Happy Hanuman Jayanti 2019: आज हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti 2019) मनाई जा रही है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हनुमान जयंती चैत्र महीने की पूर्णिमा (chaitra Purnima) तिथि को मनाई जाती है. इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और पूरे श्रद्धा भाव से उनकी पूजा करते हैं. भक्तों का मंगल करने के लिए हनुमान जी (Hanuman Ji) धरती पर अवतरित हुए थे. हनुमान जी को भगवान शिव (Lord Shiva) का 11वां रूद्र अवतार माना जाता है. शिव का हनुमान अवतार लेने के पीछे एक पौराणिक कथा है. जब पृथ्वी पर भगवान श्री राम का जन्म हुआ था. तब भगवान शिव की पृथ्वी पर जाकर राम के दर्शन की इच्छा हुई. उस वक्त भगवान राम की उम्र 5 साल रही होगी. शिव उनके सामने अपने असली रूप में जा नहीं सकते थे. एक दिन उन्होंने ये बात माता पार्वती से कही कि उनके राम का जन्म पृथ्वी पर हुआ है और वो उनसे मिलने जाना चाहते हैं वहीं बस जाना चाहते हैं.
ये सुनकर माता पार्वती दुखी हो गईं और भगवान शिव से पूछने लगीं कि उनसे ऐसी क्या गलती हुई है कि वो उन्हें छोड़कर धरती पर जाना चाहते हैं. माता पार्वती ने भगवान शिव से कहा कि अगर वो उन्हें छोड़कर गए तो वो जिंदा नहीं रह पाएंगी. उनकी बात सुनने के बाद शिव को एहसास हुआ कि पार्वती सच में उनके बिना जिंदा नहीं रह पाएंगी. जिसके बाद शिव ने अपना ग्यारहवां रूद्र अवतार लिया. शिव सब कुछ जानते थे और भगवान राम के पूरे जीवनकाल को भी देख पा रहे थे. उन्हें पता था कि पृथ्वी पर मानव का कल्याण करने के लिए भगवान राम को उनकी जरुरत पड़ेगी. भगवान शिव माता पार्वती और राम दोनों के पास रह सके इसलिए उन्होंने ग्यारहवां रूद्र अवतार लिया.
हनुमान जी को सिंदूर बहुत ही प्रिय है. हनुमान जयंती के दिन इन्हें सिंदूर चढ़ाने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. भगवान को सिंदूर इतना प्रिय होने के पीछे भी एक रोचक कथा है. इस कथा के अनुसार एक बार माता सीता अपनी मांग में सिंदूर लगा रही थीं, तो हनुमान जी ने पूछा, ''माता आप अपने मांग में सिंदूर क्यों लगाती हैं?'' इस सवाल को सुनकर माता बोली, 'भगवान राम की दीर्घायु और उन्हें प्रसन्न रखने के लिए वो सिन्दूर लगाती हैं' माता सीता की यह बात सुनकर हनुमान जी सोचने लगे जरा से सिंदूर से भगवान दीर्घायु हो जाएगे तो पूरे शरीर में लगा लेने से तो प्रभु अमर हो जाएंगे. तबसे हनुमान जी अपने पूरे शरीर में सिंदूर लगाने लगे.
नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.