भारत रीति-रिवाजों का देश है. यहां पर कई त्यौहार मनाएं जाते हैं और इनमें से एक है वट पूर्णिमा. वट वृक्ष का बहुत महत्व होता है और ऐसा कहा जाता है कि जो महिलाएं इस वृक्ष की पूजा करती हैं, उनके पति की आयु लंबी होती है. साथ ही इससे उन्हें संतान की प्राप्ति भी होती है. जो लोग वट वृक्ष यानि बरगद के पेड़ की पूजा करते हैं, उनसे ब्रह्मा, विष्णु और महेश देवता खुश हो जाते हैं और उन पर कृपा बनी रहती हैं. ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा को यह त्यौहार मनाया जाता है और इस साल 27 जून को भारत में वट पूर्णिमा मनाई जाएंगी. बरगद के पेड़ की बहुत सी जटाएं होती हैं और इन्हें सावित्री देवी का रूप माना जाता है. वट पूर्णिमा के दिन ही सावित्री अपने पति के प्राण यमराज से वापिस ले आई थी.
वट पूर्णिमा को मनाने का तरीका
कुछ महिलाएं 3 दिन तक व्रत रखकर इस त्यौहार को मनाती हैं. दिन भर व्रत रखा जाता है और शाम को वे भोजन ग्रहण करती हैं. रात को पूजा के बाद ही इस व्रत को पूरा माना जाता है. इस दिन वट वृक्ष के नीचे की एक जगह को ठीक से साफ कर महिलाएं सावित्री देवी की पूजा करती हैं. साथ ही इस दिन औरतें काफी अच्छे से श्रृंगार कर बहुत से गहने भी पहनती हैं.
यदि आप वट पूर्णिमा का व्रत रखकर पूजा करने वाली हैं तो इसके लिए शुभ मुहूर्त की जानकारी बेहद जरुरी होती है. शुभ मुहूर्त के दौरान पूजा करने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
जानें कब है पूजा का शुभ मुहूर्त :-
वट पूर्णिमा के शुरू होने का समय : - 8:12 a.m (27 जून)
वट पूर्णिमा की समाप्ति का समय :- 10.22 a.m (28 जून)