Plasma Therapy: कोरोना वायरस से गंभीर रूप से संक्रमित मरीजों को बचाने की पुरजोर कोशिशें जारी हैं, साथ ही सरकार कोविड से होने वाली मौतों की दर को कम करने के लिए प्रयासरत है. इस दिशा में कई दवाइयों के ट्रायल को मंजूरी दी गई है. साथ ही प्लाज़मा थैरपी भी एक बड़ी उम्मीद बन कर उभरी है. प्लाज़मा थैरेपी के टायल की सफलता के बाद राजधानी दिल्ली में प्लाज़मा बैंक बनाने का ऐलान किया गया है. ऐसे में अगर कोई प्लाज़मा डोनेट करना चाहता है, तो कोरोना से ठीक होने के 28 दिन बाद डोनेट कर सकता है.
प्लाजमा थैरपी के बारे में और अहम जानकारी देते हुए लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज की प्रोफेसर डॉ. अपर्णा अग्रवाल ने बताया कि प्लाजमा थैरपी ऐसे मरीजों को दी जाती है, जो ऑक्सीजन और वेंटिलेटर के बाद भी रिकवर नहीं करते हैं. मरीजों को बचाने के लिए कई दवाइयों और प्लाज़मा थैरपी का प्रयोग किया जा रहा है. उनमें प्लाजमा थैरपी के परिणाम काफी अच्छे रहे. प्लाजमा थैरिपी का भी अभी ट्रायल हो रहा है, वो इसलिए क्योंकि अभी कोरोना वायरस की कोई दवा नहीं है और इसे दवा या वैक्सीन नहीं माना जा सकता है. इसलिए इसे ट्रायल ही बोला जा रहा है.
गंभीर रूप से संक्रमित के लिए प्लजमा उम्मीद
प्लाजमा थैरपी क्या है और कौन हो सकता है डोनर? इस बारे में डॉ. अपर्णा ने बताया कि प्लाज़मा थैरपी में ब्लड से प्लाजमा अलग करके मरीजों को दिया जाता है. इसका प्रयोग पहले भी कई अन्य बीमारियों में किया जा चुका है. कोरोना वायरस की बात करें तो संक्रमित मरीज जब ठीक हो जाता है तो उसके शरीर में एंटीबॉडी बनते हैं। ये एंटीबॉडी व्यक्ति के ब्लड के अंदर मौजूद प्लाजमा में होते हैं. उसे निकाल कर गंभीर रूप से संक्रमित व्यक्ति को चढ़ाते हैं तो वो जल्दी रिकवर हो जाते हैं. हाल ही में दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री को प्लाज़मा चढ़ाया गया। उनकी सेहत में बहुत तेज़ी से सुधार हो रहा है.
देश में कोरोना वायरस के संक्रमण से ठीक होने वाले मरीजों की संख्या बहुत ज्यादा है. हांलाकि उनमें से कुछ मरीज ऐसे हैं जो गंभीर रूप से संक्रमित हैं औऱ उनकी जान बचाने के लिए प्लाजमा की जरूरत पड़ती है. ऐसे में ठीक हुए मरीजों से अपील की जा रही है कि बिना भयभीत हुए अपने प्लाजमा को डोनेट करें. डॉ. अपर्णा कहती हैं संक्रमण से ठीक होने के 28 दिन के बाद कोई भी व्यक्ति प्लाज़मा डोनेट कर सकता है. इसमें खास तौर पर वो जो लक्षण वाले मरीज होते हैं, उनका प्लाज़मा ज्यादा असरकारी होता है क्योंकि उनमें एंटीबॉडी का स्तर ज्यादा होता है. इसके अलावा कोई भी प्लाज़मा डोनेट करता है तो उस पर कोई असर नहीं पड़ता है. वह 200 ml से 250 ml तक लेते हैं. मरीज को भी 200 ml तक ही देते हैं.
उन्होंने कहा कि प्लाज़मा डोनेट करने के लिए दिल्ली सरकार प्लाज़मा बैंक बनाने जा रही है. उसके बाद वो खुद सारे नियम बताएंगे. इसके अलावा अभी किसी भी ब्लड बैंक में जाकर डोनेट कर सकते हैं या किसी कोविड केयर हॉस्पिटलसे संपर्क कर सकते हैं. प्लाजमा डोनेट करने का नियम भी ब्लड डोनेट करने जैसा ही है, कुछ भी अलग नहीं.