क्या सिरदर्द बन सकता है आत्महत्या का कारण? 25 साल की स्टडी में मिला चौंकाने वाला जवाब
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सिरदर्द एक आम समस्या लगती है. लोगों को कई अलग अलग कारणों से आए दिन इससे जूझना पड़ता है. हर किसी के पास इसका अलग इलाज भी होता है, जिससे कुछ ही समय में इससे आराम भी मिल जाता है. लेकिन क्या आम लगने वाला यह सिरदर्द आत्महत्या के खतरे को बढ़ा सकता है? यह सवाल कुछ अजीब जरूर है लेकिन इसका जवाब आपको हैरान कर देगा. एक स्टडी में सिरदर्द को लेकर जो खुलासा हुआ है उससे हर कोई चौंक गया है.

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डेनमार्क की आरहस यूनिवर्सिटी (Aarhus University) के शोधकर्ताओं ने 25 साल की एक लंबी स्टडी में इस सवाल का जवाब खोजा है. इस अध्ययन के नतीजे JAMA Neurology जर्नल में पब्लिश हुए हैं, जिसमें यह पाया गया कि सिरदर्द से जूझ रहे लोगों में आत्महत्या का खतरा ज्यादा होता है.

कौन-कौन से सिरदर्द से आत्महत्या का खतरा बढ़ता है?

शोध में माइग्रेन, टेंशन-टाइप हेडेक (तनावजनित सिरदर्द), पोस्ट-ट्रॉमैटिक हेडेक और ट्राइजेमिनल ऑटोनॉमिक सेफेलाल्जिया जैसी बीमारियों से ग्रसित लोगों पर अध्ययन किया गया. इससे यह पता चला कि जो लोग लंबे समय तक सिरदर्द से जूझते हैं, उनमें मनोवैज्ञानिक समस्याएं बढ़ सकती हैं और आत्महत्या की प्रवृत्ति विकसित हो सकती है.

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स्टडी के प्रमुख नतीजे

1,19,486 लोगों पर यह अध्ययन किया गया, जिसमें 5,97,430 प्रतिभागियों के सिरदर्द विकारों से मिलते-जुलते लक्षण पाए गए. 0.78% लोगों ने आत्महत्या का प्रयास किया, जबकि सामान्य सिरदर्द वाले लोगों में यह आंकड़ा 0.33% था. 15 साल की अवधि में 0.21% मामलों में आत्महत्या पूरी तरह सफल रही, जबकि अन्य सिरदर्द विकारों में यह आंकड़ा 0.15% था.

माइग्रेन से पीड़ित लोगों में आत्महत्या का अनुपात 1.71 और पूरी तरह सफल आत्महत्या का अनुपात 1.09 पाया गया.

सिरदर्द से और कौन-सी बीमारियां जुड़ी होती हैं?

शोध में यह भी पाया गया कि सिरदर्द की समस्या सिर्फ मानसिक ही नहीं, बल्कि शारीरिक बीमारियों से भी जुड़ी होती है. इन बीमारियों में शामिल हैं: कैंसर, हृदय रोग (Cardiovascular Disease), क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD), ब्रेन स्ट्रोक, सिर में चोट लगना, मूड डिसऑर्डर और डिप्रेशन, नशे की लत

सभी उम्र और वर्गों पर समान असर

यह भी देखा गया कि आयु, लिंग, शिक्षा और आय स्तर के बावजूद सिरदर्द और आत्महत्या के बीच गहरा संबंध पाया गया. हालांकि, जो लोग पहले से मूड डिसऑर्डर या नशे की लत से जूझ रहे थे, उनमें यह खतरा थोड़ा कम था लेकिन फिर भी मौजूद था.

क्या है समाधान?

शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया कि सिरदर्द से पीड़ित लोगों को मानसिक स्वास्थ्य जांच और मनोवैज्ञानिक परामर्श की आवश्यकता हो सकती है. इसका मतलब यह है कि सिरदर्द को केवल दवाओं से ठीक करने के बजाय मानसिक और भावनात्मक पहलुओं पर भी ध्यान देना जरूरी है.

डिस्क्लेमर: यह लेख शोध के आधार पर है और सिर्फ जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से लिखा गया है. किसी भी स्वास्थ्य समस्या से संबंधित प्रश्नों के लिए हमेशा डॉक्टर से परामर्श लें.