Swami Samarth Prakat Din 2024 Marathi Wishes: हिंदू धर्म में अनेक पंथ और संप्रदाय हैं, जिनमें से एक है दत्त संप्रदाय, जिनके आराध्य देव भगवान दत्तात्रेय हैं. इस संप्रदाय के लोग दत्त भगवान की पूजा करते हैं, जबकि श्री स्वामी समर्थ (Shri Swami Samarth) को दत्त संप्रदाय का एक महान संत और गुरु माना जाता है. अक्कलकोट (Akkalkot) के श्री स्वामी समर्थ महाराज (Shri Swami Samarth Maharaj) को भगवान दत्तात्रेय (Bhagwan Dattatreya) का तीसरा अवतार माना जाता है. श्रीपाद वल्लभ और श्री नृसिंह सरस्वती के बाद स्वामी समर्थ महाराज को भगवान दत्तात्रेय का तीसरा पूर्णावतार माना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को श्री स्वामी समर्थ महाराज प्रकट दिन (Swami Samarth Prakat Din) मनाया जाता है, जबकि ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार इस साल 10 अप्रैल 2024 को स्वामी समर्थ प्रकट दिवस मनाया जा रहा है. इस उत्सव को महाराष्ट्र में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है.
महाराष्ट्र के अक्कलकोट में श्री स्वामी समर्थ महाराज 1856 से 1878 तक दत्त संप्रदाय के महान संत रहे हैं. अपने अवतरण के बाद चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को पहली बार स्वामी समर्थ महाराष्ट्र के अक्कलकोट नगर पहुंचे थे, इसलिए इस पावन तिथि पर स्वामी समर्थ महाराज का प्रकट दिवस मनाया जाता है. इस अवसर पर आप इन शानदार मराठी विशेज, कोट्स, वॉट्सऐप मैसेजेस, जीआईएफ ग्रीटिंग्स को भेजकर स्वामी समर्थ प्रकट दिवस की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
कहा जाता है कि गाणगापुर के श्री नृसिंह सरस्वती ही श्रीशैलम के पास कर्दली वन में स्वामी समर्थ के रूप में प्रकट हुए थे. अपने अवतरण के बाद पहली बार वे सन 1856 में चैत्र शुक्ल द्वितीया तिथि को अक्कलकोट पहुंचे थे, इसलिए इस क्षेत्र को तीर्थ स्थल के तौर पर जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि स्वामी समर्थ महाराज ने त्र्यंबकेश्वर स्थित शेगाव के श्री गजानन महाराज और शिरडी के श्री साई बाबा महाराज को दीक्षा दी थी. अक्कलकोट में रहते हुए स्वामी समर्थ महाराज ने अपने जीवन काल में लोगों का उचित मार्गदर्शन किया, फिर 30 अप्रैल 1878 को उन्होंने अक्कलकोट में ही वटवृक्ष समाधी मठ स्थान पर अपने अवतारकार्य की समाप्ति की थी.