Sita Navami 2021 Messages in Hindi: हिंदू पंचांग के अनुसार, त्रेतायुग में वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को माता सीता (Mata Sita) का प्राकट्य हुआ था, इसलिए हर साल इस तिथि पर सीता नवमी (Sita Navami) यानी जानकी नवमी (Janaki Navami) का पर्व मनाया जाता है. हिंदू धर्म में सीता नवमी का महत्व राम नवमी (Ram Navami) जितना ही बताया जाता है. मान्यता है कि इस दिन माता सीता की विधि-विधान से पूजा करने पर भक्तों के जीवन से सभी कठिनाइयां दूर होती हैं. लक्ष्मी स्वरूपा माता सीता का विवाह जगत के पालनहार श्रीहरि के सातवें अवतार भगवान श्रीराम से हुआ था. विवाह के बाद माता सीता और भगवान राम को 14 साल का वनवास झेलना पड़ा था. माता जानकी को महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत माना जाता है, क्योंकि उनके जीवन से आज भी त्याग, बलिदान और समर्पण भाव की प्रेरणा मिलती है.
हिंदू धर्म में सीता नवमी का विशेष महत्व बताया जाता है और इस दिन उनकी विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. इसके साथ ही लोग एक-दूसरे के साथ शुभकामना संदेश भी शेयर करते हैं. आप भी सीता नवमी के इस खास अवसर पर इन शानदार हिंदी मैसेजेस, कोट्स, वॉट्सऐप स्टिकर्स, फेसबुक ग्रीटिंग्स, जीआईएफ को अपनों संग शेयर करके शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- देश मना रहा है सीता नवमी का त्योहार,
आपको मिले उनका आशीर्वाद और प्यार,
धन-धान्य और खुशियों से भरा रहे घर-परिवार,
दिनों-दिन बढ़ता जाए आपका कारोबार.
सीता नवमी की हार्दिक शुभकामनाएं
2- जानती हूं राम बनना आसान नहीं लेकिन,
सीता सा कठोर होना भी कहां तक संभव हो पाएगा?
जो युग-युग से जली है अग्नि परीक्षा में,
उसे निर्बल समझना उसका अपमान ही कहलाएगा.
सीता नवमी की हार्दिक शुभकामनाएं
3- नारी का मान स्थापित किया सीता ने,
कहलाए मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम,
जितने दुख सहे सीता ने भला उतने दुख कौन सहता है?
जितना त्याग किया श्रीराम ने भला उतना त्याग कौन करता है?
सीता नवमी की हार्दिक शुभकामनाएं
4- आपको सीता नवमी की बहुत-बहुत बधाई,
प्रियजन और दोस्त सदा रहें आपके करीब,
लक्ष्मी स्वरूपा सीता हर परेशानी करें दूर,
सीता नवमी आपके लिए हो शुभ फलदायी.
सीता नवमी की हार्दिक शुभकामनाएं
5- आज सीता नवमी का त्योहार है,
जगमगा रहा ये संसार है,
मां की आराधना में तल्लीन हो जाओ,
अपनी हर मनोकामना पूरी होती पाओ.
सीता नवमी की हार्दिक शुभकामनाएं
वाल्मिकी रामायण के मुताबिक, मिथिला में भयंकर सूखे से राजा जनक बेहद परेशान हो गए थे. इस विकट परिस्थिति से निजात पाने के लिए ऋषियों ने उन्हें यज्ञ करने और धरती पर हल चलाने का सुझाव दिया था. ऋषियों के कहे अनुसार यज्ञ समाप्त होने के बाद राजा जनक ने धरती पर हल चलाया तो उन्हें धरती के भीतर से एक सोने का संदूक मिला, जिसमें एक सुंदर कन्या थी. उन्होंने उस दिव्य कन्या को वहां से उठाया और अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार करते हुए उन्हें सीता नाम दिया. राजा जनक की पुत्री होने के कारण माता सीता को जानकी भी कहा जाता है.