
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने देश के कई हिस्सों में हीटवेव (लू) को लेकर अलर्ट जारी किया है. महाराष्ट्र, ओडिशा, कर्नाटक, गोवा और झारखंड जैसे राज्यों में हीटवेव की शुरुआत हो चुकी है, जिससे जनस्वास्थ्य को गंभीर खतरा पैदा हो सकता है. इसके अलावा दिल्ली सहित पूरे उत्तर भारत में भी गर्मी ने दस्तक दे दी है. अत्यधिक गर्मी न केवल असहनीय होती है, बल्कि कई बार यह जानलेवा भी साबित हो सकती है. इसमें डिहाइड्रेशन, चक्कर आना और बेहोशी जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं.
हर साल, हीटवेव के कारण कई लोगों की मौत हो जाती है, जिससे यह जानना बेहद जरूरी हो जाता है कि हम इस दौरान खुद को सुरक्षित कैसे रख सकते हैं. लगातार तेज गर्मी से शरीर और दिमाग पर गहरा असर पड़ता है, जो कई बार तुरंत नजर नहीं आता. आखिर हीटवेव क्या होती है और यह हमारे जीवन को कैसे प्रभावित करती है? आइए विस्तार से समझते हैं.
हीटवेव (लू) क्या होती है?
विश्व मौसम संगठन (WMO) के अनुसार, हीटवेव एक ऐसी स्थिति है जिसमें लगातार कई दिनों तक अत्यधिक गर्मी पड़ती है, जिससे दिन और रात दोनों का तापमान असामान्य रूप से अधिक हो जाता है. इस दौरान रात का तापमान भी काफी गर्म रहता है, जिससे शरीर को ठंडा होने का पर्याप्त समय नहीं मिल पाता.
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) की रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण हीटवेव की अवधि लंबी होती जा रही है, साथ ही इनकी तीव्रता और बारंबारता भी बढ़ रही है.
हीटवेव क्यों होती है?
हीटवेव एक प्राकृतिक मौसम संबंधी घटना है, जो तब होती है जब गर्म हवा वायुमंडल में फंस जाती है. लेकिन जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के कारण यह समस्या अब और भी गंभीर हो गई है. ग्रीनहाउस गैसों के बढ़ते उत्सर्जन के कारण पृथ्वी की सतह अधिक गर्म हो रही है, जिससे लू के मामले बढ़ते जा रहे हैं.
हीटवेव का शरीर पर प्रभाव
- हीटवेव से शरीर पर कई नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं, जो कई बार गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं.
- अत्यधिक गर्मी से हीट स्ट्रोक, डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) और हीट एग्जॉशन जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
- बुजुर्ग, बच्चे, गर्भवती महिलाएं और बीमार लोग इस दौरान अधिक खतरे में होते हैं.
- हीट स्ट्रोक एक गंभीर स्थिति है, जिसमें शरीर का तापमान खतरनाक स्तर तक बढ़ सकता है, जिससे मस्तिष्क और अन्य महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान हो सकता है.
- गर्भवती महिलाओं पर हीटवेव का गंभीर असर पड़ सकता है. अत्यधिक गर्मी से कम वजन के शिशु का जन्म, समय से पहले प्रसव और गर्भावस्था में जटिलताएं बढ़ सकती हैं.
- इसके अलावा लगातार गर्मी झेलने से दिल का दौरा पड़ने की संभावना भी बढ़ जाती है, क्योंकि शरीर को ठंडा रखने के प्रयास में दिल पर अधिक दबाव पड़ता है.
- अत्यधिक गर्मी के कारण किडनी पर भी असर पड़ सकता है और किडनी डैमेज होने का खतरा बढ़ जाता है.
हीटवेव से बचाव के उपाय
क्या करें?
- पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं, भले ही प्यास न लगी हो.
- ओआरएस (ORS), नींबू पानी, लस्सी, छाछ और फलों के रस जैसे तरल पदार्थों का सेवन करें.
- हल्के रंग के ढीले और सूती कपड़े पहनें.
- बाहर निकलते समय छाता, टोपी, चश्मा, हेलमेट और जूते पहनकर ही बाहर जाएं.
- अपने सिर और हाथ-पैरों को गीले कपड़े से ठंडा रखें.
क्या न करें?
- दोपहर 12 से 3 बजे के बीच बाहर निकलने से बचें.
- ज्यादा मेहनत वाले काम और भारी व्यायाम करने से बचें.
- चाय, कॉफी और शराब जैसे पेय पदार्थों का सेवन कम करें, क्योंकि ये शरीर को डिहाइड्रेट कर सकते हैं.
- बासी और ज्यादा प्रोटीन युक्त भोजन न करें, क्योंकि इससे शरीर में गर्मी बढ़ सकती है.
बच्चों और पालतू जानवरों को कभी भी बंद कार में न छोड़ें.
हीटवेव एक गंभीर प्राकृतिक आपदा बन चुकी है, जो सीधे हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है. अत्यधिक गर्मी से बचाव के लिए हमें खुद को हाइड्रेटेड रखना, सही खान-पान अपनाना और धूप से बचने के उपाय करने चाहिए. अगर किसी को हीट स्ट्रोक या डिहाइड्रेशन के लक्षण महसूस हों, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.