Figure of Ganpati & Science 2025: बड़ा सिर, टूटा दांत, बड़ा उदर, चूहे की सवारी! गणपति बप्पा की इस आकृति पर क्या कहता है विज्ञान?

   इन दिनों जहां गणेश पंडालों की साज-सज्जा चरम पर है, वहीं घरों में गणपति लाने वाले भी तमाम तैयारियों में व्यस्त हैं, क्योंकि गणेशोत्सव करीब (27 अगस्त से 06 सितंबर 2025) आ रहा है. भारतीय संस्कृति एवं परंपराओं के तहत गणपति अर्थात गणेशजी विघ्नहर्ता और बुद्धि के देवता के रूप में पूजे जाते हैं. उन्हें प्रथम पूज्य की भी उपाधि प्राप्त है, मगर उनकी अनोखी आकृति यानी हाथी का सिरमानव शरीरबड़ा पेटचार भुजाएं, टूटा दांत और सूंड को देखकर अकसर युवाओं के मन में जिज्ञासा होती है. क्या आप जानते हैं कि गणेश जी की आकृति ऐसी क्यों है? प्रचलित कथाओं से इतर गणेश जी की आकृति पर हमारा विज्ञान किस नजरिए से देखता है, आइये जानते हैं...

हाथी का सिर: बुद्धिमत्ता और स्मृति का प्रतीक

गणेश जी का हाथी जैसा सिर केवल कपोल कल्पना नहीं है. विज्ञान की दृष्टि से हाथी एक अत्यंत बुद्धिमान पशु है. उसकी स्मरण शक्ति अद्भुत होती है. वह सामाजिक एवं भावनात्मक व्यवहारों में भी निपुण होता है. यह वैज्ञानिक फैक्ट गणेश जी को बुद्धि के देवता होने की सहमति देता है. हाथी का बड़ा सिर दर्शाता है कि हमें अपने हर फैसले बड़ी सोचधैर्य और विवेक से लेना चाहिए. यह भी पढ़ें : Ganesh Chaturthi 2025 Invitation Card in Marathi: गणेश चतुर्थी के लिए प्रियजनों को WhatsApp और Facebook के जरिए भेजें ये ई-इनविटेशन कार्ड

बड़ा पेट: सहिष्णुता और पाचन शक्ति का प्रतीक

गणेश जी का बड़ा पेट सिर्फ भोग की ओर संकेत नहीं करताबल्कि वह जीवन के अनुभवों को पचाने की क्षमता का प्रतीक है. मनोविज्ञान भी मानता है कि मानसिक और भावनात्मक सहिष्णुता एक संतुलित जीवन का आधार है. गणेश जी बड़ा उदर इस वैज्ञानिक सच्चाई दर्शाता है, कि एक संतुलित व्यक्ति वह है जो जीवन के हर अच्छे-बुरे अनुभवों को पचा सकता है.

चार भुजाएं: कार्यकुशलता और संतुलन का संकेत

गणपति जी की आम प्रतिमाओं में चार भुजाएं दिखाई जाती हैं, विज्ञान इसे महाशक्ति का प्रतीक बताता हैलेकिन अगर हम प्रतीकात्मक रूप से देखेंतो यह हमारे जीवन के चार महत्वपूर्ण आयामों मन, बुद्धि, अहंकार और चेतना का प्रतिनिधित्व करती हैं. विज्ञान और योग दोनों ही इन तत्वों को मानव अनुभव का मूल स्तंभ मानते हैं.

टूटा दांत: अनुकूलन और विवेक का प्रतीक

गणेश जी का एक दांत टूटा दिखाया जाता है. प्रत्यक्ष रूप से यह कुछ लोगों को विचित्र लग सकता हैलेकिन इसके पीछे एक गहरा अर्थ यह छिपा है, कि

अपूर्णता में भी पूर्णता हो सकती है. आधुनिक विज्ञानविशेष रूप से न्यूरोप्लास्टिसिटी (brain adaptability) यह सिद्ध करती है कि मानव मस्तिष्क और शरीर स्वयं को परिस्थितियों के अनुसार ढाल सकते हैं. गणेश जी का एक दांत इस क्षमता का प्रतीक हो सकता है.

मूषक (चूहा): इच्छाओं पर नियंत्रण का प्रतीक

गणेश जी के विशालकाय शरीर का वाहन एक चूहा है. विज्ञान के तर्कानुसार चूहा तीव्रजिज्ञासा और अवसरवादी होता हैठीक वैसे ही जैसे मानव की इच्छाएं. चूहे पर सवार गणेश जी यह दर्शाते हैं कि जब बुद्धि (गणेश) इच्छाओं (मूषक) पर नियंत्रण करती हैतभी जीवन में संतुलन आता है.

   इस तरह हम पाते हैं कि गणेश जी की आकृति महज धार्मिक कल्पना नहीं हैबल्कि एक ऐसी प्रतीकात्मक संरचना हैजिसमें गहरे वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक अर्थ निहित हैं. गणेश जी की यह आकृति न केवल आस्था का विषय हैबल्कि जीवन जीने की एक विज्ञान संगत पद्धति भी प्रस्तुत करती है.