कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को लेकर हर दिन स्वास्थ्य मंत्रालय और तमाम विशेषज्ञ रिसर्च कर रहे हैं. ऐसे में यह बात सामने आई है कि कोमोरबिडिटी वाले लोगों में वायरस का संक्रमण ज्यादा हो रहा है. इसके अलावा वायरस के कुछ अन्य लक्षण सामने आने के बाद एक बार फिर लोगों में भय का माहौल है. हांलाकि स्वास्थ्य विशेषज्ञ के मुताबिक इन लक्षणों के मामलों की संख्या काफी कम है. इसलिए परेशान होने के जरूरत नहीं है. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉ. ए के वार्ष्णेय के अनुसार संक्रमित लोगों में कई बार शरीर पर लाल रंग के निशान, डायरिया, मिर्गी के दौरे, या कुछ लोगों में ब्रेन से संबंधित जैसे कई लक्षण सामने आए. लेकिन ऐसे लक्षण वाले केस काफी कम हैं. वायरस के सामान्य मुख्य लक्षण बुखार, खांसी और सांस में तकलीफ ही हैं. 90-95 प्रतिशत वायरस से संक्रमित लोगों को बुखार जरूर होता है. लेकिन जिनमें अन्य लक्षण होते हैं, उनका इलाज डॉक्टर कर रहे हैं. हांलाकि जो अलग लक्षण आ रहे हैं उनका कारण वायरस ही है कोई अन्य अभी कुछ सामने नहीं आया है. क्योंकि कई ऐसी बीमारी मौसम वाली होती हैं जिनमें ये लक्षण सामान्य हैं.
कोमोरबिडिटी वाले लोगों में वायरस का संक्रमण की संभावना ज्यादा:
हाल ही में गृह मंत्रालय ने कहा था कि कोमोरबिडिटी वाले लोगों में वायरस का संक्रमण जल्दी होता है. इस बारे में डॉ. वार्ष्णेय ने बताया कि कोमोरबिडिटी का मतलब उन लोगों से है, जिन्हें पहले से कोई गंभीर बीमारी है. जैसे डायबिटीज़, ब्लड प्रेशर, अस्थमा, फेफड़े की बीमारी, एचआईवी, कैंसर जैसी गंभीर बीमारी है. ऐसे लोगों में इम्यूनिटी कम हो जाती है और जब संक्रमण होता है, तो वायरस गंभीर रूप से अटैक करता है. वायरस उनके फेफड़ों में तुंरत पहुंच जाता है और उन्हें सांस लेने में परेशानी होने लगती है. इसमें ज्यादातर बुजुर्ग और प्रेगनेंट महिलाएं आती हैं. क्योंकि प्रेगनेंट महिलाओं की भी इम्यूनिटी कम हो जाती है. ऐसे लोगों को अपना खास ध्यान रखना चाहिए.
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लोगों को निभानी होगी जिम्मेदारी:
देश में कोरोना वायरस से संक्रमितों की संख्या एक लाख से पार पहुंच गई है. इसे लेकर डॉ. वार्ष्णेय ने कहा कि सभी जानते हैं कि संक्रमित के संपर्क में आने से ही वायरस फैलता है और हमारे देश में ऐसे संक्रमित भी हैं जिनमें लक्षण नहीं नजर आते हैं. हमारा देश इतना बड़ा है और लोग भी ज्यादा हैं. अब जब लॉकडाउन में कई जगह ढील दी गई है तो जाहिर है सभी जगह नियमों का पालन नहीं हो पाता. कहीं कोई मास्क नहीं लगाता, तो कहीं भीड़ हो जाती है. ऐसे में संक्रमण की संभावना बनी रहती है.
सरकार अपनी ओर से पूरी कोशिश कर रही है, लेकिन अब देश के नागरिकों का कर्तव्य है कि उन्हें कैसे वायरस से खुद को दूसरों को भी बचाना है. सरकार ने जो नियम बनाए हैं - आटो में एक सवारी या कैब में दो सवारी ही बैठ सकते हैं, इन्हें निभाना अब हमारी जिम्मेदारी है. अगर कोई मास्क नहीं पहनता तो दूसरे लोग उसे समझाएं पहनने के लिए कहें. दुकानदार भी ग्रहकों को बताएं की मास्क लगाना जरूरी है. इस बात का ध्यान रखना है कि मास्क निकालना नहीं है. ऑफिस जा रहे हैं तो हाथ नहीं मिलाना है. अगर नियमों का पालन करेंगे तो रिस्क कम हो जाएगा. मामलों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन हमारे यहां रिकवरी रेट काफी अच्छा है. ठीक होने का रेट करीब 38 प्रतिशत तक पहुंच गया है.