
Guillain-Barre Syndrome in Pune: पुणे (Pune) में एक दुर्लभ बीमारी की दस्तक से पुणेवासी चिंतित हैं. गुइलेन बैरे सिंड्रोम (जीबीएस), (Guillain-Barre Syndrome) एक बहुत ही दुर्लभ बीमारी है जो पिछले कुछ दिनों से पुणे में बड़े पैमाने पर फैल रही है. हाल ही में एक महिला के इस बीमारी की चपेट में आने के बाद खबरें सामने आईं कि उसने इस बीमारी पर काबू पा लिया है, क्योंकि डॉक्टरों की एक टीम ने उसका सफलतापूर्वक इलाज किया. हालांकि, अब खबरें हैं कि पुणे में इस दुर्लभ बीमारी के 22 संदिग्ध मरीज पाए गए हैं. शहर के तीन प्रमुख अस्पतालों ने गुइलेन बैरे सिंड्रोम के बढ़ते मामलों के बारे में स्वास्थ्य अधिकारियों को सचेत किया है. डॉक्टरों ने मीडिया को बताया है कि ये मरीज मुख्य रूप से सिंहगढ़ रोड, धायरी और आसपास के इलाकों से हैं. क्या है ये दुर्लभ बीमारी? इसके लक्षण क्या हैं? आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.
पुणे में गुइलेन बैरे सिंड्रोम का प्रकोप
दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल और पुणे अस्पताल की गहन देखभाल इकाई में मरीजों को भर्ती कराए जाने के बाद, सिंहगढ़ रोड क्षेत्र से पुणे नगर निगम को एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल विकार, गुइलेन बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के कम से कम 22 संदिग्ध मामले सामने आए हैं.
पीएमसी के सहायक चिकित्सा अधिकारी डॉ. वैशाली जाधव ने घटना की पुष्टि की और कहा कि नागरिक निकाय स्थिति की निगरानी के लिए प्रभावित क्षेत्र में एक टीम भेजेगा.
उन्होंने कहा कि वर्तमान में हमने पीएमसी में छह मरीजों से रक्त के नमूने एकत्र किए हैं और उन्हें आगे की जांच के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद- राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (आईसीएमआर-एनआईवी) को भेज दिया है. यह भी पढ़ें: What Is Guillain-Barre Syndrome? गिलेन बैरे सिंड्रोम क्या है, जानें इस दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल विकार के बारे में; पुणे में आ चुके हैं 26 केस
क्या है ये दुर्लभ बीमारी?
गुइलेन बैरे सिंड्रोम (GBS) एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल विकार है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से नसों (Nerves) पर हमला करती है. इसका असर मुख्य रूप से शरीर की परिधीय नसों पर पड़ता है. इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को मांसपेशियों में कमजोरी, झुनझुनी और गंभीर मामलों में लकवा तक हो सकता है.
आमतौर पर किसी बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण के बाद यह स्थिति विकसित होती है और संक्रमण के दौरान प्रतिरक्षा प्रणाली का ओवररिएक्शन नसों को नुकसान पहुंचाने लगता है. इसक दुर्लभ बीमारी के लक्षण संक्रमित होने के कुछ दिनों या हफ्तों में गंभीर हो सकते हैं. हालांकि इसका सटीक कारण स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह दूषित भोजन, पानी या कैंपिलोबैक्टर (Campylobacter) बैक्टीरिया से जुड़ा होता है.
गुइलेन बैरे सिंड्रोम के लक्षण
गुइलेन बैरे सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति के हाथ-पैरों में झुनझुनी और सुन्नता हो सकती है. इसके आलावा उन्हें मांसपेशियों में कमजोरी और चलने-फिरने में दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है. साथ ही गंभीर मामलों में मरीज को सांस लेने और निगलने में कठिनाई महसूस हो सकती है.
गुइलेन बैरे सिंड्रोम का इलाज
गुइलेन बैरे सिंड्रोम से संक्रमित व्यक्ति को इम्यूनोथेरेपी दी जाती है, जिसमें इंट्रावीनस इम्यूनोग्लोबुलिन (IVIG) और प्लाज्मा एक्सचेंज शामिल हैं, जो नसों को नुकसान से बचाते हैं और जल्दी ठीक होने में मदद करते हैं. इसके अलावा मरीजों के इलाज के लिए फिजियोथेरेपी की मदद ली जा सकती है और गंभीर मामलों में वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत पड़ सकती है. हालांकि इस बीमारी से पीड़ित अधिकांश मरीज समय के साथ पूरी तरह से ठीक भी हो जाते हैं.