूल रूप से तुर्की की सबसे बड़ी जेल के तौर पर डिजाइन की गई सिलिवरी जेल 2008 में खोली गई थी. तब से यह यूरोप की सबसे बड़ी हाई-सिक्योरिटी जेल बन गई. 2022 में इसका नाम बदल दिया गया. मानवाधिकार संगठन इसे विपक्षी सदस्यों, असंतुष्टों और कुर्दों के लिए ‘नजरबंदी शिविर' के तौर पर बताते हैं.

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, इस जेल का कैंपस एक वर्ग किलोमीटर से ज्यादा क्षेत्र में फैला हुआ है. इसमें 10 सुधारात्मक संस्थान, एक अस्पताल और कई न्यायालय कक्ष हैं. इसमें 500 आवासीय इकाइयां हैं. साथ ही, एक प्राथमिक विद्यालय, एक किंडरगार्टन, एक शॉपिंग सेंटर और कर्मचारियों के लिए अन्य सुविधाएं भी हैं.

मानवाधिकार को लेकर तुर्की संसद की ओर से की गई एक जांच के अनुसार, शुरू में 11,000 कैदियों के लिए तैयार की गई इस जेल में 2019 के अंत तक कभी-कभी एक ही समय में 23,000 तक कैदी रह रहे थे, जो कि काफी भीड़भाड़ को दिखाता है.

यह जेल तुर्की में दमन का प्रतीक बन गई है, खासकर तब से जब से राजनीतिक गिरफ्तारियों की संख्या में वृद्धि हुई है. यह जेल तुर्की की राजनीति में भी अहम भूमिका निभाती है. यहां विपक्षी नेताओं के साथ-साथ माफिया सरगनाओं तक को रखा जाता है.

सूरजमुखी के खेतों से लेकर यातना तक

इस जेल ने सिलिवरी की मूल पहचान को भी बदल दिया है. सिलिवरी को मूल रूप से इसकी उपजाऊ मिट्टी और सूरजमुखी के खेतों के लिए जाना जाता था. इसका 30 किलोमीटर सुंदर और लंबा समुद्र तट और खुली सोच वाला माहौल इस्तांबुल से आए पर्यटकों को थोड़े समय के लिए आकर्षित करता है.

जाने-माने बुद्धिजीवियों, सरकार के आलोचकों और विपक्षी नेताओं की हिरासत के बाद सिलिवरी की चर्चा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रही है. इकरम इमामोलु को हाल ही में इस जेल में कैद किए जाने के बाद यह एक बार फिर से चर्चा में आ गया है.

इस्तांबुल के अपदस्थ मेयर इमामोलु ही सिलिवरी में एकमात्र प्रमुख कैदी नहीं हैं. प्रसिद्ध मानवाधिकार कार्यकर्ता उस्मान कवाला को 2013 में सरकार विरोधी प्रदर्शनों के साथ मिलकर सरकार को उखाड़ फेंकने की कोशिश करने के आरोप में 2017 से ही वहां रखा गया है.

अन्य प्रमुख कैदियों में अतिराष्ट्रवादी विक्ट्री पार्टी के अध्यक्ष उमित ओजदाग, वामपंथी वर्कर्स पार्टी ऑफ तुर्की (टीआईपी) के सांसद कैन अताले, शिक्षाविद और शहरी योजनाकार तायफुन कहरामान, फिल्म निर्माता सिगडेम मेटर और टैलेंट मैनेजर आयसे बारिम शामिल हैं.

अतीत में, जर्मन मानवाधिकार कार्यकर्ता पीटर स्टुडनर और जर्मन-तुर्की पत्रकार डेनिज युजेल जैसे विदेशी नागरिकों को भी वहां हिरासत में रखा गया है.

जर्मन शहर कोलोन के एक जर्मन-तुर्की सामाजिक कार्यकर्ता आदिल डेमिरसी को 10 महीने तक वहां कैद रखा गया था. बाद में उन्होंने अपने अनुभवों के बारे में एक किताब लिखी, जिसका शीर्षक ‘सेल बी-28' है.

