Valmiki Jayanti 2019: वैदिक काल के महान ऋषि महर्षि वाल्मीकि (Maharishi Valmiki) का जन्म शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) को हुआ था, इसलिए हर साल आश्विन महीने की शरद पूर्णिमा को वाल्मीकि जयंती (valmiki Jayanti) मनाई जाती है. इस साल वाल्मीकि जयंती 13 अक्टूबर को पड़ रही है. मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी का भी प्राकट्य हुआ था. कई भाषाओं के प्रकांड ज्ञानी कहे जाने वाले महर्षि वाल्मीकि ने संस्कृत भाषा में रामायण की रचना की थी, लेकिन क्या आप जानते हैं कि विश्व के पहले महाकाव्य वाल्मीकि रामायण (Valmiki Ramayan) की रचना करने वाले महर्षि वाल्मीकि असल कौन थे, कैसे वो एक आम व्यक्ति से महर्षि वाल्मीकि कहलाए और किसके कहने पर उन्होंने रामायण की रचना की थी. वाल्मीकि जयंती के अवसर पर चलिए जानते हैं महान ऋषि वाल्मीकि के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातें.
कौन थे महर्षि वाल्मीकि?
महर्षि वाल्मीकि के जन्म से जुड़ी ज्यादा जानकारी तो नहीं है, लेकिन प्रचलित पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, वे ब्रह्मा जी के मानस पुत्र प्रचेता के पुत्र थे. हालांकि बचपन में ही एक भीलनी ने उनका अपहरण कर लिया था और उनका पालन-पोषण भील परिवार में हुआ था. भील परिवार में परवरिश होने के कारण आगे चलकर उन्होंने डकैती और लूटपाट करना शुरू कर दिया. उनका असली नाम रत्नाकर था. यह भी पढ़ें: Sharad Purnima 2019: शरद पूर्णिमा पर चांदनी रात में खीर खाने की है परंपरा, इससे सेहत को होते हैं ये कमाल के फायदे
कैसे बने डाकू से महर्षि वाल्मीकि?
एक दिन जंगल से जा रहे नारद मुनि को रत्नाकर ने लूटपाट के इरादे से पकड़ लिया. बंदी बनाए जाने के बाद नारद ने पूछा कि लूटपाट और डकैती के इस महापाप में क्या तुम्हारा परिवार भी बराबर का भागीदार होगा? जब उन्होंने यही सवाल अपने परिवार से पूछा तो परिवार वालों ने कहा कि तुम अपने पाप के भागीदार स्वंय बनोगे, हम नहीं. इस बात को सुनकर उनका संसार से मोह भंग हो गया.
नारद मुनि की बात सुनने के बाद रत्नाकर के मन में वैराग्य का भाव आ गया और उन्होंने अपने उद्धार के लिए उपाय पूछा. तब नारद जी ने उन्हें राम राम जपने के लिए कहा. इस मंत्र को जपते-जपते वे कम तपस्या में लीन हो गए पता ही नहीं चला. एक ही स्थान पर बैठकर लंबे समय तक घोर तपस्या के कारण उनके शरीर पर मिट्टी की बांबी बन गई, जिसे वाल्मीकि कहते हैं, इसलिए उन्हें वाल्मीकि नाम से बुलाया जाने लगा.
किसके कहने पर लिखी रामायण?
कहा जाता है कि महर्षि वाल्मीकि ने भगवान ब्रह्मा के कहने पर रामायण महाकाव्य की रचना की थी. एक बार महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में भगवान ब्रह्मा आए और उन्होंने श्लोक के रूप में श्रीराम के संपूर्ण चरित्र का वर्णन करने के लिए कहा. इस तरह से भगवान ब्रह्मा के कथनों से प्रेरित होकर उन्होंने रामायण की रचना करके भगवान श्रीराम के संपूर्ण जीवन का वर्णन किया. यह भी पढ़ें: Sharad Purnima 2019: कब है शरद पूर्णिमा, इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा से आती है जीवन में सुख-समृद्धि, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
माता सीता को दिया था आश्रय
मान्यताओं के अनुसार, अपने वनवास काल के दौरान भगवान राम, लक्ष्मण और सीता महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में गए थे. यहां तक कि जब श्रीराम ने सीता का परित्याग कर दिया था, तब महर्षि वाल्मीकि ने ही उन्हें अपने आश्रम में आश्रय दिया था. उनके आश्रम में ही लव और कुश का जन्म हुआ था और उन्होंने ही माता सीता के दोनों पुत्रों को ज्ञान भी प्रदान किया था.
गौरतलब है कि रत्नाकर ने अपनी कठोर तपस्या से महर्षि का पद प्राप्त किया था और शरीर में मिट्टी की बांबी बन जाने के कारण उनका नाम वाल्मीकि पड़ गया और संसार उन्हें महर्षि वाल्मीकि के नाम से जानने लगा. महर्षि वाल्मीकि ने श्रीराम के जीवन में घटित सभी घटनाओं की जानकारी वाल्मीकि रामायण में लिखी थी.