World Photography Day 2020: जब से स्मार्ट फोन अस्तित्व में आये हैं, हर उम्र, हर वर्ग के व्यक्ति पर मानों फोटोग्राफी (Photography) का नशा छा गया है. अगर कहा जाये कि आज दुनिया का सबसे सहज और प्रिय कार्य फोटोग्राफी हो गयी है तो अतिशयोक्ति नहीं होगा. आज (19 अगस्त) 'विश्व फोटोग्राफी दिवस' के अवसर पर आइये जानें कि फोटोग्राफी (World Photography Day) की शुरुआत कब और कैसे हुई, तथा इस कला को विकसित करने का श्रेय किसे दिया गया..
एक संयुक्त कला है फोटोग्राफी
फोटोग्राफी की खोज का श्रेय किसी एक व्यक्ति को देना तर्क संगत नहीं होगा. फोटोग्राफी कला बहुत धीमी गति, चरणबद्ध तरीके और लंबी प्रक्रिया के बाद अस्तित्व में आयी. इसके अस्तित्व का परचम लहराने का श्रेय कई लोगों को दिया जा सकता है. क्योंकि फोटोग्राफी के इतिहास में कैमरा, लेंस, स्थिर चित्र, निगेटिव, निगेटिव से प्रिंट बनाना, मूवी कैमरा और अब स्मार्ट फोन तक इसका एक लंबा इतिहास है, और इसके विभिन्न विभागों के जनक अलग-अलग लोग रहे हैं.
फोटोग्राफी का सफरनामा
फोटोग्राफी एक ग्रीक शब्द है, जिसकी उत्पत्ति फोटोज (रोशनी) और ग्राफी यानी उसे खींचने से हुई है. इससे पूर्व साल 1826 में नाइसफोर में हेलीग्राफी के तरीके से पहले एक स्थाई इ्मेज को कैद किया गया था. ब्रिटिश वैज्ञानिक विलियम हेनरी फॉक्सटेल बोट ने निगेटिव और पॉजिटिव प्रोसेस पर शोध एवं खोज किया था. 1834 में टेल बॉट ने लाइट सेंसेटिव पेपर का आविष्कार किया, जिससे खींचे गये चित्र को अमुक पेपर पर स्थाई रूप में अंकित किया जा सकता था.
1839 में फ्रांसिसी वैज्ञानिक लुइस जेकस तथा मेंडे डाग्युरे ने फोटो तत्व को खोजने का दावा किया था. 9 जनवरी 1839 को फ्रांसिसी वैज्ञानिक आर्गो ने फ्रेंच अकादमी ऑफ साइंस के लिए इस पर एक रिपोर्ट तैयार की. फ्रांस सरकार ने 19 अगस्त 1939 के दिन डाग्युरे टाइप प्रोसेस रिपोर्ट खरीदकर उसे आम लोगों के लिए फ्री घोषित किया और इस आविष्कार को 'विश्व को मुफ्त' मुहैया कराते हुए इसका पेटेंट खरीदा. इसीलिए प्रत्येक वर्ष 19 अगस्त को विश्व फोटोग्राफी दिवस मनाया जाता है. 1839 में ही वैज्ञानिक सर डब्ल्यु हश्रेल ने पहली बार फोटोग्राफी शब्द का इस्तेमाल किया था.
फोटोग्राफी की संपूर्ण प्रक्रिया के जन्मदाता डेगुएरा
फोटोग्राफी को पहली बार व्यावहारिक बनाने का श्रेय लुइस डेगुएरा को दिया जाता है. 1829 में उन्होंने जोसेफ नाइसफोर के साथ मिलकर इसे विकसित किया था. नाइसफोर की मृत्यु के लगभग 10 वर्ष पश्चात 1839 में लुइस डेगुएरा ने इसे और ज्यादा प्रभावशाली बनाया. उन्होंने सिल्वर पॉलिश कर उस पर आयोडीन की परत चढ़ाकर इसे और ज्यादा इफेक्टिव बनाया. वर्ष 1839 में डेगुएरा और नाइसफोर के पुत्रों ने फोटोग्राफी की इस पूरी प्रक्रिया का वर्णन करते हुए एक पुस्तक प्रकाशित किया और डेगुएरो के नाम से इस पूरी प्रक्रिया को बेचने का अधिकार फ्रांस सरकार से प्राप्त किया. फ्रांस की सरकार ने 7 जनवरी, 1839 को सार्वजनिक घोषणा कर लुई डेगुएरा को फोटोग्राफी के जनक के रूप में मान्यता प्रदान किया. यह भी पढ़ें: Independence Day: स्वतंत्रता दिवस के लिए डाक विभाग ने आयोजित की फोटोग्राफी प्रतियोगिता, विजेता को मिलेगा 50 हजार का इनाम
निगेटिव से पोजिटिव प्रक्रिया से
एक नेगेटिव से अनगिनत पॉजिटिव प्रिंट्स बनाने की खोज हेनरी फॉक्स टालबोट ने की थी. टालबोट एक अंग्रेज बोटैनिस्ट और गणितज्ञ थे. टालबोट ने सिल्वर सॉल्ट सोलुशन के माध्यम से इस प्रक्रिया के अंजाम तक पहुंचाया. काले पृष्ठभूमि वाले नेगेटिव की खोज भी उन्होंने ही किया था. एक अन्य अंग्रेज वैज्ञानिक फ्रेडरिक स्कॉफ आर्चर ने 1851 में वेट प्लेट निगेटिव का आविष्कार किया. प्रकाश के प्रति सिल्वर सॉल्ट और कॉलोडियोन का विलय करके उन्होंने इसके तकनीक को और सशक्त बनाया. शुरुआती दौर में इसमें कागज की जगह ग्लास का इस्तेमाल किया गया, इसीलिए भीगे प्लेट से ज्यादा स्थिर और व्यापक नेगेटिव बनाई जा सकी. 1879 में ड्राइ प्लेट का आविष्कार किया गया. इसमें ग्लास निगेटिव प्लेट के लिए सूखे जिलेटिन का प्रयोग किया गया.
इसके बाद फोटोग्राफी के लिए डार्क रूम की जरूरत नहीं रही. इस तकनीक ने कैमरा को आम आदमी से जोड़ा. यानी अब फोटोग्राफी कला काफी सहज हो चुकी थी. 1889 में जॉर्ज इस्टमैन ने आसानी से मोड़े जा सकने वाली फिल्म का इजाद किया. यह तकनीक सेलुलोज नाइट्रेट पर आधारित थी. 1898 में अमेरिका के एक पादरी रेवरेंड हन्नीबल गुडविल ने रोल फिल्म बनायी थी. पिछले कुछ सालों तक इन्हीं रोल का व्यापक स्तर पर इस्तेमाल होता रहा. लेकिन जब से चिप का इस्तेमाल शुरु हुआ है रोल की जरूरत नहीं रह गयी और अब स्मार्ट फोन में उच्च स्तर के कैमरे की सुविधा मिलने के बाद तो फोटोग्राफी मानों दुनिया की सबसे आसान कला बन चुकी है.