Ganesh Chaturthi 2019: आज है गणेश चतुर्थी, सूंड़ की दिशा देख चुनें बप्पा की प्रतिमा! अनिष्ठ से बचने के लिए करें सही प्रतिमा का चयन!
आज सुबह से ही देश भर में गणपति बप्पा मोरया की धूम मची है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह महोत्सव आज से शुरू होकर 12 सितंबर यानी अनंत चतुर्दशी तक चलेगा. प्रातःकाल से ही घरों और पंडालों में गणपति बप्पा की प्रतिमाओं के आगमन यात्रा के साथ एक दो तीन चार गणपति की जय जयकार जैसे नारे सुनाई दे रहे हैं.
Ganesh Chaturthi 2019: आज सुबह से ही देश भर में गणपति बप्पा मोरया की धूम मची है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह महोत्सव आज से शुरू होकर 12 सितंबर यानी अनंत चतुर्दशी तक चलेगा. प्रातःकाल से ही घरों और पंडालों में गणपति बप्पा की प्रतिमाओं के आगमन यात्रा के साथ एक दो तीन चार गणपति की जय जयकार जैसे नारे सुनाई दे रहे हैं. प्रतिमा बिक्री केंद्र पर विभिन्न स्वरूपों वाले गणेश जी की प्रतिमाएं उपलब्ध होती हैं. हर भक्त अपनी पसंद के अनुसार बप्पा की प्रतिमा घर लाता है. प्रतिमा का चयन करते वक्त श्रृंगार, शैली, आभूषण, वस्त्र इत्यादि तक तो ठीक हैं, लेकिन सबसे ज्यादा दुविधा गणपति बप्पा की प्रतिमा के सूंढ को लेकर होती है. किसी प्रतिमा में सूंढ़ बाईं ओर होती है तो किसी में दाई ओर. सूंढ की दिशा के आधार पर प्रत्येक गणेश की प्रतिमा का अपना अर्थ एवं महत्व होता है. आइए जानें किस तरह के सूंड़ वाले प्रतिमा को घर लाना ज्यादा श्रेयस्कर होता है.
तीन विभिन्न दिशाओं की तरफ सूंड़ वाली प्रतिमाएं
गणपति की प्रतिमाएं गणेशोत्सव की तिथि से कम से कम दो-ढाई माह पूर्व ही बाजार में आ जाती हैं. उसी समय से प्रतिमाओं को पसंद करके बुक करने, गणेश मंडप की सजावटों, घर की साफ-सफाई आदि की प्रक्रियाएं शुरू हो जाती हैं. लेकिन जहां तक गणेश जी की प्रतिमा की बात है तो इनके चुनाव में पारंपरिक संस्कार एवं अनुष्ठान आदि के आधार पर प्रतिमा का चयन किया जाता है. वस्तुतः सूंड़ के आधार पर गणपति जी की प्रतिमाएं तीन तरह की होती है. एक जिसका सूंड़ बाईं ओर हो, दूसरा दाईं दिशा की तरफ सूंड़ वाले और तीसरा ऊपर की ओर घुमावदार सूंड़ वाले गणपति बप्पा.
भले ही भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा का चुनाव अपने पसंदीदा पोज के अनुरूप करे लें, लेकिन जहां तक सूंड़ की दिशा की बात है तो इसका एक तय मानक होता है और वही प्रतिमा घरों में लाई एवं पूजी जाती है.
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सफलता और समृद्धि का प्रतीक हैं बाईं दिशा के सूंड़ वाले गणपति
गणपति जी की जो प्रतिमाएं घरों में लाई जाती हैं, उसके बारे में पुरोहितों का भी यही कहना है कि गणपति जी के धड़ के बाईं ओर स्थित सूंड़ वाले गणपति जी की प्रतिमा ही घरों में लाई जाती है. क्योंकि हमारे शास्त्रों में बाईं ओर सूंड़ वाले गणपति की प्रतिमा को शांति का प्रतीक माना गया है. ऐसे सूंढ़ वाले गणपति को वास्तु अथवा घर की भलाई के लिए भी श्रेष्ठ माना जाता है. मान्यता है कि बाईं दिशा की तरफ सूंड़ वाले गणेश जी से व्यक्ति विशेष को सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है. यही वजह है कि हमेशा बाईं दिशा की ओर सूंड़ किये गणेश जी को ही घर लाने की सलाह दी जाती है. इसके साथ-साथ घर लाने वाली गणेश जी की प्रतिमा में एक और खास बात जो देखी जाती है वह उनके हाथ में रखा मोदक. जिस प्रतिमा में मोदक गणपति जी के सूंड़ के जितना करीब अथवा स्पर्श करते होगा, उसे आध्यात्मिक ज्ञान अथवा आध्यात्मिक आनंद प्रदान करने वाला भी बताया जाता है. क्यों मोदक भगवान श्रीगणेश का पसंदीदा भोजन माना जाता है.
ऐसे गणपति उग्र स्वभाव के होते हैं
दाईं ओर सूंड़ वाले श्रीगणेश की प्रतिमा की अतिरिक्त देखभाल की जाती है साथ ही बहुत सावधानी के साथ उनकी पूजा-अर्चना की जाती है. इस विशेष मुद्रावाले श्रीगणेश जी की पूजा में किंचित गल्ती होने से उनके प्रकोप का भाजन बनना पड़ सकता है. ऐसे गणेश जी का विशेष विधियों से अनुष्ठान कराना पड़ता है, क्योंकि दाईं सूंड़ वाले श्रीगणेश जी को उग्र स्वभाव वाला गणेश माना जाता है.