Valmiki Jayanti 2021 Wishes in Hindi: संस्कृत के पहले श्लोक और महाकाव्य रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि की आज (20 अक्टूबर 2021) जयंती (Valmiki Jayanti) मनाई जा रही है, जबकि हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन पूर्णिमा यानी शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) के दिन उनका जन्म हुआ था. उनके जन्मोत्सव को प्रगति दिवस के तौर पर भी मनाया जाता है. प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, महर्षि वाल्मीकि (Maharishi Valmiki) महर्षि कश्यप और माता अदिति के नौंवे पुत्र वरुण व उनकी पत्नी चर्षणी के पुत्र थे. बचपन में उन्हें एक भीलनी ने चुरा लिया था और वाल्मीकि बनने से पहले वे रत्नाकर नाम के डाकू थे. एक बार उन्होंने देवर्षि नारद को बंदी बना लिया था, लेकिन जल्द ही उन्हें अपने पाप कर्मों को बोध हुआ और उनका संसार से मन खिन्न हो गया. इस एक घटना के बाद से उनका जीवन पूरी तरह से परिवर्तित हो गया.
वाल्मीकि जयंती के पर्व को हर साल धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन मंदिरों में वाल्मीकि जी की विशेष-पूजा अर्चना की जाती है और शोभा यात्रा निकाली जाती है. रामायण के रचयिता के जन्मोत्सव पर आप इन शानदार हिंदी विशेज, कोट्स, वॉट्सऐप स्टेटस, फेसबुक मैसेजेस, जीआईएफ ग्रीटिंग्स और एचडी इमेजेस को अपने दोस्तों-रिश्तेदारों के साथ शेयर करके उन्हें हैप्पी वाल्मीकि जयंती कह सकते हैं.
1- महर्षि वाल्मीकि सुनाएं कथा भगवान की,
कथा महापुराण रामायण की,
सीता- राम, लक्ष्मण और हनुमान की,
जय वाल्मीकि समाज की,
जय महर्षि वाल्मीकि जी की...
हैप्पी वाल्मीकि जयंती
2- गुरु होता सबसे महान,
जो देता है सबको ज्ञान,
आओ इस वाल्मीकि जयंती पर,
करें हम अपने गुरु को प्रणाम.
हैप्पी वाल्मीकि जयंती
3- जैसे पके हुए फलों को,
गिरने के सिवा कोई भय नहीं,
वैसे ही पैदा हुए मनुष्य को,
मृत्यु के सिवा कोई भय नहीं.
हैप्पी वाल्मीकि जयंती
4- दया का सागर हैं महर्षि वाल्मीकि,
ज्ञान का स्रोत हैं महर्षि वाल्मीकि,
रामायण के सृजनकर्ता हैं प्रभु वाल्मीकि,
ऐसे महर्षि को हम करते हैं नमन...
हैप्पी वाल्मीकि जयंती
5- वाल्मीकि जयंती के शुभ अवसर पर,
मेरे सभी देशवासियों को,
भाई-बहनों को, माता-पिता को,
दिल से शुभकामनाएं...
हैप्पी वाल्मीकि जयंती
बताया जाता है कि देवर्षि नारद से मिलने और परिवार वालों से पाप में भागीदार न होने वाली बात सुनकर रत्नाकर डाकू ने अधर्म और पाप का मार्ग छोड़ने का निश्चय किया. उन्होंने नारद जी से पूछा कि वो अब क्या करें? तब महर्षि नारद जी ने उन्हें 'राम' नाम जपने को कहा, लेकिन अज्ञानता के कारण रत्नाकर राम की जगह 'मरा-मरा' जपने लगे, जो धीरे-धीरे 'राम-राम' में बदल गया. कई सालों तक कठोर तप करने की वजह से उनके पूरे शरीर पर चींटियों की बाम्बी बन गई थी, जिसे दीमकों का घर यानी वाल्मीकि कहा जाता है. शरीर पर बाम्बी बनने के कारण वे रत्नाकर डाकू से महर्षि वाल्मीकि कहलाए.