Home Isolation Tips: होम आइसोलेशन में क्या है जरूरी, स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने दी टिप्स
वायरस का खतरा अभी खत्म नहीं हुआ है पूरे देश में संक्रमण की संख्या बढ रही है, लेकिन सावधानी रख कर वायरस के अटैक से बचा जा सकता है. डॉ वेद ने लोगों के मन में अभी बाहरी वस्तुओं के लाने या खरीदने पर वायरस के संक्रमण पर बताया कि सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और हैंड सेनिटाइजर तो जरूरी है.
दिल्ली में बढ़ते संक्रमण को देखते हुए हाल ही में कई अहम फैसले लिए गए. जिनमें कंटेनमेंट ज़ोन में रैपिड एंटीजन टेस्ट कराने के साथ-साथ कम लक्षण वालों को होम आइसोलेशन में रहने की हिदायत दी गई है. लेकिन होम आइसोलेशन में रह रहे मरीजों को किस बात का ध्यान रखना है, इससे जुड़ी कई अहम जानकारी गंगाराम हॉस्पिटल, नई दिल्ली के डॉ. लेफ्टिनेंट जनरल वेद चतुर्वेदी ने दी.
प्रसार भारती से बातचीत में डॉ. चतुर्वेदी का कहना है कि कम लक्षण वालें मरीजों को होम आइसोलेशन में जाने को कहा गया है. ऐसे में घर पर रहते हुए उन्हें क्या खास ध्यान देना है. अगर हल्के लक्षण हैं तो अस्पताल से सुरक्षित घर है. इसके लिए घर में किसी का साथ होना जरूरी है, जो मरीज की सेहत पर ध्यान दे. इसके साथ किसी डॉक्टर से संपर्क में रहें। अगर अस्पताल से संपर्क नहीं हो रहा है तो किसी जान-पहचान या आस-पास के डॉक्टर से संपर्क कर लें और उन्हें फोन पर ही अपना हाल बताते रहें. अभी कोई दवाई नहीं है इसलिए डॉक्टर आपको जो भी उचित दवाई बताते हैं, उसे लें. घबराना नहीं है, पल्स ऑक्सीमिटर भी रख सकते हैं, जिससे पल्स जांच सकते हैं. इसमें अगर 95-96 तक पल्स है तो सही है लेकिन अगर 93 से कम है तो कुछ पेरशानी है. जब सांस भारी हो, तो मतलब वायरस फेफड़े में पहुंच रहा है और ऑक्सीजन की जरूरत होती है. घर में भी ऑक्सीजन की व्यवस्था अब हो जाती है, इसके बावजूद सुधार नहीं हुआ तब वेंटिलेटर के लिए अस्पताल की जरूरत पड़ेगी.
वायरस लोड से नहीं है संक्रमण का खतरा
इस दौरान उन्होंने अखबार, सब्जी, नोट आदि से कोरोना का संक्रमण पर कहा कि एक रिपोर्ट आई है जिसके अनुसार अगर किसी वस्तु पर वायरस लोड है यानी हाथ पर, अखबार, नोट या सब्जी से संपर्क में कोई आ गया और उस पर वायरस है फिर भी घबराने की जरूरत नहीं है. क्योंकि ये वायरस बीमारी फैलाने वाले नहीं होते, इनमें उतना प्रभाव नहीं होता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि बीमारी सीधे संक्रमित के संपर्क में आने पर होती है. वो भी तब, जब संक्रमित और सामने वाला व्यक्ति दोनों मास्क नहीं लगाए हैं, काफी नज़दीकी संपर्क में आ कर बात करते हैं या आपके सामने संक्रमित के खांसने या छींकने से फैलता है. अगर कोई संक्रमित सभी नियमों का पालन कर रहा है तो संक्रमण नहीं फैलेगा.
वायरस और बैक्टीरिया में अंतर
वायरस का खतरा अभी खत्म नहीं हुआ है पूरे देश में संक्रमण की संख्या बढ रही है, लेकिन सावधानी रख कर वायरस के अटैक से बचा जा सकता है. डॉ वेद ने लोगों के मन में अभी बाहरी वस्तुओं के लाने या खरीदने पर वायरस के संक्रमण पर बताया कि सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और हैंड सेनिटाइजर तो जरूरी है. अगर घर पर सामान ला रहे हैं तो उसे साफ कर लें. उन्होंने बताया कि वायरस और बैक्टीरिया में अंतर होता है, बैक्टीरिया एक का दो करते बढ़ता है. लेकिन वायरस जब तक शरीर के बाहर है तब तक नहीं बढ़ता. इसलिए अगर कोई सामान लाते हैं और कुछ घंटे के लिए छोड़ दें। 24-36 घंटे में तो वायरस अपने आप नष्ट हो जाता है. कई सामान ऐसे होते हैं जिन्हें धो नहीं सकते, ऐसे सामान कुछ घंटों के लिए छोड़ दें.
एंटीजन टेस्ट एंटीबॉडी का करता है पता
वहीं एंटीजन टेस्ट के बारे में बताते हुए कहा कि वायरस के उपरी कोट को एंटीजन कहते हैं. रेपिड एंटीजेन टेस्ट में वायरस के एंटीजन को लेते हैं और मरीज के ब्लड या सीरम को लेकर उसमें डालते हैं. अगर वायरस के खिलाफ शरीर में एंटीबॉडी मिलते हैं तो इसका मतलब होता है कि व्यक्ति के शरीर में वायरस ने अटैक किया है और उसके अंदर एंटीबॉडी मौजूद हैं। इसे एंटीजन टेस्ट कहते हैं. यह सस्ता भी है. यह टेस्ट संक्रमण के करीब 4 दिन बाद ही किया जाता है और इसमें 99 प्रतिशत सही परिणाम आते हैं. अगर किसी को लगता है कि जांच नेगेटिव आ रही है, लेकिन लक्षण लग रहे हैं तो फिर आरटी-पीसीआर टेस्ट जरूरी होता है.
सामान्य बीमारी की तरह ही ठीक हो रहे हैं लोग
इस दौरान उन्होंने कहा कि सबसे पहली बात यह कि कोई ठीक हो गया है तो बार-बार ये नहीं कहें कि इन्हें कोरोना हुआ था. जैसे कोई सामान्य बीमारी से ठीक होता है, वैसे ही वायरस से भी ठीक होता है. जो संक्रमित है उसके शरीर में एंटीबॉडी बन जाते हैं. ऐसे लोग समाज के लिए काफी उपयोगी है, प्लाजमा के जरिए एंटीबॉडी देकर किसी मरीज की जान बचा सकते हैं. लेकिन ठीक होने के बाद एक सामान्य लोग की तरह हैं। हांलाकि उन्हें भी सभी की तरह ही रहना होता है.
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