मानव शरीर में रक्त विभिन्न किस्म की कोशिकाओं (cells) से बनता है. उदाहरणार्थ लाल रक्त कणिकाएं (RBC), श्वेत रक्त कणिकाएं (WBC) व प्लेटलेट्स (thrombocytosis). तीनों की अलग भूमिका होती है. इन तीनों कणिकाओं का समान महत्व होता है, इसके बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती. प्लेटलेट के संदर्भ में चिकित्सक बताते हैं, -किसी भी तरह की चोट अथवा कटने-फटने पर रक्त को बहने से रोकने के लिए प्लेटलेट उसे थक्का बनाते हैं, जिसकी वजह से ज्यादा रक्त बहने नहीं पाता. इन्हें ब्लड क्लॉटिंग सेल्स भी कहते हैं. हमारे शरीर में प्रति माइक्रोलीटर रक्त में डेढ़ से चार लाख प्लेटलेट होते हैं. इनकी संख्या घटकर जब डेढ़ लाख से कम होती है तो इसे थ्रोम्बोसाइटोपेनिया कहते हैं, वहीं 4 लाख से अधिक प्लेटलेट काउंट को थ्रोम्बोसाइटोसिस कहते हैं.
प्लेटलेट में कमी किन बीमारियों के संकेत हो सकते हैं
मानव में तेजी से घटते प्लेटलेट्स काउंट के पीछे डेंगू, एचआईवी अथवा चिकनपॉक्स जैसे गंभीर वायरल संक्रमण हो सकते हैं. इसके अलावा फोलेट और विटामिन बी 12 की कमी, अत्यधिक मद्यपान, ल्यूकेमिया, कीमोथेरेपी एवं दवाओं के साइड इफेक्ट्स से भी प्लेटलेट्स की संख्या में कमी हो सकती है.
प्लेटलेट कम होने के लक्षण
बिना काम किये अत्यधिक थकान होना
मसूड़ों से खून आना
नाक से खून आना
महिलाओं में हैवी मेंस्ट्रुअल फ्लो
घावों से ज्यादा समय तक रक्त बहना
पेशाब तथा मल में रक्त का आना
गिलोय (Tinospora cordifolia)
एक शोध से पता चला है कि गिलोय के इस्तेमाल से प्लेटलेट की संख्या में वृद्धि होती है. इसमें एल्कलॉइड, स्टेरॉयड, डाइटरपेनॉइड लैक्टोन और एलिफैटिक प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. ग्लाइकोसाइड्स में मधुमेह रोधी, ऐंठन रोधी, गठिया रोधी, सूजनरोधी, मलेरिया रोधी, एंटीऑक्सीडेंट, एलर्जी रोधी, कुष्ठ रोधी, और हेपाटो प्रोटेक्टिव गुण होते हैं. गिलोय के 4-5 सेमी लंबे डंठल को 2 गिलास पानी में रात भर भिगोकर रखें. सुबह इसकी मात्रा आधी होने तक उबालें. प्रत्येक दिन आधा गिलास गिलोय का पानी दो बार पीने से अपेक्षित लाभ मिलता है.
एलोवेरा
विभिन्न शोधों में एलोवेरा में भी प्लेटलेट काउंट सुधारने के लिए लाभकारी होने के प्रमाण मिले हैं. एलोवेरा के अर्क से प्लेटलेट काउंट में खासी वृद्धि होती है. एलोवेरा में एंटी-वायरल गुण होते हैं, इसका इस्तेमाल रक्त ग्लूकोज और रक्त लिपिड को कम करने के लिए किया जाता है. एलोवेरा की आधी पत्ती के जेल को पानी या किसी अन्य जूस में मिलाकर पीने से लाभ होता है.
सहजन (drumstick)
कम लोग जानते होंगे कि सहजन का पेड़ 300 से अधिक बीमारियों का इलाज करता है. इसमें संतरे की तुलना में 7 गुना अधिक विटामिन सी होता है. यह तमाम विटामिन, खनिज, लौह एवं कैल्शियम का हर्बल भंडार है. यह केवल एंटीऑक्सीडेंट ही नहीं है, बल्कि इसमें एंटी-ट्यूमर, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-ट्यूमर भी प्रचुर मात्रा में होते हैं. सहजन की पत्तियों को सुखाकर अथवा ताजा पकाकर खाया जा सकता है.
संतरा
एक संतरे में लगभग 51 मिलीग्राम विटामिन सी होता है. रक्त संरचना एवं इसकी आदर्श मात्रा को बनाये रखने के लिए प्रतिदिन एक गिलास संतरे के रस का सेवन बहुत लाभकारी होता है.
कीवी
एक कीवी में करीब 64 मिलीग्राम विटामिन सी होता है. मोरिंगा, पालक और खजूर आयरन से भरपूर होते हैं.
गाजर जैसे बहुरंगी फल और सब्जियां, टमाटर, ब्रोकोली और स्ट्रॉबेरी में विभिन्न पोषक तत्व मौजूद होते हैं. ये तमाम विटामिन और खनिजों की कमी को दूर करते हैं.
फोलिक एसिड
शरीर में फोलेट की कमी होने से रक्त प्लेटलेट्स के उत्पादन में कमी हो सकती है. फोलिक एसिड या विटामिन बी-9 स्वस्थ रहने में मदद करता है. गौरतलब है कि हर 10 दिन में प्लेटलेट्स मर जाते हैं. उबले हुए पालक में फोलिक एसिड भरपूर मात्रा में होता है. प्रतिदिन आधा कटोरी उबला पालक या एक गिलास पालक जूस का सेवन रोजाना किया जा सकता है.
आयरन
आरबीसी और प्लेटलेट के स्तर को बनाए रखने के लिए आयरन युक्त खाद्य पदार्थों की आवश्यकता होती है. गंभीर थ्रोम्बोसाइटोपेनिया या कम प्लेटलेट काउंट एनीमिया या आयरन की कमी से जुड़ा है. आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थों में बीन्स, दाल, टोफू, अमरूद, कच्चे केले, पालक, सेब, कद्दू के बीज शामिल हैं.