भारतीय भूमि पर तमाम क्रांतिकारियों ने जन्म लिया, जिन्होंने अपने देश, धर्म, दर्शन, संस्कृति एवं मूल्यों की संप्रभुता को सर्वोपरि मानते हुए शहादत देना स्वीकार किया, मगर दुश्मनों को पीठ नहीं दिखाई. ऐसे ही एक शूरवीर थे, सिखों के नौवें गुरु श्री गुरु तेग बहादुर सिंह. इनके देश-प्रेम की भावना को देखते हुए उन्हें ‘हिंद की चादर’ के उपनाम से भी सम्मानित किया जाता है. गुरु तेग बहादुर सिंह ने भी अपने धर्म को सर्वोपरि मानते हुए सिर कलम करवा दिया, लेकिन इस्लाम धर्म को स्वीकार नहीं किया. गुरु तेग बहादुर सिंह की पुण्यतिथि (24 नवंबर) जिसे ‘शहीदी दिवस’ के रूप में भी मनाया जाता है, के अवसर पर बात करेंगे उनकी शौर्य और शहादत की गाथा की...
इसलिए पिता ने उनका नाम गुरु तेग बहादुर रखा
गुरु तेग बहादुर सिंह का जन्म 01 अप्रैल 1621 को अमृतसर में हुआ था. वह गुरु हरगोबिंद के सबसे छोटे पुत्र थे. उनके बचपन का नाम त्यागमल था. वह बाल्यकाल से ही संत स्वरूप उदार चित्त, बहादुर और निर्भीक स्वभाव के व्यक्ति थे. उनकी शिक्षा-दीक्षा मीरी-पीरी के मालिक गुरु पिता गुरु हरगोबिंद साहिब की छत्रछाया में हुई थी. सिखों के आठवें गुरु श्री हरकृष्ण राय जी की अकाल मृत्यु के पश्चात श्री गुरु तेग बहादुर सिंह को नौवां गुरु बनाया गया. उन्होंने बहुत छोटी उम्र 14 वर्ष की आयु में अपने पिता के साथ मुगलों के खिलाफ बहुत सारी लड़ाइयां लड़ी. उनकी वीरता से प्रभावित होकर उनके पिता ने उनका नाम तेगबहादुर यानी तलवार के धनी रख दिया था. यह भी पढ़ें : Vaikuntha Chaturdashi 2023 Date: साल का सबसे पवित्र दिन है वैकुण्ठ चतुर्दशी! जब शिवजी-विष्णु की होती है संयुक्त पूजा और उत्सव! जानें शुभ मुहूर्त
औरंगजेब ने जबरन इस्लाम धर्म अपनाने का आदेश क्यों दिया?
बताया जाता है कि औरंगजेब अपने दरबार में एक विद्वान ब्राह्मण से प्रतिदिन गीता के श्लोक अर्थ सहित सुनाता था, लेकिन कुछ पंक्तियां छोड़ देता था. एक दिन अस्वस्थ होने के कारण उसने अपने बेटे को भेज दिया. पुत्र ने औरंगजेब को अर्थ सहित पूरी गीता सुना दिया. पूरी गीता सुनने के बाद औरंगजेब ने जाना कि कि हर धर्म अपने आप में महान है, यह बात उसे अच्छी नहीं लगी, उसने अगले ही दिन मुनादी पिटवाकर सबको जबरन इस्लाम धर्म अपनाने का आदेश दिया.
इस तरह शहादत दिया गुरु तेग बहादुर ने?
औरंगजेब के धर्म परिवर्तन का आदेश सुनकर गुरु तेग बहादुर ने लोगों से कहा, वे औरंगजेब से कहें कि गुरु तेग बहादुर इस्लाम धर्म ग्रहण कर लेगा, तो सभी इस्लाम धर्म स्वीकार कर लेंगे. औरंगजेब ने उनकी शर्त मान ली. गुरु तेग बहादुर औरंगजेब के दरबार में हाजिर हुए, लेकिन उसके लाख प्रलोभनों के बावजूद गुरु तेग बहादुर इस्लाम धर्म स्वीकारने से साफ-साफ इंकार कर दिया, उन्होंने औरंगजेब को बताया कि अगर आपने किसी को जबरदस्ती इस्लाम धर्म कबूल करने के लिए विवश किया तो सच्चे मुसलमान नहीं हो सकते, क्योंकि इस्लाम में किसी पर अत्याचार करके मुस्लिम बनाना नहीं लिखा है. औरंगजेब यह सुन क्रोधित हो उठा. उसने सैनिकों को आदेश दिया कि वह गुरु तेग बहादुर को ताड़ना देते हुए दिल्ली के चांदनी चौक खुले चौराहे पर शीश काट दिया जाए, गुरु तेग बहादुर ने भयभीत हुए बिना शहादत दे दी, मगर इस्लाम धर्म को स्वीकार नहीं किया.