उन्होंने डॉयचे वेले के साथ एक साक्षात्कार में जेल के दमनकारी माहौल के बारे में बताया. उन्होंने कहा, "मुझे शुरू में ब्लॉक 9 में सिंगल सेल में रखा गया था और मैं केवल दरवाजे के माध्यम से पड़ोसी कैदियों से बात कर सकता था. यही एकमात्र तरीका था. बाद में मुझे दो अन्य कैदियों के साथ एक सेल में ले जाया गया.”

ब्लॉक 9 को सिर्फ राजनीतिक कैदियों को रखने के लिए जाना जाता है. तुर्की के अधिकार समूह ‘सिविल सोसाइटी इन द प्रिज़न सिस्टम एसोसिएशन' (सीआईएसएसटी) ने पहले भी इस पर रिपोर्ट की है. 2022 में, सिलिवरी के निवासियों और मेयर ने अनुरोध किया कि जेल का नाम बदल दिया जाए. तब से इसे ‘मरमारा पेनिटेंटियरीज कैंपस' कहा जाता है.

यातना के समान है एकांत कारावास

फोरेंसिक वैज्ञानिक सेबनेम कोरुर फिनकैंसी तुर्की के मानवाधिकार फाउंडेशन (एचआरएफटी) की पूर्व अध्यक्ष और हेसियन शांति पुरस्कार विजेता हैं. वह तुर्की की उच्च सुरक्षा वाली जेलों की स्थितियों को लेकर बहुत चिंतित हैं. उन्होंने कहा कि सिलिवरी में स्थिति चिंताजनक है, क्योंकि कैदियों को एकांत कारावास में रखा जाता है और उनका दूसरों से बहुत कम संपर्क होता है. उन्होंने कहा कि लोगों को बुनियादी सामाजिक संपर्क से वंचित करना यातना का ही एक तरीका है.

उन्होंने बताया कि कई कैदियों ने शिकायत की है कि उनके सेल में सूरज की रोशनी नहीं आती और सर्दियों के महीनों में कंक्रीट के ब्लॉक बहुत ठंडे हो जाते हैं. वह बताती हैं, "ये स्थितियां पहले से ही तनावपूर्ण स्थिति को और भी बढ़ा देती हैं.”

सीआईएसएसटी के मुताबिक, तुर्की की जेलों में बहुत ज्यादा भीड़ है. 2022 में, 265 बंद जेलों में 3,00,000 से ज्यादा कैदी थे. सिर्फ रूस में ही इससे ज्यादा कैदी थे.

फिनकैंसी ने बताया कि हाल ही में हुई गिरफ्तारियों से पहले ही, कई जेलों में क्षमता से 30 फीसदी ज्यादा लोग बंद थे. इससे गंभीर समस्याएं पैदा हुई हैं. जैसे, कैदियों के सोने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है, पानी की पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो रही है, दवाओं की कमी है और स्वच्छता का अभाव है. उन्होंने कहा कि कई बार कैदियों को शिफ्ट में सोना पड़ता है.

विरोधी खेमे के राजनीतिक कैदियों को जानबूझकर एक साथ रखा गया

एचआरएफटी ने यह भी कहा कि वहां परेशान करने वाली एक और प्रवृत्ति भी है. वकीलों ने बताया है कि उनके मुवक्किलों को जानबूझकर विरोधी राजनीतिक खेमे के लोगों के साथ जेल में रखा जा रहा है. फिनकैंसी ने कहा कि यह 1980 के सैन्य तख्तापलट के दौरान और उसके बाद की चिंताजनक स्थितियों की याद दिलाता है.

उन्होंने बताया कि सिलिवरी में वामपंथी और उदार राजनीतिक कैदियों को कट्टरपंथी इस्लामवादियों के साथ जेल में रखा जा रहा है. ऐसे में, जेल में रहने का तनाव और कर्मचारियों की ओर से दिया जाने वाला दबाव, अन्य कैदियों से होने वाले तनाव और उत्पीड़न की वजह से ज्यादा बढ़ जाता है. इसका मतलब है कि डर और अविश्वास का माहौल पहले से ही मुश्किल हालात में फंसे राजनीतिक कैदियों की स्थिति को और खराब कर रहा है.

- एल्मास टोपचू