Shakambhari Navratri 2020: मां शाकंभरी की विधिवत पूजा-अर्चना करने से भक्तों को नहीं होती है अन्न-जल की कमी
शाकंभरी नवरात्रि 2020 (Photo Credits: File Image)

Shakambhari Navratri 2020: मां शाकंभरी (Mata Shakambhari) आदिशक्ति का सौम्य एवं शालीन स्वरूप हैं. कहीं ये 4 भुजाओं में दर्शन देती हैं तो कहीं 8 भुजाओं में. मान्यतानुसार इन्हीं में मां वैष्णों, मां चामुंडा, मां कांगड़ा वाली, मां ज्वाला, मां चिंतापुरणी, मां कामाख्या, मां चंडी, मां बाला सुंदरी, मां मनसा, मां नैना और मां शताक्षी देवी का वास होता है. दुर्गा सप्तशती के अनुसार मां शाकंभरी ही रक्तदंतिका, छिन्नमस्तिका, भीमा, भ्रामरी और श्री दुर्गा हैं. देश के विभिन्न स्थलों में मां शाकंभरी के अनेक सिद्धपीठ हैं, जिनमें सकरायपीठ और सांभर पीठ राजस्थान और उत्तर प्रदेश में है. आइये जानें शाकम्भरी के महात्म्य...

मां शाकंभरी का महात्म्य

पौष मास की शुक्लपक्ष अष्टमी से मां शाकंभरी देवी का नवरात्रि (Shakambhari Navratri) पर्व शुरू हो रहा है. अंग्रेजी माह के अनुसार यह पर्व 3 जनवरी (शुक्रवार) से 10 जनवरी 2020 तक मनाया जायेगा. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार गुप्त नवरात्रि की तरह शाकंभरी नवरात्रि का भी बड़ा महात्म्य है. गौरतलब है कि माता शाकंभरी  देवी दुर्गा के अवतारों में एक हैं. नवरात्रि के इन दिनों में पौराणिक कर्म किए जाते हैं, विशेषकर माता अन्नपूर्णा की साधना की जाती है. दक्षिण भारत में शाकंभरी माता को बनासरकरी देवी भी कहते हैं. कहते हैं कि नवरात्रि में मां शाकंभरी की पूजा अर्चना से घर में अन्न-जल की कमी नहीं होती. यह भी पढ़ें: Shakambhari Navratri 2020 Wishes: शाकंभरी नवरात्रि के पावन अवसर पर ये हिंदी WhatsApp Stickers, Facebook Messages, Wishes, GIF Images, Photo SMS और Wallpapers भेजकर दें शुभकामनाएं

मां शाकंभरी नाम कैसे पड़ा?

तांत्रिकों की सिद्धि के लिए खास मानी जाने वाली वनस्पति की देवी मां शाकंभरी की पूजा-अर्चना की जाती है. माना जाता है कि मां शाकंभरी ने अपने शरीर से उत्पन्न शाक-सब्जियों, फल-मूल आदि से संसार का भरण-पोषण किया था. इसी वजह से इन्हें मां शाकंभरी  कहा जाता है. इन्हें साग का वाहक भी कहते हैं. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, सभी शाकाहारी खाद्य पदार्थों को मां शाकंभरी का पवित्र प्रसाद माना जाता है.

पौराणिक कथा

एक बार दुर्गम नामक खतरनाक दैत्य ने पृथ्‍वी पर इस कदर आतंक फैलाया कि सौ सालों तक पृथ्वी पर वर्षा नहीं हुई. सर्वत्र अकाल पड़ गया. खाने पीने के अभाव में जीव-जंतु एवं मानव काल के गाल में समाने लगे. ऐसा लग रहा था कि अब पृथ्वी से जीवन खत्म हो जायेगा. तब आदिशक्ति मां दुर्गा मां शाकंभरी देवी के रूप में प्रकट हुईं, जिनके सौ नेत्र थे. पृथ्वी की दशा देखकर माँ रोने लगीं. कहा जाता है कि उनके आंसुओं से पूरी पृथ्वी पर एक बार पुनः जल का प्रवाह शुरू हो गया. इसके पश्चात क्रोधावेश में मां शाकंभरी ने उस दुर्गम दैत्य का अंत कर पृथ्वी पर जन-जीवन सामान्य कर दिया. यह भी पढें: Shakambhari Navratri 2020: कब है शाकंभरी नवरात्रि, जानें तिथि, शुभ मुहूर्त, व्रत कथा और महत्व

करें शाक-सब्जी-जल का दान

हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस पूरे नवरात्रि में गरीबों को कच्ची सब्जी, फल एवं जल का दान करने से असीम पुण्य की प्राप्ति होती है तथा माता शाकंभरी अपने भक्तों पर बहुत प्रसन्न होती हैं और उन्हें आशीर्वाद देती हैं. उनके घर में अन्न-जल की कभी कमी नहीं होती. शाकंभरी नवरात्रि का यह पर्व पौष मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से शुरू होकर पौष पूर्णिमा के दिन समाप्त होता है.