Indian Navy Day 2020: भारतीय सेना के तीन अंगों में एक है भारतीय नौसेना, जिसका मुख्य कार्य है, भारत की समुद्री सीमाओं की पूरी सजगता और तत्परता से रक्षा करना. विश्व में पांचवी बड़ी शक्ति के रूप में विख्यात भारतीय नौसेना की नींव 17वीं शताब्दी में ईस्ट इंडिया कंपनी ने सूरत (गुजरात) में एक समुद्री सेना के बेड़े की सुरक्षा के लिए स्थापित की थी. इस बेड़े को 'द ऑनरेबल ईस्ट इंडिया कंपनीज मरीन' नाम दिया गया. कुछ समय बाद इसका नाम बदलकर 'द बॉम्बे मरीन' कर दिया गया. प्रथम विश्व युद्ध के दौरान एक बार फिर नौसेना का नया नामकरण किया गया 'रॉयल इंडियन मरीन'. 26 जनवरी 1950 को जब भारत में गणतंत्र स्थापित हुआ तो ब्रिटिश राज्य का प्रतीक समझे जानेवाले 'रॉयल' शब्द को हटा कर भारतीय नौसेना कर दिया गया.
क्यों मनाते हैं 4 दिसंबर को ही 'राष्ट्रीय नौसेना दिवस'
साल 1971 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सेना को मटियामेट करने के इरादे से भारतीय नौसेना ने 4 दिसंबर के दिन 'ऑपरेशन ट्राइडेंट' शुरु किया था. इस मिशन में भारत ने पाकिस्तान के कराची बंदरगाह पर भारी बमबारी करके उसे बुरी तरह तबाह कर दिया था. इस सफलता के बाद पाकिस्तान सैन्य दृष्टि से टूट गया और भारत ने बांग्लादेश को आजाद करवा पाने में कामयाबी हासिल की. इस मिशन में मिली सफलता के कारण ही हम हर वर्ष 4 दिसंबर को भारतीय नौसेना दिवस मनाते हैं. इस दौरान भारतीय नेवी की एक उपलब्धि यह भी थी कि भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान की पीएनएस गाजी पनडुब्बी को भी जल में ही दफन कर दिया था. इस पराक्रम में भारत के युद्धपोत आईएनएस-विक्रांत की शानदार भूमिका रही है.
कहां और कैसे होता है यह आयोजन
भारतीय नौसेना के पश्चिमी नौसेना कमान का मुख्यालय मुंबई में है. इस अवसर पर पश्चिमी कमान के जहाज और नौसैनिक एक साथ इकट्ठा होते हैं और इस दिन को सेलीब्रेट करते हैं. इससे पहले नौसेना के जवान 1 दिसंबर, 2019 को मुंबई में रिहर्सल करते हैं, और अपने कौशलों का प्रदर्शन करते हैं. यह रिहर्सल अरब सागर में किया जाता है. इस दिन जिन कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, उसकी योजना विशाखापट्टनम स्थित भारतीय नौसेना कमान तैयार करती है. इसकी शुरुआत युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि से होती है, तत्पश्चात नौसेना की पनडुब्बियों, जहाजों, विमानों आदि की शक्ति और कौशल का प्रदर्शन किया जाता है. इस अवसर पर नौसेना की ओर से प्रदर्शनी का भी आयोजन किया जाता है. इस प्रदर्शन को देखने के लिए भारी संख्या में लोग इकट्ठे होते हैं, और भारत की समुद्री सामरिक शक्ति को देखकर गर्वान्वित होते हैं.
विश्व की पांचवी शक्ति है भारतीय नौसेना
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात ब्रिटिश हुकूमत ने आजाद भारत को, 32 नौ-परिवहन पोत, करीब 11 हजार अधिकारी और नौसैनिकों का जत्था सौंपा था. उस समय हमारे नौसैनिक बेड़े में पुराने युद्धपोत थे. साल 1961 में भारतीय नौसेना को पहला युद्धपोतक विमान आईएनएस 'विक्रांत' प्राप्त हुआ. करीब 25 साल बाद 1986 में एक और विमानवाही पोत आईएनएस 'विराट' को शामिल किया गया. आज भारतीय नौसेना के पास एक बेड़े में पेट्रोल चालित पनडुब्बियां, 140 युद्धपोत, फ्रिगेट जहाज, कॉर्वेट जहाज, प्रशिक्षण पोत, महासागरीय एवं तटीय सुरंग मार्जक पोत (माइन स्वीपर) और विभिन्न खूबियों और शक्तियों से लैस कई पोत हैं, तथा भारतीय नौसेना की उड्डयन सेवा कोच्चि में आईएनएस 'गरुड़' को भी शामिल किया गया. इसके अलावा, 3 परमाणु पनडुब्बी (न्यूक्लियर मिसाइल के साथ), 6 हजार टन का आईएनएस अरिहंत, 6 न्यूक्लियर अटैक सबमरीन भी निर्माणाधीन हैं. 78 हजार से अधिक सुसज्ज सैनिकों के साथ आज यह विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी नौसेना है.
हर मिशन में मिली सफलता
भारतीय नौसेना ने जल सीमा के जरिये कई बड़े मिशन को सफलता पूर्वक अंजाम दिया. सर्वप्रथम 1961 में नौसेना ने गोवा को पुर्तगालियों से स्वतंत्र करने में थल सेना की मदद की. इसके 10 साल बाद सन 1971 में भारत पाकिस्तान के बीच छिड़े युद्ध में नौसेना ने पाकिस्तानी सैनिकों के मंसूबों को पूरा नहीं होने दिया. देश की सीमा रक्षा के साथ-साथ भारतीय नौसेना ने संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा शांति कायम करने की विभिन्न कार्यवाहियों में भी भाग लिया, जिसमें सोमालिया में संयुक्त राष्ट्र संघ की कार्रवाई प्रमुख है. वर्तमान में भारतीय नौसेना का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है, जो मुख्य नौसेना अधिकारी 'एडमिरल' के नियंत्रण में है. भारतीय नौ सेना तीन क्षेत्रों की कमान (पश्चिम में मुंबई, पूर्व में विशाखापत्तनम और दक्षिण में कोच्चि) तैनात की गई हैं.