Subhas Chandra Bose Punyatithi 2021 Images: नेताजी सुभाष चंद्र बोस की पुण्यतिथि पर इन WhatsApp Stickers, Facebook Messages, Wallpapers के जरिए करें उन्हें याद
सुभाष चंद्र बोस पुण्यतिथि 2021 (Photo Credits: File Image)

Subhas Chandra Bose Punyatithi 2021 Images: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम (Indian Freedom Fight) के सबसे महत्वपूर्ण स्वतंत्रता सेनानियों में से एक माने जाने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhas Chandra Bose) की आज पुण्यतिथि (Death Anniversary) मनाई जा रही है. 18 अगस्त 1945 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस का एक विमान दुर्घटना में निधन हो गया था, लेकिन उनकी मौत पर आज भी रहस्य बरकरार है. आज (18 अगस्त 2021) नेताजी की 76वीं पुण्यतिथि (Netaji Subhas Chandra Bose Death Anniversary) मनाई जा रही है. नेताजी ने 1919 में भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया था, फिर उन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान आजाद हिंद फौज का गठन करके अंग्रेजों के खिलाफ जंग का ऐलान किया. उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ देश के स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के भीतर देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी थी और आजादी के लिए उनके संघर्ष ने ही उन्हें नायकों की श्रेणी में लाकर खड़ा किया. यही वजह है कि आज भी उन्हें बड़े सम्मान और गर्व के साथ याद किया जाता है. आप भी नेताजी की पुण्यतिथि पर इन एचडी इमेजेस, वॉट्सऐप स्टिकर्स, फेसबुक मैसेजेस, वॉलपेपर्स को शेयर करके उन्हें याद कर सकते हैं.

1- सुभाष चंद्र बोस पुण्यतिथि

सुभाष चंद्र बोस पुण्यतिथि 2021 (Photo Credits: File Image)

2- सुभाष चंद्र बोस पुण्यतिथि

सुभाष चंद्र बोस पुण्यतिथि 2021 (Photo Credits: File Image)

3- सुभाष चंद्र बोस पुण्यतिथि

सुभाष चंद्र बोस पुण्यतिथि 2021 (Photo Credits: File Image)

4- सुभाष चंद्र बोस पुण्यतिथि

सुभाष चंद्र बोस पुण्यतिथि 2021 (Photo Credits: File Image)

5- सुभाष चंद्र बोस पुण्यतिथि

सुभाष चंद्र बोस पुण्यतिथि 2021 (Photo Credits: File Image)

नेताजी सुभाष चंद्र बोस आजादी की लड़ाई के एक ऐसे नायक रहे हैं, जिन्होंने देश के युवाओं में देशभक्ति की भावना जगाने के लिए 'तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा' का नारा बुलंद किया था. नेताजी का जन्म 23 जनवरी 1897 को कटक में हुआ था. यह देश के प्रति उनकी देशभक्ति की भावना ही थी, जो भारतीय सिविल सेवा में चुने जाने के बावजूद साल 1921 में इस्तीफा दे दिया और कैंब्रिज से भारत लौट आए.