हनुमान जयंती : हिंदू धर्मानुसार चैत्र मास की पूर्णिमा के दिन हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti) मनायी जाती है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष 27 अप्रैल मंगलवार के दिन यह पर्व मनाया जायेगा. पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी दिन भगवान श्रीहनुमान का जन्म हुआ था. इस दिन हनुमान भक्त उपवास रखते हैं और हनुमान जी की पूजा-अर्चना करते हैं. मान्यता है कि पवन पुत्र हनुमान अपने भक्तों के हर संकट को दूर कर सुख, शांति एवं समृद्धि का वरदान देते हैं. यद्यपि कुछ स्थानों पर कार्तिक मास में कृष्णपक्ष की चौदहवीं तिथि के दिन भी हनुमान जयंती मनायी जाती है. आइये जानें इस पर्व को कब और कैसे मनाया जाता है, तथा क्या है हनुमान जी की जन्म कथा.
हनुमान जयंती का महत्व:
यह दिन हिंदू धर्म में बेहद महत्व रखता है. इस वर्ष हनुमान जयंती मंगलवार को पड़ने के कारण इसकी महत्ता कई गुना ज्यादा बढ़ गई है. इस दिन शुभ मुहूर्त में हनुमान जी की षोडशापचार विधि से पूजा-अनुष्ठान करने से शत्रुओं पर विजय के साथ सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है. हनुमान जी को संकट मोचक, बजरंग बली, अंजनी पुत्र, एवं पवन पुत्र आदि नामों से भी जाना जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि ग्रह का अशुभ प्रभाव चल रहा है तो उसे इस दिन हनुमान जी की पूजा एवं व्रत अवश्य करनी चाहिए. इससे शनि से जुड़ी सारी समस्याएं भी दूर हो जाती हैं. इसके साथ-साथ नकारात्मक ऊर्जा, भूत-प्रेत बाधा जैसी परेशानियों से भी मुक्ति मिलती है. मान्यता है कि इस दिन हनुमान चालीसा, बजरंग बाण अथवा सुंदरकाण्ड का पाठ करने से हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है. शास्त्रों के अनुसार हनुमान जी को चिरंजीवी होने का आशीर्वाद प्राप्त है, इसलिए वे आज भी पृथ्वी पर वास करते हैं. मान्यतानुसार हनुमानजी सूर्यपुत्र और भगवान शिव के अंशावतार हैं.
ऐसे करें व्रत एवं अनुष्ठान
हनुमान जयंती से एक दिन पूर्व रात्रि में सोने से पूर्व श्रीराम-सीता एवं इसके बाद हनुमान जी का ध्यान करें. अगले दिन यानी हनुमान जयंती को सूर्योदय से पूर्व स्नान-ध्यान कर हाथ की अंजुरी में जल लेकर हनुमान जी के व्रत का संकल्प लें. तत्पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण कर एक साफ-सुथरी छोटी चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर गंगाजल छिड़कें. इस पर हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित करें. शुद्ध घी का दीपक एवं धूप प्रज्जवलित कर हनुमान जी का ध्यान करें. हाथ जोड़कर उनका आह्वान करें. उन पर जल, लाल पुष्प, अक्षत, तुलसी, रोली एवं प्रसाद के लिये लड्डू,इत्यादि अर्पित करें. हनुमान जयंती के दिन षोडसोपचार विधि से सभी अनुष्ठानों का पालन करते हुए उनकी पूजा करना विशेष लाभदायक माना जाता है. अंत में हनुमान जी की आरती उतारें. पूजा सम्पन्न होने के पश्चात चढ़े हुए भोग को प्रसाद के रूप में सबको बांट दें. यह भी पढ़ें : Hanuman Jayanti 2021 Hindi Wishes: हनुमान जयंती की इन भक्तिमय WhatsApp Stickers, Facebook Messages, GIF Greetings, Quotes के जरिए दें शुभकामनाएं
हनुमान जयंती की पूजा का शुभ मुहूर्त
26 अप्रैल 2021 दोपहर 12. 44 बजे पूर्णिमा प्रारम्भ
27 अप्रैल रात्रि 09.01 बजे पूर्णिमा समाप्त
हनुमान जी की जन्म कथा
देवताओं के गुरु, बृहस्पति की सेविका एवं अप्सरा पुंजिक्स्थला को किन्हीं कारणों से महिला बंदर (बंदरिया) बनना शाप मिला था. इससे मुक्ति पाने के उपाय स्वरूप भगवान शिव की तपस्या कर उनसे पुत्र प्राप्ति का वरदान प्राप्त करना था. कहते हैं कि शापित पुंजिक्स्थला ने पृथ्वी पर अंजना के रूप में जन्म लिया और भगवान शिव की 12 वर्षों तक कठोर तपस्या की. अंततः भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्हें आशीर्वाद दिया कि चैत्र मास की पूर्णिमा के दिन तुम्हारी कोख से मेरा अवतार जन्म लेगा, जो अत्यंत बलशाली एवं पराक्रमी होगा. उसका नाम लेने मात्र से व्यक्ति के सारे संकट खत्म हो जायेंगे. दुनिया उन्हें संकटमोचक के नाम से पूजा करेगी.