Shravan in Maharashtra 2025: महाराष्ट्र में श्रावण कब से कब तक रहेगा? आखिर क्यों देश के विभिन्न हिस्सों में सावन की तिथियां होती हैं भिन्न, जानें इस मास का महत्व
श्रावण 2025 (Photo Credits: File Image)

Shravan in Maharashtra 2025: श्रावण, जिसे सावन के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू पंचांग के अनुसार साल का सबसे पवित्र और शुभ महीनों में एक है. पुराणों के अनुसार सावन मास (Sawan Maas) भगवान शिव (Bhagwan Shiv) की पूजा के लिए समर्पित दिन है. यह महीना अमूमन मानसून के मौसम में आता है, जो भक्ति, उपवास और प्रार्थनाओं से भरा-पूरा होता है. मान्यता है कि सावन मास में भगवान शिव की पूजा-अनुष्ठान से मन में शांति, आध्यात्मिक विकास और भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त होता है. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार सावन माह महज अनुष्ठान के लिए नहीं है, यह मन और आत्मा को शुद्ध करने और जीवन में सकारात्मकता लाने वाला माह भी है. यद्यपि महाराष्ट्र (Maharashtra) में श्रावण (Shravan) मास उत्तर भारत की अपेक्षा भिन्न-भिन्न तिथियों में मनाया जाता है. यहां हम जानेंगे महाराष्ट्र में श्रावण 2025 की शुरुआत और समाप्ति की तिथियां, सावन की रस्में और इस माह भगवान शिव की पूजा-अनुष्ठान और उसके महत्व आदि के बारे में... यह भी पढ़ें: 12 Jyotirling Katha: 12 ज्योतिर्लिंग के उपलिंगों के बारे में जानते हैं आप, यहां भी आप पर बरसेगी भगवान भोलेनाथ की कृपा?

महाराष्ट्र में कब से कब तक रहेगा श्रावण?

उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में इस वर्ष श्रावण 11 जुलाई 2025, शुक्रवार से शुरु होगा, और 9 अगस्त को समाप्त होगा, जबकि महाराष्ट्र में श्रावण एक पखवारे के अंतराल पर 25 जुलाई को शुरू होगा, और 23 अगस्त 2025, शनिवार को समाप्त होगा.

महाराष्ट्र में श्रावण की तिथियां उत्तर भारत से अलग क्यों है?

उत्तर भारत और महाराष्ट्र के बीच श्रावण की अलग-अलग शुरुआत और समाप्ति तिथियों का मुख्य कारण प्रत्येक क्षेत्र द्वारा अपनाए जाने वाले चंद्र कैलेंडर है. गौरतलब है कि उत्तर भारत में पुमिमांता कैलेंडर का पालन किया जाता है, और महीना पूर्णिमा के साथ समाप्त होता है, वहीं महाराष्ट्र में अमंता कैलेंडर का पालन किया जाता है, और महीना अमावस्या के साथ समाप्त होता है. इस वजह से श्रावण की शुरुआत और समाप्ति तिथियों में लगभग एक पखवाड़े का अंतर होता है.

सावन माह की रीति-रस्में

हिंदू संस्कृति और धर्म में सावन महीने का आध्यात्मिक महत्व है. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है. इस पूरे माह शिव-भक्त अपने आराध्य के प्रति गहरी भक्ति और निष्ठा दर्शाते हैं. वे व्रत रखते हैं, शिवजी का अभिषेक एवं तमाम अनुष्ठान करते हैं. खासकर सोमवार को, जिसे श्रावण का सोमवार के नाम से जाना जाता है. बहुत से शिव भक्त कड़ी तपस्या के साथ कांवड़ निकालते हैं.

सावन मास का महत्व

सावन माह के महत्व को निम्न बिंदुओं से समझा जा सकता है.

समुद्र मंथन: पौराणिक कथाओं के अनुसार, श्रावण मास में ही समुद्र-मंथन हुआ था, जिसमें से विष निकला था, और भगवान शिव ने पी लिया था.

पार्वती की कठोर तपस्या: देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए श्रावण मास में कठोर तपस्या की थी, और शिव उन पर प्रसन्न हुए थे.

जलाभिषेक: शिव पुराण के अनुसार श्रावण मास में भगवान शिव का जलाभिषेक का विशेष महत्व है.

सोमवार व्रत: श्रावण मास के सोमवार को ‘श्रावण सोमवार’ कहते हैं. इस दिन व्रत रखने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं.

कांवड़ यात्रा: श्रावण मास में कांवड़ यात्रा भी निकाली जाती है, जिसमें भक्त गंगाजल भरकर लाकर शिवलिंग का अभिषेक करते हैं.

आध्यात्मिक महत्व:  श्रावण मास आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है.

सकारात्मकता: सावन मास में शिव-तत्व की पूजा से नकारात्मकता दूर होती है, जीवन में सकारात्मकता आती है, खुशहाली आती है.